जयपुर. श्रावण शुक्ल पंचमी को छोटी काशी जयपुर में नाग पंचमी का पर्व मनाया गया. इस दौरान छोटे मंदिरों में नाग देवता का पूजन अर्चन किया गया. साथ ही घरों में पकवान बनाकर नाग देवता को भोग लगाया गया. वहीं परिवार की सुख समृद्धि और खुशहाली की कामना की गई. इस दौरान छोटे शिवालयों में सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखते हुए शिव भक्तों ने मास्क लगाकर पूजन किया.
धार्मिक आस्था के नजरिए से सावन माह का महीना बेहद पवित्र होता है. यह महीना भगवान शिव को अति प्रिय है, इसी महीने नाग पंचमी का पर्व भी आता है. नाग पंचमी का त्यौहार नाग देवताओं को समर्पित है. इस लिए खासतौर पर आज के दिन नाग देवता की पूजा की जाती हैं. राजस्थान में पुराने समय से ही सावन कृष्ण पंचमी को नाग पंचमी का पर्व मनाने की परंपरा रही है.
इसी के चलते खासतौर पर महिलाओं ने नाग की बांबी और शिवजी के मंदिर में नाग देवता की पूजा की. नाग की बांबी को पंचोपचार पूजन कर गंध, अक्षत और पुष्प चढ़ाकर दूध से अभिषेक कराया गया.
वहीं मोठ और बाजरे से बने पकवान का भोग लगाया गया. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नाग पंचमी के दिन नाग देवता की आराधना करने से भक्तों को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है. क्योंकि भोलेनाथ के गले में भी नाग देवता वासुकि लिपटे रहते हैं.
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नाग पंचमी को जिन लोगों के राहु, केतु और उनके मध्य शनि होता है, तो कालसर्प योग बनता है. जिसके तहत काल का मतलब मृत्यु और सर्प यानी सांप तो मृत्यु जैसा जीवन इंसान कालसर्प योग में जीता है. इस योग में कार्य बनते बनते अचानक बिगड़ जाते है यहां तक की कुछ अशुभ होने की आंशका मन मे बरकरार रहती है.
ऐसे में कालसर्प योग के निवारण के लिए सावन माह की पंचमी को पूजन अर्चन किया जाता है, इससे अवरुद्ध काम बनने लग जाएंगे. साथ ही अशुभ होने की आंशका का भी निवारण होता है.