जयपुर. फ्लैट खरीदारों की रजिस्ट्री में भूखंड को शामिल करने और बिल्डर को 6 महीने के अंदर भूमि का मालिकाना हक फ्लैट खरीदार को देने जैसे नियमों के साथ नगरीय विकास विभाग ने अपार्टमेंट ओनरशिप नियम बनाए हैं. राज्य सरकार के नए प्रारूप के संबंध में परिचर्चा के लिए रविवार को साहित्य शासन विभाग की ओर से कार्यशाला रखी गई. जिसमें मोहल्ला विकास समिति और प्राइवेट बिल्डर्स ने प्रशासन के सामने अपनी राय रखी.
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अपार्टमेंट में रहने वाले लोगों को उनका हक दिलाने के लिए साल 2003 में बीजेपी सरकार ने अपार्टमेंट ओनरशिप बिल का प्रारूप तैयार किया था. इसके बाद कई बार राज्य सरकार ने इसे केंद्र को भेजा, लेकिन हर बार बिल में सुधार की बात कहकर इसे वापस लौटा दिया गया.
हालांकि अप्रैल 2018 में जब प्रदेश सरकार ने इस बिल को केंद्र सरकार के पास भेजा, तो उसका जवाब पॉजिटिव आया. बीते साल 3 जुलाई को राष्ट्रपति की ओर से इस बिल को मंजूरी दे दी गई. जिसके बाद राज्य सरकार ने बिल के तहत नियम बनाए. इन्हीं नियमों पर चर्चा के लिए रविवार को स्वायत्त शासन विभाग की ओर से कार्यशाला का आयोजन किया गया.
इस कार्यशाला में यूडीएच सचिव भास्कर ए सावंत, एलएसजी सचिव भवानी सिंह देथा ने प्राइवेट बिल्डर्स और मोहल्ला विकास समिति के प्रतिनिधियों से राय मशवरा किया. अपार्टमेंट ओनरशिप बिल को लेकर भास्कर ए सावंत ने बताया कि राज्य सरकार ने एक्ट बनाने से पहले नियमों को वेबसाइट पर डाला था. इस पर आपत्तियां आमंत्रित की थी.
वहीं आरडब्ल्यूएस के मेंबर से सुझाव मांगे गए हैं. यहां मिले सुझाव और आपत्तियों का निस्तारण करते हुए बिल को मजबूत बनाया जाएगा. वहीं, भवानी सिंह देथा ने बताया कि फ्लैट ओनर को सभी सुविधा मिले और उनका अपार्टमेंट भी बेहतर हो. इसे ध्यान में रखते हुए अपार्टमेंट ओनरशिप बिल तैयार किया गया है और इसके लिए रेसिडेंट वेलफेयर्स का एसोसिएशन बने, वो रेवेन्यू इकट्ठा करें और अपने अपार्टमेंट को बेहतर बनाएं.
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बता दें कि अब तक बिल्डर फ्लैट खरीदार के नाम पर रजिस्ट्री कराता रहा है. लेकिन रजिस्ट्री को स्वामित्व का आधार नहीं माना जाता. ऐसे में अपार्टमेंट ओनरशिप बिल लागू होने के बाद बिल्डर्स को फ्लैट खरीदारों की लिस्ट जेडीए या निगम को सौंपनी होगी. उसी के आधार पर डीड ऑफ अपार्टमेंट जारी होगी. जिससे खरीदार को फ्लैट के साथ-साथ बिल्डिंग की जमीन पर भी अनुपातिक हक मिलेगा.