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जोधपुर AIIMS में 4 घंटे तक चली सर्जरी, आपस में धड़ से जुड़े बच्चों को किया सफलतापूर्वक अलग

जोधपुर में AIIMS ने एक कठिन सर्जरी करते हुए धड़ से जुड़े जुड़वा बच्चों को अलग करने में सफलता अर्जित की है. इस सर्जरी में चिकित्सकों को 4 घंटे से अधिक समय लगा. जुड़वा बच्चों को पाली के बाली से रेफर कर सप्ताह पूर्व जोधपुर एम्स में भर्ती कराया गया था. पढ़ें विस्तृत खबर...

2 inter connected children separated, AIIMS शिशुरोग विभागाध्यक्ष डॉ. अरविंद सिन्हा
AIIMS में 4 घंटे तक चली सर्जरी
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Published : Jan 26, 2020, 7:24 PM IST

जोधपुर. AIIMS में फिर एक कठिन शिशु सर्जरी को चिकित्सकों ने सफलतापूर्वक अंजाम दिया है. दरअसल 4 दिन पहले यहां 2 ऐसे बच्चों को लाया गया था जो आपस में जुड़े हुए थे. एक बच्चे की आंतों में रक्तस्राव हो रहा था.

AIIMS में 4 घंटे तक चली सर्जरी

शुक्रवार को ज्यादा स्थिति बिगड़ी तो तय किया गया कि अगले 24 घंटे में ऑपरेशन करना होगा. जिसके लिए परिजनों को समझाया गया और करीब 4 घंटे तक चले ऑपरेशन के बाद दोनों फिलहाल वेंटिलेटर पर हैं. वहीं उनकी स्थिति नाजुक बताई जा रही है. डॉक्टरों की एक टीम लगातार उनकी देख-रेख कर रही है.

पढे़ंः पाली में जन्मे धड़ से जुड़े हुए जुड़वां बच्चे, जोधपुर AIIMS किया रेफर

शनिवार को हुई सर्जरी कई मायनों में डॉक्टरों के लिए चुनौतीपूर्ण थी. क्योंकि सामान्यत: इस तरह के ऑपरेशन 3 से 4 माह की उम्र होने के बाद ही किए जाते हैं, लेकिन यह बच्चे सिर्फ 6 दिन के थे और दोनों का वजन भी 1.5 किलो था. इनमें भी एक नवजात की रक्त स्त्राव होने से स्थिति गंभीर हो रही थी. अगर जल्द अलग नहीं किया जाता तो दोनों की जान पर बन आती.

जोधपुर AIIMS के शिशुरोग विभागाध्यक्ष डॉ. अरविंद सिन्हा ने बताया कि दोनों बच्चों का पूरा उपचार निशुल्क किया जा रहा है, क्योंकि परिवार बेहद गरीब है. दोनों बच्चे छाती और सीने से चिपके हुए थे, लेकिन दोनों के दिल अलग-अलग थे पूरी जांच के बाद डॉक्टरों ने इन्हें अलग करने का निर्णय लिया.

पढ़ें- कोरोना वायरस को लेकर राजस्थान में अलर्ट जारी, चीन से आए 18 यात्री अंडर सर्विलांस

ऑपरेशन के लिए शिशु रोग विभाग एनेस्थीसिया के डॉक्टरों की अलग-अलग टीमें बनाई गई. इसके अलावा नर्सिंग स्टाफ एवं सपोर्टिंग स्टाफ सहित कुल 40 लोगों की टीम ने इस सर्जरी को अंजाम देने में सहयोग दिया और अब लगातार दोनों नवजात पर मॉनिटरिंग के लिए भी एनएसथीसिया और शिशु रोग विभाग के डॉक्टर लगे हुए हैं.

बता दें जोधपुर एम्स में करीब साढे़ 4 साल पहले ऐसे ही 2 बच्चों को अलग कर नया जीवन दिया गया था और जिनका नाम लव-कुश रखा गया था. वह परिवार भी बेहद गरीब था.

जोधपुर. AIIMS में फिर एक कठिन शिशु सर्जरी को चिकित्सकों ने सफलतापूर्वक अंजाम दिया है. दरअसल 4 दिन पहले यहां 2 ऐसे बच्चों को लाया गया था जो आपस में जुड़े हुए थे. एक बच्चे की आंतों में रक्तस्राव हो रहा था.

AIIMS में 4 घंटे तक चली सर्जरी

शुक्रवार को ज्यादा स्थिति बिगड़ी तो तय किया गया कि अगले 24 घंटे में ऑपरेशन करना होगा. जिसके लिए परिजनों को समझाया गया और करीब 4 घंटे तक चले ऑपरेशन के बाद दोनों फिलहाल वेंटिलेटर पर हैं. वहीं उनकी स्थिति नाजुक बताई जा रही है. डॉक्टरों की एक टीम लगातार उनकी देख-रेख कर रही है.

पढे़ंः पाली में जन्मे धड़ से जुड़े हुए जुड़वां बच्चे, जोधपुर AIIMS किया रेफर

शनिवार को हुई सर्जरी कई मायनों में डॉक्टरों के लिए चुनौतीपूर्ण थी. क्योंकि सामान्यत: इस तरह के ऑपरेशन 3 से 4 माह की उम्र होने के बाद ही किए जाते हैं, लेकिन यह बच्चे सिर्फ 6 दिन के थे और दोनों का वजन भी 1.5 किलो था. इनमें भी एक नवजात की रक्त स्त्राव होने से स्थिति गंभीर हो रही थी. अगर जल्द अलग नहीं किया जाता तो दोनों की जान पर बन आती.

जोधपुर AIIMS के शिशुरोग विभागाध्यक्ष डॉ. अरविंद सिन्हा ने बताया कि दोनों बच्चों का पूरा उपचार निशुल्क किया जा रहा है, क्योंकि परिवार बेहद गरीब है. दोनों बच्चे छाती और सीने से चिपके हुए थे, लेकिन दोनों के दिल अलग-अलग थे पूरी जांच के बाद डॉक्टरों ने इन्हें अलग करने का निर्णय लिया.

पढ़ें- कोरोना वायरस को लेकर राजस्थान में अलर्ट जारी, चीन से आए 18 यात्री अंडर सर्विलांस

ऑपरेशन के लिए शिशु रोग विभाग एनेस्थीसिया के डॉक्टरों की अलग-अलग टीमें बनाई गई. इसके अलावा नर्सिंग स्टाफ एवं सपोर्टिंग स्टाफ सहित कुल 40 लोगों की टीम ने इस सर्जरी को अंजाम देने में सहयोग दिया और अब लगातार दोनों नवजात पर मॉनिटरिंग के लिए भी एनएसथीसिया और शिशु रोग विभाग के डॉक्टर लगे हुए हैं.

बता दें जोधपुर एम्स में करीब साढे़ 4 साल पहले ऐसे ही 2 बच्चों को अलग कर नया जीवन दिया गया था और जिनका नाम लव-कुश रखा गया था. वह परिवार भी बेहद गरीब था.

Intro:Body:डेढ़ किलो के बच्चों का अलग करना बेहद चुनौती पूर्ण कार्य था, अलग नही करते तो दोनों की जान पर बन आती

जोधपुर।

जोधपुर एम्स में शनिवार को हुई सर्जरी कई मायनों में डॉक्टरों के लिए चुनौतीपूर्ण थी क्योंकि सामान्य थे इस तरह के ऑपरेशन 3 से 4 माह की उम्र होने के बाद ही किए जाते हैं लेकिन यह बच्चे सिर्फ 6 दिन के थे दोनों का वजन भी डेढ़ - डेढ़ किलो था। इनमें भी एक नवजात की रक्त स्त्राव होने से स्थिति गंभीर हो रही थी अगर जल्द अलग नहीं किया जाता तो दोनों की जान पर बन आती। एम्स शिशुरोग विभागाध्यक्ष डॉ अरविंद सिन्हा ने बताया कि हमारे पास यह बच्चे 4 दिन पहले आये थे। एक कि आंतों में रक्तस्राव हो रहा था।।शुक्रवार को ज्यादा स्थिति बिगड़ी तो तय किया कि अगले 24 घण्टे में ऑपरेशन करना होगा। परिजनों को समझाया गया। डॉ सिन्हा के मुताबिक ऑपरेशन करीब 4 घण्टे चला। दोनो अभी वेंटिलेटर पर है। स्थिति नाजुक भी है डॉक्टस कि एक टीम उनकी देख रेख में लगी है। डॉ सिन्हा ने बताया कि दोनों बच्चों का पूरा उपचार निशुल्क किया जा रहा है क्योंकि परिवार बेहद गरीब है। गौरतलब है कि दोनों बच्चे छाती और सीने से चिपके हुए थे लेकिन दोनों के दिल अलग अलग थे पूरी जांच के बाद डॉक्टरों ने इन्हें अलग करने का निर्णय लिया । जिसके लिए शिशु रोग विभाग एनेस्थीसिया के डॉक्टरों की अलग-अलग टीमें बनाई गई इसके अलावा नर्सिंग स्टाफ एवं सपोर्टिंग स्टाफ सहित कुल 40 लोगों की टीम ने इस सर्जरी को अंजाम देने में सहयोग दिया और अब लगातार दोनों नवजात पर मॉनिटरिंग के लिए भी एनएसथीसिया व शिशु रोग विभाग के डॉक्टर लगे हुए हैं। गौरतलब है कि जोधपुर एम्स में करीब साढे 4 साल पहले ऐसे ही दो बच्चों को अलग कर नया जीवन दिया था और जिनका नाम लवकुश रखा गया था वह परिवार भी बेहद गरीब था।

बाईट डॉ अरविंद सिन्हा, विभागाध्यक्ष शिशुरोग विभाग जोधपुर एम्स
Conclusion:
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