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कोरोना संक्रमण को लेकर क्या कहता है ज्योतिष! जानिए- कब मिलेगा इससे छुटकारा

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Published : May 8, 2020, 1:18 PM IST

Updated : May 8, 2020, 2:08 PM IST

प्रसिद्ध ज्योतिषी पंडित अखिलेश कुमार शर्मा का कहना है कि कोरोना वायरस का पूरी तरह से खात्मा नवम्बर के आखरी सप्ताह में हो जाएगा.

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ज्योतिषी अखिलेश कुमार शर्मा से बातचीत (पार्ट-1)

जयपुर. पूरे देश में अब तक कोरोना से 1886 मौतें हो चुकी हैं और देश में अभी भी लॉकडाउन लगा हुआ है. सब यही जानना चाहते हैं कि इस खतरनाक बीमारी की अंत कब होगा? विश्वभर में खौफ का पर्याय बन चुके कोरोना वायरस के खात्मे के लिए विश्व भर के वैज्ञानिक वैक्सीन की खोज में लगे हुए हैं. लेकिन कुंडली के आधार ज्योतिष की गणना को मानें तो 30 मई के बाद से इस वैश्विक महामारी का प्रभाव कम होने लगेगा.

ज्योतिषी अखिलेश कुमार शर्मा से बातचीत (पार्ट-1)

हालांकि 30 जून तक इसमें उतार-चढ़ाव बने रहेंगे. लेकिन जून के बाद से इस वायरस से लोगों में फैल रहे संक्रमण के प्रभाव में कमी आएगी और इसका असर ना के बराबर रह जाएगा. ज्योतिष के आधार पर पंडित अखिलेश शर्मा ने बताया कि भारत के जन्म लग्न के आधार पर वर्तमान समय में चंद्र की महादशा चल रही है. 10 दिसंबर, 2019 से चंद्र की महादशा में शनि का अंतर शुरू हुआ है. जो 23 जनवरी 2020 तक शनि धनु राशि में स्थित था.

कोरोना का नवंबर तक होगा अंत- अखिलेश कुमार (पार्ट-2)

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24 जनवरी, 2020 को 9:51 पर शनि ने मकर राशि में प्रवेश किया है. विश्व के जन्म लग्न के आधार पर शनि षस्टेस और सप्तमेश होकर पंचम भाव पर धनु राशि में आसीन था. इसके साथ ही शनि बृहस्पति की राशि में आसीन था. ऐसा होने से विश्व में कोरोना नाम की बीमारी धनु राशि के शनि में पश्चिम और दक्षिण के मध्य कोण से इंगित होना नजर आता है.

भारत के विषय में जब विचार किया जाता है, तो भारत का वृषभ लग्न में है. वहीं लग्नेश शुक्र का षस्टेस भी होना स्पष्ट करता है कि भारत में यह बीमारी जनवरी के अंतिम सप्ताह में विदेशी व्यक्तियों के आगमन से आई है. शास्त्रों के अनुसार शुक्र जल को तत्व माना जाता है जो वात और कफ प्रवृत्ति का होता है. ऐसे में शुक्र के धरती के वृषभ लग्न में होने से गले की समस्या से जुड़ी हुई बीमारी बनी हुई है.

गोचर में शुक्र जनवरी के अंतिम सप्ताह में उच्च राशि में अर्थात लग्नेश और षस्टेस होकर लग्न से एकादश पर है. जो षस्टेश षडाष्टक योग बनाकर बैठ गया है और अपनी नीच दृष्टि से पंचम स्थान को देख रहा है. जिसके फलस्वरूप यह बीमारी भारत में जनवरी के अंतिम सप्ताह में उदित हुई है.

यह भी पढ़ें- स्पेशल: राजस्थान के सबसे बड़े मंदिर श्रीनाथजी जी के भंडार पर 'लॉक', 8 करोड़ से ज्यादा की आय प्रभावित

वहीं मेष राशि में शुक्र आने पर इस बीमारी का प्रारंभ अत्यधिक अभिवृत्ति कारक होता जा रहा है. वर्तमान में शुक्र षस्टेश होकर लग्न पर होने से यह बीमारी अत्यधिक प्रकोप में है. जिसका प्रभाव 23 फरवरी से प्रारंभ होकर 30 मई, 2020 तक रहेगा.

इस बीमारी के अंत की बात की जाए तो जैसे ही मिथुन राशि में शुक्र का प्रवेश होगा. इसका अंत होना प्रारंभ हो जाएगा. नवंबर 2020 तक बीमारी छद्म रूप में नजर आती रहेगी. वहीं नवंबर, 2020 के बाद पूरे विश्व से इस बीमारी का अंत हो जाएगा. अखिलेश शर्मा की मानें तो कोरोना का वायरस स्वतः ही समाप्त होगा. लेकिन इसका श्रेय विज्ञान को जाएगा.

जयपुर. पूरे देश में अब तक कोरोना से 1886 मौतें हो चुकी हैं और देश में अभी भी लॉकडाउन लगा हुआ है. सब यही जानना चाहते हैं कि इस खतरनाक बीमारी की अंत कब होगा? विश्वभर में खौफ का पर्याय बन चुके कोरोना वायरस के खात्मे के लिए विश्व भर के वैज्ञानिक वैक्सीन की खोज में लगे हुए हैं. लेकिन कुंडली के आधार ज्योतिष की गणना को मानें तो 30 मई के बाद से इस वैश्विक महामारी का प्रभाव कम होने लगेगा.

ज्योतिषी अखिलेश कुमार शर्मा से बातचीत (पार्ट-1)

हालांकि 30 जून तक इसमें उतार-चढ़ाव बने रहेंगे. लेकिन जून के बाद से इस वायरस से लोगों में फैल रहे संक्रमण के प्रभाव में कमी आएगी और इसका असर ना के बराबर रह जाएगा. ज्योतिष के आधार पर पंडित अखिलेश शर्मा ने बताया कि भारत के जन्म लग्न के आधार पर वर्तमान समय में चंद्र की महादशा चल रही है. 10 दिसंबर, 2019 से चंद्र की महादशा में शनि का अंतर शुरू हुआ है. जो 23 जनवरी 2020 तक शनि धनु राशि में स्थित था.

कोरोना का नवंबर तक होगा अंत- अखिलेश कुमार (पार्ट-2)

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24 जनवरी, 2020 को 9:51 पर शनि ने मकर राशि में प्रवेश किया है. विश्व के जन्म लग्न के आधार पर शनि षस्टेस और सप्तमेश होकर पंचम भाव पर धनु राशि में आसीन था. इसके साथ ही शनि बृहस्पति की राशि में आसीन था. ऐसा होने से विश्व में कोरोना नाम की बीमारी धनु राशि के शनि में पश्चिम और दक्षिण के मध्य कोण से इंगित होना नजर आता है.

भारत के विषय में जब विचार किया जाता है, तो भारत का वृषभ लग्न में है. वहीं लग्नेश शुक्र का षस्टेस भी होना स्पष्ट करता है कि भारत में यह बीमारी जनवरी के अंतिम सप्ताह में विदेशी व्यक्तियों के आगमन से आई है. शास्त्रों के अनुसार शुक्र जल को तत्व माना जाता है जो वात और कफ प्रवृत्ति का होता है. ऐसे में शुक्र के धरती के वृषभ लग्न में होने से गले की समस्या से जुड़ी हुई बीमारी बनी हुई है.

गोचर में शुक्र जनवरी के अंतिम सप्ताह में उच्च राशि में अर्थात लग्नेश और षस्टेस होकर लग्न से एकादश पर है. जो षस्टेश षडाष्टक योग बनाकर बैठ गया है और अपनी नीच दृष्टि से पंचम स्थान को देख रहा है. जिसके फलस्वरूप यह बीमारी भारत में जनवरी के अंतिम सप्ताह में उदित हुई है.

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वहीं मेष राशि में शुक्र आने पर इस बीमारी का प्रारंभ अत्यधिक अभिवृत्ति कारक होता जा रहा है. वर्तमान में शुक्र षस्टेश होकर लग्न पर होने से यह बीमारी अत्यधिक प्रकोप में है. जिसका प्रभाव 23 फरवरी से प्रारंभ होकर 30 मई, 2020 तक रहेगा.

इस बीमारी के अंत की बात की जाए तो जैसे ही मिथुन राशि में शुक्र का प्रवेश होगा. इसका अंत होना प्रारंभ हो जाएगा. नवंबर 2020 तक बीमारी छद्म रूप में नजर आती रहेगी. वहीं नवंबर, 2020 के बाद पूरे विश्व से इस बीमारी का अंत हो जाएगा. अखिलेश शर्मा की मानें तो कोरोना का वायरस स्वतः ही समाप्त होगा. लेकिन इसका श्रेय विज्ञान को जाएगा.

Last Updated : May 8, 2020, 2:08 PM IST
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