जोधपुर. वर्तमान में कोविड-19 संक्रमण में तेजी व अस्पतालों में भर्ती मरीजों की संख्या में हो रही वृद्धि को देखते हुए निजी अस्पतालों में बेहतर समन्वय स्थापित करते हुए निजी अस्पतालों में भी कोविड मरीजों को निर्धारित मापदंडों पर बेहतर इलाज मिल सके. इसको लेकर जिला प्रशासन के निर्देश पर बनाई गई एक कमेटी द्वारा शहर के निजी अस्पतालों का औचक निरीक्षण किया गया.
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. बलवंत मंडा ने बताया कि जिला परिषद सीईओ, एडीएम तृतीय, सीएमएचओ, डीटीओ राजेंद्र डांगा की टीम द्वारा शहर के दार-उल-शिफा हॉस्पिटल कमला नगर व सोनी देवा हॉस्पिटल, खेमे के कुंआ, पाल रोड़, जोधपुर में टीम ने औचक निरीक्षण किया. इस दौरान कमेटी ने पाया कि उक्त अस्पतालों में भर्ती कोरोना मरीजों का उपचार कोविड-19 गाइडलाइन के मापदंडों के अनुरूप नहीं पाया गया.
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निरीक्षण के दौरान पाल रोड स्थित सोना देवी अस्पताल में पाई गई अनियमितताओं के चलते सरकारी चिकित्सक सहायक आचार्य के खिलाफ कार्रवाई हेतु जिला कलेक्टर की ओर से अग्रिम कार्रवाई के लिए डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य को प्रकरण भिजवाया गया. आयुष्मान भारत महात्मा गांधी राजस्थान स्वास्थ्य बीमा योजना में इसकी सम्बद्धता समाप्त करने का निर्णय लिया गया.
वहीं निरीक्षण में दार-उल-शिफा हॉस्पिटल में फिजिशियन द्वारा कोरोना संक्रमित मरीजों के उपचार में कोविड गाइडलाइन की पालना नहीं करने तथा कोविड व नॉन कोविड रोगियों की पृथकता नहीं पाए जाने पर महामारी अधिनियम के तहत नोटिस दिया गया.
कोविड सेन्टर की बजाय निजी अस्पताल में अनावश्यक रूप से करवाए भर्ती
सोना देवी हॉस्पिटल में निरीक्षण के दौरान महत्वपूर्ण तथ्य सामने आए हैं, जहां पर काफी ऐसे मरीज भर्ती मिले, जो कि मथुरा दास माथुर अस्पताल में रक्त रोग विशेषज्ञता के सहायक आचार्य के रूप में राजकीय सेवा में कार्यरत डॉ. द्वारा प्रैक्टिस के दौरान डेडीकेटेड कोविड हॉस्पिटल के लिए रेफर किए गए थे, लेकिन यह रोगी डॉक्टर एसएन मेडिकल कॉलेज जोधपुर एवं एम्स जोधपुर के डेडीकेटेड कोविड-19 हॉस्पिटल में उपचार करवाने ना जाकर सभी सोना देवी हॉस्पिटल जोधपुर में भर्ती हुए हैं. जिनमें से अधिकतर मरीज बाहरी जिलों के थे. बताया जा रहा है कि सोनादेवी अस्पताल सरकारी डॉक्टर का ही है.