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वाणिज्यिक न्यायालय खोले जाने की मांग के मामले में प्रमुख विधि सचिव को कोर्ट में पेश होने के आदेश

राजस्थान उच्च न्यायालय की खंडपीठ के वरिष्ठ न्यायाधीश संगीत लोढ़ा और न्यायाधीश देवेंद्र कछवाहा ने जोधपुर सहित अन्य जगहों पर वाणिज्यिक न्यायालय खोले जाने की मांग को लेकर सुनवाई की है. इस दौरान राज्य के प्रमुख विधि सचिव को 10 नवंबर को उच्च न्यायालय के समक्ष हाजिर होने के आदेश जारी किए हैं.

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वाणिज्यिक न्यायालय खोले जाने की मांग वाले मामले पर सुनवाई
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Published : Nov 5, 2020, 9:28 PM IST

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रणजीत जोशी द्वारा दायर जनहित याचिका पर गुरुवार को बहस हुई. ऐसे में अधिवक्ता अनिल भंडारी ने कहा कि वर्तमान में जोधपुर में एक ही वाणिज्यिक न्यायालय होने से लगभग दो हजार 700 मामले लंबित हैं, जिसमें बीकानेर के 600 प्रकरण हैं. वहीं जोधपुर में तीन और अतिरिक्त न्यायालय अथवा बीकानेर में एक न्यायालय खोले जाने की तत्काल जरूरत है.

उन्होंने कहा कि इसी प्रकार अजमेर, कोटा और उदयपुर में भी एक एक न्यायालय और खोले जाएं. उन्होंने कहा कि समुचित न्यायालयों के अभाव में मामलों का निस्तारण नहीं होने से वाणिज्यिक न्यायालय द्वारा त्वरित न्याय का उद्देश्य ही समाप्त हो रहा है. सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता संदीप शाह ने कहा कि राजस्थान उच्च न्यायालय से और न्यायालय खोले जाने तथा संसाधनों की मांग पर बजट स्वीकृत कर धनराशि समयानुसार मुहैया कराई जा रही है. राजस्थान उच्च न्यायालय की ओर से अधिवक्ता डॉ. सचिन आचार्य ने कहा कि राज्य सरकार का कहना सही नहीं है और अमूमन उनकी ओर से हर प्रस्ताव की स्वीकृति पर आनाकानी की जाती है.

यह भी पढ़ें: जोधपुर में 32 केंद्रों पर 88,000 परीक्षार्थी देंगे कांस्टेबल भर्ती परीक्षा

इस पर खंडपीठ के वरिष्ठ न्यायाधीश संगीत लोढ़ा और न्यायाधीश देवेंद्र कछवाह ने मौखिक रूप से कहा कि यह देखा गया कि राज्य सरकार अत्यन्त देरी से न्यायालय की ओर से भेजे गए प्रस्तावों पर स्वीकृति देती है. वित्त विभाग की ओर से बजट स्वीकृत किए जाने के बावजूद राशि का पूर्ण भुगतान नहीं किया जाता है. उन्होंने राज्य सरकार के इस रवैए को देखते हुए राज्य के प्रमुख विधि सचिव को 10 नवंबर को न्यायालय के समक्ष हाजिर होने के आदेश दिए हैं.

जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष रणजीत जोशी द्वारा दायर जनहित याचिका पर गुरुवार को बहस हुई. ऐसे में अधिवक्ता अनिल भंडारी ने कहा कि वर्तमान में जोधपुर में एक ही वाणिज्यिक न्यायालय होने से लगभग दो हजार 700 मामले लंबित हैं, जिसमें बीकानेर के 600 प्रकरण हैं. वहीं जोधपुर में तीन और अतिरिक्त न्यायालय अथवा बीकानेर में एक न्यायालय खोले जाने की तत्काल जरूरत है.

उन्होंने कहा कि इसी प्रकार अजमेर, कोटा और उदयपुर में भी एक एक न्यायालय और खोले जाएं. उन्होंने कहा कि समुचित न्यायालयों के अभाव में मामलों का निस्तारण नहीं होने से वाणिज्यिक न्यायालय द्वारा त्वरित न्याय का उद्देश्य ही समाप्त हो रहा है. सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता संदीप शाह ने कहा कि राजस्थान उच्च न्यायालय से और न्यायालय खोले जाने तथा संसाधनों की मांग पर बजट स्वीकृत कर धनराशि समयानुसार मुहैया कराई जा रही है. राजस्थान उच्च न्यायालय की ओर से अधिवक्ता डॉ. सचिन आचार्य ने कहा कि राज्य सरकार का कहना सही नहीं है और अमूमन उनकी ओर से हर प्रस्ताव की स्वीकृति पर आनाकानी की जाती है.

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इस पर खंडपीठ के वरिष्ठ न्यायाधीश संगीत लोढ़ा और न्यायाधीश देवेंद्र कछवाह ने मौखिक रूप से कहा कि यह देखा गया कि राज्य सरकार अत्यन्त देरी से न्यायालय की ओर से भेजे गए प्रस्तावों पर स्वीकृति देती है. वित्त विभाग की ओर से बजट स्वीकृत किए जाने के बावजूद राशि का पूर्ण भुगतान नहीं किया जाता है. उन्होंने राज्य सरकार के इस रवैए को देखते हुए राज्य के प्रमुख विधि सचिव को 10 नवंबर को न्यायालय के समक्ष हाजिर होने के आदेश दिए हैं.

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