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नवजातों की मौत को लेकर महिला संगठनों ने गहलोत सरकार के खिलाफ खोला मोर्चा

प्रदेशभर में हो रही बच्चों की मौत को लेकर महिला संगठनों ने सरकार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन किया है. कोटा में बच्चों की मौत के बाद अब जोधपुर और बीकानेर में भी बच्चों की मौत का मामला सामने आया है.

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Published : Jan 5, 2020, 6:29 PM IST

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बच्चों की मौत को लेकर महिला संगठन सरकार का विरोध कर रही है

जयपुर. कोटा में नवजात बच्चों की मौत का मामला अब जोधपुर, उदयपुर और बीकानेर तक पहुंच गया है. दिसंबर 2019 में प्रदेशभर के सरकारी अस्पतालों में नवजात शिशुओं की मौत सियासी रूप भी ले चुकी है. बच्चों की मौत पर जहां विपक्ष सरकार को घेर रहा है, तो वहीं कई महिला संगठनों ने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.

बच्चों की मौत को लेकर महिला संगठन सरकार का विरोध कर रही है

महिला संगठनों ने राजधानी जयपुर में शांति प्रदर्शन कर सरकार से कार्रवाई करने की मांग की है. समाजसेवी निशा सिद्धू ने कहा कि बच्चों की मौत पर राजनीति नहीं करनी चाहिए, बल्कि सरकार को व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए. निशा सिद्धू ने कहा कि महिला संगठनों की टीम कोटा पहुंची है और वह वहां के व्यवस्था की जांच पड़ताल करेगी.

बता दें कि कोटा के जेके लोन अस्पताल में 35 दिनों में 110 बच्चों की मौत हो गई है. जिसके बाद लगातार सरकार के खिलाफ विपक्ष और सामाजिक कार्यकर्तओं ने मोर्चा खोल दिया है. इसी बीच जोधपुर और बीकानेर में भी बच्चों की मौत का मामला सामने आया है.

यह भी पढ़ें- जोधपुर में शिशुओं की मौत चिंता जनक, सरकार इसे रोकने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है: अर्चना शर्मा

जानकारी के अनुसार जोधपुर में जहां 146 बच्चों की मौत का मामला सामने आया है, तो वहीं बीकानेर में 162 बच्चों की मौत हुई है. यह आंकड़ा सिर्फ दिसंबर 2019 का है. लगातार बच्चों की मौत का मुख्य कारण अभी तक साफ नहीं हो पाया है.

जयपुर. कोटा में नवजात बच्चों की मौत का मामला अब जोधपुर, उदयपुर और बीकानेर तक पहुंच गया है. दिसंबर 2019 में प्रदेशभर के सरकारी अस्पतालों में नवजात शिशुओं की मौत सियासी रूप भी ले चुकी है. बच्चों की मौत पर जहां विपक्ष सरकार को घेर रहा है, तो वहीं कई महिला संगठनों ने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.

बच्चों की मौत को लेकर महिला संगठन सरकार का विरोध कर रही है

महिला संगठनों ने राजधानी जयपुर में शांति प्रदर्शन कर सरकार से कार्रवाई करने की मांग की है. समाजसेवी निशा सिद्धू ने कहा कि बच्चों की मौत पर राजनीति नहीं करनी चाहिए, बल्कि सरकार को व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए. निशा सिद्धू ने कहा कि महिला संगठनों की टीम कोटा पहुंची है और वह वहां के व्यवस्था की जांच पड़ताल करेगी.

बता दें कि कोटा के जेके लोन अस्पताल में 35 दिनों में 110 बच्चों की मौत हो गई है. जिसके बाद लगातार सरकार के खिलाफ विपक्ष और सामाजिक कार्यकर्तओं ने मोर्चा खोल दिया है. इसी बीच जोधपुर और बीकानेर में भी बच्चों की मौत का मामला सामने आया है.

यह भी पढ़ें- जोधपुर में शिशुओं की मौत चिंता जनक, सरकार इसे रोकने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है: अर्चना शर्मा

जानकारी के अनुसार जोधपुर में जहां 146 बच्चों की मौत का मामला सामने आया है, तो वहीं बीकानेर में 162 बच्चों की मौत हुई है. यह आंकड़ा सिर्फ दिसंबर 2019 का है. लगातार बच्चों की मौत का मुख्य कारण अभी तक साफ नहीं हो पाया है.

Intro:जयपुर- प्रदेश में कोटा में नवजात बच्चों की मौत का मामला अब जोधपुर, उदयपुर और बीकानेर तक पहुँच गया है। दिसंबर 2019 में प्रदेशभर के सरकारी अस्पतालों में नवजात शिशुओं की मौत सियासी रूप भी ले चुकी है। बच्चों की मौत पर जहां विपक्ष सरकार को घेर रहा है तो वही कई महिला संगठनों ने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। महिला संगठनों ने राजधानी जयपुर में शांति प्रदर्शन कर सरकार से कार्यवाही करने की मांग रखी। समाजसेवी निशा सिद्दू ने कहा की बच्चों की मौत पर राजनीति नहीं करनी चाहिए। बल्कि सरकारों को व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए। निशा सिद्दू ने बताया की महिला संगठनों की टीम कोटा पहुँची है और वहां की व्यवस्था की जांच पड़ताल करेगी।
Body:आपको बता दे, कोटा के जेके लोन अस्पताल में 35 दिनों में 110 बच्चों की मौत हुई है। जिसके बाद लगातार सरकार के खिलाफ विपक्ष से लेकर लोगों ने मोर्चा खोल दिया है। इसी बीच जोधपुर और बीकानेर में भी बच्चों की मौत का मामला सामने आया है। जोधपुर में जहां 146 बच्चों की मौत हुई है तो वही बीकानेर में 162 बच्चों की मौत हुई है। ये आंकड़ा सिर्फ दिसंबर 2019 का है। लगातार बच्चों की मौत का मुख्य कारण अभी तक साफ नहीं हुआ है। बताया जा रहा है अस्पतालों में उपकरणों की कमी और अव्यवस्थाओं के कारण बच्चों को मौत हुई है।

बाईट- निशा सिद्दू, समाज सेवीConclusion:
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