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विश्व मानसिक दिवस: CORONA काल में बढ़ रहा है लोगों में तनाव, ऐसे करें बचाव - मानसिक बीमारी से ग्रसित

कोरोना के व्यापक संक्रमण ने सभी वर्ग के लोगों में एक भय, अनिश्चितता और अवसाद जैसे लक्षणों को जन्म दिया है. आज हमारे देश में लगभग 14 प्रतिशत लोग किसी ना किसी मानसिक बीमारी से ग्रसित हैं. लगभग हर 20 में से एक व्यक्ति अपने जीवन काल में अवसाद का शिकार होता है और विश्व में हर 40 सेकंड में एक व्यक्ति आत्महत्या का कदम उठाता है.

विश्व मानसिक दिवस, World mental day
कोरोना में बढ़ रहा तनाव
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Published : Oct 10, 2020, 4:24 PM IST

जयपुर. 10 अक्टूबर विश्व मानसिक दिवस के रूप में मनाया जाता है. ऐसे में इस बार कोरोना महामारी के दौरान सभी वर्ग के लोगों में भय, चिंता, अनिश्चितता और अवसाद जैसे लक्षण देखने को मिल रहे हैं. मनोरोग चिकित्सकों का मानना है कि कोरोना के कारण इस साल अवसाद के मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है.

कोरोना में बढ़ रहा तनाव

चिकित्सकों का मानना है कि आज हमारे देश में लगभग 14 प्रतिशत लोग किसी ना किसी मानसिक बीमारी से ग्रसित हैं. लगभग हर 20 में से एक व्यक्ति अपने जीवन काल में अवसाद का शिकार होता है और विश्व में हर 40 सेकंड में एक व्यक्ति आत्महत्या को अंजाम देता है. ऐसे में कोरोना संक्रमित व्यक्ति जो आइसोलेशन में रहते हैं, उनमें सबसे अधिक भय, चिंता और अवसाद के लक्षण देखने को मिल रहे हैं.

पढ़ेंः स्पेशल: 'मेंटल हेल्थ डे' पर मानसिक रोगियों का आमजन के नाम कोरोना से बचाव का संदेश, आप भी सुनें

मामले को लेकर ईएसआई मॉडल हॉस्पिटल के मनोरोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अखिलेश जैन का कहना है कि कोरोना महामारी के दौरान मरीजों में चिंता और भय का माहौल देखने को मिला है. इसका सबसे प्रमुख कारण चिकित्सक बताते हैं कि जब मनोरोग से ग्रसित कोई व्यक्ति कोरोना संक्रमित होता है, तो वह अपने मित्रों और अलग-अलग विशेषज्ञ चिकित्सकों से तरह-तरह की सलाह लेता है. ऐसे में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है और मरीज में चिंता और घबराहट देखने को मिलती है.

आइसोलेशन सबसे बड़ा खतरा

कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद मरीजों को घर पर ही आइसोलेशन में रखा जा रहा है. ऐसे में सबसे बड़ी परेशानी मरीज के साथ कोई काम या व्यस्तता का ना होना है. इस दौरान मरीज किसी से आमने-सामने बातचीत नहीं कर पाता है. चिकित्सकों का कहना है कि मानव स्वभाव इस तरह अकेले रहने का आदी नहीं होता और इस दौरान मरीज इस बीमारी के बारे में ज्यादा सोचते हैं.

नतीजतन मरीज पर मनोवैज्ञानिक दबाव बढ़ता है. वहीं संक्रमित व्यक्ति कोरोना संक्रमण का शिकार होने के बाद अपराध बोध महसूस करता है और उसके मन में यह चिंता रहती है कि कहीं वह अपने परिवार या अन्य लोगों को संक्रमित तो नहीं कर देगा. चिकित्सकों का कहना है कि इस कोरोना महामारी के दौरान इस तरह के काफी मामले देखने को मिले हैं.

कैसे बचें मानसिक परेशानी से

मनो चिकित्सक डॉक्टर अखिलेश जैन का कहना है कि इस समय पूरा विश्व कोरोना महामारी से जूझ रहा है. ऐसे में यदि कोई व्यक्ति संक्रमित होता है, तो वह खुद को शांत रखे और कभी भी ऐसा सोचकर तिरस्कृत महसूस ना करे कि उसे अलग-थलग रहना है और आइसोलेशन कोई सजा नहीं है. बल्कि एक अवसर है. जिससे आप अपने परिवार को भी इस बीमारी से बचा सकते हैं. चिकित्सकों का कहना है कि इस दौरान एक से अधिक अनावश्यक परामर्श लेने से भी बचें और सिर्फ विषय विशेषज्ञ चिकित्सक की है सलाह लें.

पढ़ेंः स्टेट GST टीम ने ओसवाल ग्रुप के 6 ठिकानों पर मारा छापा, करोड़ों रुपए की टैक्स चोरी उजागर होने की संभावना

चिकित्सक से संपर्क में रहें

मनो चिकित्सकों का कहना है कि कोरोना महामारी के दौरान निश्चित तौर पर मनोरोग से जुड़े मामले अधिक देखने को मिले हैं, लेकिन यदि मरीज चिकित्सक से संपर्क में रहता है, तो वह ठीक हो सकता है. इस दौरान धूम्रपान, शराब और अन्य किसी नशे से एकदम दूर रहे, क्योंकि नशा मानसिक स्थिति को और खराब कर सकता है. वहीं चिकित्सक से टेलीफोन या वीडियो कॉल के जरिए संपर्क बनाया जा सकता है और सही इलाज लेकर कोरोना और इसके बाद होने वाले मनोरोग से बचा जा सकता है.

जयपुर. 10 अक्टूबर विश्व मानसिक दिवस के रूप में मनाया जाता है. ऐसे में इस बार कोरोना महामारी के दौरान सभी वर्ग के लोगों में भय, चिंता, अनिश्चितता और अवसाद जैसे लक्षण देखने को मिल रहे हैं. मनोरोग चिकित्सकों का मानना है कि कोरोना के कारण इस साल अवसाद के मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है.

कोरोना में बढ़ रहा तनाव

चिकित्सकों का मानना है कि आज हमारे देश में लगभग 14 प्रतिशत लोग किसी ना किसी मानसिक बीमारी से ग्रसित हैं. लगभग हर 20 में से एक व्यक्ति अपने जीवन काल में अवसाद का शिकार होता है और विश्व में हर 40 सेकंड में एक व्यक्ति आत्महत्या को अंजाम देता है. ऐसे में कोरोना संक्रमित व्यक्ति जो आइसोलेशन में रहते हैं, उनमें सबसे अधिक भय, चिंता और अवसाद के लक्षण देखने को मिल रहे हैं.

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मामले को लेकर ईएसआई मॉडल हॉस्पिटल के मनोरोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अखिलेश जैन का कहना है कि कोरोना महामारी के दौरान मरीजों में चिंता और भय का माहौल देखने को मिला है. इसका सबसे प्रमुख कारण चिकित्सक बताते हैं कि जब मनोरोग से ग्रसित कोई व्यक्ति कोरोना संक्रमित होता है, तो वह अपने मित्रों और अलग-अलग विशेषज्ञ चिकित्सकों से तरह-तरह की सलाह लेता है. ऐसे में भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो जाती है और मरीज में चिंता और घबराहट देखने को मिलती है.

आइसोलेशन सबसे बड़ा खतरा

कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद मरीजों को घर पर ही आइसोलेशन में रखा जा रहा है. ऐसे में सबसे बड़ी परेशानी मरीज के साथ कोई काम या व्यस्तता का ना होना है. इस दौरान मरीज किसी से आमने-सामने बातचीत नहीं कर पाता है. चिकित्सकों का कहना है कि मानव स्वभाव इस तरह अकेले रहने का आदी नहीं होता और इस दौरान मरीज इस बीमारी के बारे में ज्यादा सोचते हैं.

नतीजतन मरीज पर मनोवैज्ञानिक दबाव बढ़ता है. वहीं संक्रमित व्यक्ति कोरोना संक्रमण का शिकार होने के बाद अपराध बोध महसूस करता है और उसके मन में यह चिंता रहती है कि कहीं वह अपने परिवार या अन्य लोगों को संक्रमित तो नहीं कर देगा. चिकित्सकों का कहना है कि इस कोरोना महामारी के दौरान इस तरह के काफी मामले देखने को मिले हैं.

कैसे बचें मानसिक परेशानी से

मनो चिकित्सक डॉक्टर अखिलेश जैन का कहना है कि इस समय पूरा विश्व कोरोना महामारी से जूझ रहा है. ऐसे में यदि कोई व्यक्ति संक्रमित होता है, तो वह खुद को शांत रखे और कभी भी ऐसा सोचकर तिरस्कृत महसूस ना करे कि उसे अलग-थलग रहना है और आइसोलेशन कोई सजा नहीं है. बल्कि एक अवसर है. जिससे आप अपने परिवार को भी इस बीमारी से बचा सकते हैं. चिकित्सकों का कहना है कि इस दौरान एक से अधिक अनावश्यक परामर्श लेने से भी बचें और सिर्फ विषय विशेषज्ञ चिकित्सक की है सलाह लें.

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चिकित्सक से संपर्क में रहें

मनो चिकित्सकों का कहना है कि कोरोना महामारी के दौरान निश्चित तौर पर मनोरोग से जुड़े मामले अधिक देखने को मिले हैं, लेकिन यदि मरीज चिकित्सक से संपर्क में रहता है, तो वह ठीक हो सकता है. इस दौरान धूम्रपान, शराब और अन्य किसी नशे से एकदम दूर रहे, क्योंकि नशा मानसिक स्थिति को और खराब कर सकता है. वहीं चिकित्सक से टेलीफोन या वीडियो कॉल के जरिए संपर्क बनाया जा सकता है और सही इलाज लेकर कोरोना और इसके बाद होने वाले मनोरोग से बचा जा सकता है.

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