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2030 तक भारत होगा मलेरिया मुक्त, सेहत के लिए सफाई के प्रति जागरूकता पर जोर

भारत ने साल 2030 तक मलेरिया उन्मूलन का लक्ष्य रखा है, जबकि साल 2027 तक पूरे देश को मलेरिया मुक्त बनाया (Malaria free India by year 2027) जाएगा. इसके लिए शासन स्तर पर कई परियोजनाएं भी चलाई जा रही हैं. सरकारी दावों के मुताबिक राजस्थान में अब मलेरिया नियंत्रण में है, लेकिन सच्चाई यह है कि हर साल करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद आज भी मच्छरजनित बीमारियां आबादी के लिए खतरा बनी हुई हैं.

World Malaria Day
2030 तक भारत होगा मलेरिया मुक्त, सेहत के लिए सफाई के प्रति जागरूकता पर जोर
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Published : Apr 25, 2022, 8:42 PM IST

जयपुर. दुनिया भर में 25 अप्रैल को हर साल मलेरिया जैसी बीमारी के खिलाफ लोगों को जागरूक करने के मकसद से 'विश्व मलेरिया दिवस' यानी वर्ल्ड मलेरिया डे मनाया जाता है. कोरोना महामारी का प्रकोप होने के बाद से दुनियाभर के लोगों के बीच सेहत को लेकर काफी जागरूकता बढ़ी है. मलेरिया एक ऐसी बीमारी है, जो सालों से लोगों को अपना शिकार बनाती आई है. गौरतलब है कि हर साल लाखों लोग भारत समेत पूरी दुनिया में मलेरिया से ग्रसित होते हैं. आपको बता दें कि यह एक जानलेवा बीमारी है, जिससे भारत में हर साल हजारों लोग संक्रमित होते हैं.

विश्व मलेरिया दिवस 2022 की थीम: हर साल विश्व स्वास्थ्य संगठन विश्व मलेरिया दिवस के मौके पर एक विशेष थीम रखता है. इस साल 2022 की थीम (World Malaria day theme in 2022) है 'मलेरिया रोग के बोझ को कम करने और जीवन बचाने के लिए नवाचार का उपयोग करें'. इस थीम के जरिए लोगों को मलेरिया से सुरक्षित रहने के नए उपायों को बारे सोचने को प्रेरित करना है.

पढ़ें: 100 साल बाद बनी मलेरिया की पहली वैक्सीन, जानिये कितनी कारगर और किसे मिलेगी सबसे पहले ?

मलेरिया की बीमारी मच्छर के काटने से फैलती है. यह मादा एनाफिलीज मच्छर के जरिए इंसानों के बीच फैसला है. आपको बता दें कि मलेरिया प्लाज्मोडियम विवेक्स नाम के वायरस के कारण होता है. जब मादा एनाफिलीज मच्छर की किसी संक्रमित व्यक्ति को काटती है, तो इस वायरस का अंश मच्छर के शरीर में ट्रांसफर हो जाता है. इसके बाद जब यह मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है, तो यह वायरस उन व्यक्ति के शरीर में ट्रांसफर हो जाता है. इसके बाद वह भी मलेरिया से संक्रमित हो जाता है. मलेरिया का सबसे बड़ा कारण गंदगी, आसपास फैला कचरा और इसके कारण वहां पनपने वाले मच्छर होते हैं. खासकर मादा एनाफिलीज मच्छर इंसानों को काटकर उन्हें मलेरिया से संक्रमित कर देते हैं.

सेहत के लिए सफाई के प्रति जागरूकता पर जोर...

लक्षण: मलेरिया के प्रमुख लक्षण यह हैं कि एक निश्चित अंतराल से रोज एक निश्चित समय पर मरीज को बुखार आता है. सिरदर्द और मितली आने के साथ कंपकंपी के साथ ठंड लगने के दौरे प्रमुख हैं. मरीज को हाथ-पैरों में दर्द के साथ कमजोरी महसूस होती है.

पढ़ें: अच्छी खबर: नूंह जिला हुआ मलेरिया मुक्त, वर्ष 2021 में अभी तक एक भी मामला नहीं

बचाव: मलेरिया से बचाव का सबसे अच्छा उपाय है मच्छरदानी में सोना और घर के आसपास पानी जमा नहीं होने देना. इसके अलावा रुके हुए पानी में स्थानीय नगर निगम के या मलेरिया विभाग की ओर से दवाएं छिड़कवाना, गंबूशिया मछली के बच्चे छुड़वाना आदि उपाय भी जरूरी हैं. यह मछली मलेरिया के कीटाणु मानव शरीर तक पहुंचाने वाले मच्छरों के लार्वा पर पलती हैं.

इलाज : यदि मरीज में ऊपर लिखे लक्षण सामने आ रहे हैं तो उसका इलाज योग्य चिकित्सक से कराना (Treatment of malaria) चाहिए. कुनैन की गोली इस रोग में फायदा पहुंचाती है. बच्चों और गर्भवती महिलाओं के मामले में अतिरिक्त सावधानी की जरूरत होती है. मरीज को सूखे और गर्म स्थान पर आराम करने दें. कुनैन के कारण मरीज को मितली के साथ उल्टियां आ सकती हैं. इसके कारण मरीज को निर्जलन की शिकायत भी हो सकती है. याद रखें मच्छर काटने के 14 दिन बाद मलेरिया के लक्षण सामने आते हैं. भारत ने साल 2030 तक मलेरिया उन्मूलन का लक्ष्य रखा है, जबकि साल 2027 तक पूरे देश को मलेरिया मुक्त बनाया जाएगा. इसके लिए शासन स्तर पर कई परियोजनाएं भी चलाई जा रही हैं.

पढ़ें: मलेरिया मामले में दूसरे देशों की तुलना में भारत सबसे बेहतर स्थिति में

मच्छरजनित बीमारियों पर काबू पाने के वैसे सरकारों के काफी प्रयास रहे हैं, लेकिन आज भी हर साल इन रोगों से कई जिंदगियां खत्म हो रही हैं. सरकारी दावों के मुताबिक राजस्थान में अब मलेरिया नियंत्रण में है, लेकिन सच्चाई यह है कि हर साल करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद आज भी मच्छरजनित बीमारियां आबादी के लिए खतरा बनी हुई हैं. इसका बड़ा कारण मच्छरों को पनपने से रोकने में नाकामी है. 100 साल से भी अधिक समय से प्रयास किए जाने के बाद भी यह बीमारी जस की तस बनी हुई है. गत वर्षों में इनमें भी नया ट्रेंड देखा जा रहा है. डेंगू, चिकनगुनिया, स्क्रब टायफस आदि बीमारियों वर्ष के शुरुआत से अंत तक देखने को मिल रही हैं.

जयपुर. दुनिया भर में 25 अप्रैल को हर साल मलेरिया जैसी बीमारी के खिलाफ लोगों को जागरूक करने के मकसद से 'विश्व मलेरिया दिवस' यानी वर्ल्ड मलेरिया डे मनाया जाता है. कोरोना महामारी का प्रकोप होने के बाद से दुनियाभर के लोगों के बीच सेहत को लेकर काफी जागरूकता बढ़ी है. मलेरिया एक ऐसी बीमारी है, जो सालों से लोगों को अपना शिकार बनाती आई है. गौरतलब है कि हर साल लाखों लोग भारत समेत पूरी दुनिया में मलेरिया से ग्रसित होते हैं. आपको बता दें कि यह एक जानलेवा बीमारी है, जिससे भारत में हर साल हजारों लोग संक्रमित होते हैं.

विश्व मलेरिया दिवस 2022 की थीम: हर साल विश्व स्वास्थ्य संगठन विश्व मलेरिया दिवस के मौके पर एक विशेष थीम रखता है. इस साल 2022 की थीम (World Malaria day theme in 2022) है 'मलेरिया रोग के बोझ को कम करने और जीवन बचाने के लिए नवाचार का उपयोग करें'. इस थीम के जरिए लोगों को मलेरिया से सुरक्षित रहने के नए उपायों को बारे सोचने को प्रेरित करना है.

पढ़ें: 100 साल बाद बनी मलेरिया की पहली वैक्सीन, जानिये कितनी कारगर और किसे मिलेगी सबसे पहले ?

मलेरिया की बीमारी मच्छर के काटने से फैलती है. यह मादा एनाफिलीज मच्छर के जरिए इंसानों के बीच फैसला है. आपको बता दें कि मलेरिया प्लाज्मोडियम विवेक्स नाम के वायरस के कारण होता है. जब मादा एनाफिलीज मच्छर की किसी संक्रमित व्यक्ति को काटती है, तो इस वायरस का अंश मच्छर के शरीर में ट्रांसफर हो जाता है. इसके बाद जब यह मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है, तो यह वायरस उन व्यक्ति के शरीर में ट्रांसफर हो जाता है. इसके बाद वह भी मलेरिया से संक्रमित हो जाता है. मलेरिया का सबसे बड़ा कारण गंदगी, आसपास फैला कचरा और इसके कारण वहां पनपने वाले मच्छर होते हैं. खासकर मादा एनाफिलीज मच्छर इंसानों को काटकर उन्हें मलेरिया से संक्रमित कर देते हैं.

सेहत के लिए सफाई के प्रति जागरूकता पर जोर...

लक्षण: मलेरिया के प्रमुख लक्षण यह हैं कि एक निश्चित अंतराल से रोज एक निश्चित समय पर मरीज को बुखार आता है. सिरदर्द और मितली आने के साथ कंपकंपी के साथ ठंड लगने के दौरे प्रमुख हैं. मरीज को हाथ-पैरों में दर्द के साथ कमजोरी महसूस होती है.

पढ़ें: अच्छी खबर: नूंह जिला हुआ मलेरिया मुक्त, वर्ष 2021 में अभी तक एक भी मामला नहीं

बचाव: मलेरिया से बचाव का सबसे अच्छा उपाय है मच्छरदानी में सोना और घर के आसपास पानी जमा नहीं होने देना. इसके अलावा रुके हुए पानी में स्थानीय नगर निगम के या मलेरिया विभाग की ओर से दवाएं छिड़कवाना, गंबूशिया मछली के बच्चे छुड़वाना आदि उपाय भी जरूरी हैं. यह मछली मलेरिया के कीटाणु मानव शरीर तक पहुंचाने वाले मच्छरों के लार्वा पर पलती हैं.

इलाज : यदि मरीज में ऊपर लिखे लक्षण सामने आ रहे हैं तो उसका इलाज योग्य चिकित्सक से कराना (Treatment of malaria) चाहिए. कुनैन की गोली इस रोग में फायदा पहुंचाती है. बच्चों और गर्भवती महिलाओं के मामले में अतिरिक्त सावधानी की जरूरत होती है. मरीज को सूखे और गर्म स्थान पर आराम करने दें. कुनैन के कारण मरीज को मितली के साथ उल्टियां आ सकती हैं. इसके कारण मरीज को निर्जलन की शिकायत भी हो सकती है. याद रखें मच्छर काटने के 14 दिन बाद मलेरिया के लक्षण सामने आते हैं. भारत ने साल 2030 तक मलेरिया उन्मूलन का लक्ष्य रखा है, जबकि साल 2027 तक पूरे देश को मलेरिया मुक्त बनाया जाएगा. इसके लिए शासन स्तर पर कई परियोजनाएं भी चलाई जा रही हैं.

पढ़ें: मलेरिया मामले में दूसरे देशों की तुलना में भारत सबसे बेहतर स्थिति में

मच्छरजनित बीमारियों पर काबू पाने के वैसे सरकारों के काफी प्रयास रहे हैं, लेकिन आज भी हर साल इन रोगों से कई जिंदगियां खत्म हो रही हैं. सरकारी दावों के मुताबिक राजस्थान में अब मलेरिया नियंत्रण में है, लेकिन सच्चाई यह है कि हर साल करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद आज भी मच्छरजनित बीमारियां आबादी के लिए खतरा बनी हुई हैं. इसका बड़ा कारण मच्छरों को पनपने से रोकने में नाकामी है. 100 साल से भी अधिक समय से प्रयास किए जाने के बाद भी यह बीमारी जस की तस बनी हुई है. गत वर्षों में इनमें भी नया ट्रेंड देखा जा रहा है. डेंगू, चिकनगुनिया, स्क्रब टायफस आदि बीमारियों वर्ष के शुरुआत से अंत तक देखने को मिल रही हैं.

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