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Wildlife Census 2022: आंकड़े भेजे जाएंगे वन मुख्यालय, दो साल बाद पता चलेगी जंगलों में वन्यजीवों की वास्तविक स्थिति - ETV bharat rajasthan News

प्रदेश में वन्यजीव गणना 2022 मंगलवार को पूरी हो गई है (Wildlife Census completed in Rajasthan). राजस्थान के सभी जंगलों में 27 सेंचुरी में वन्यजीवों की गणना की गई है. आंकड़ों को एकत्रित करके वन मुख्यालय यानी अरण्य भवन भेजा जाएगा.

wildlife Census 2022
वन्यजीव गणना 2022 पूरी
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Published : May 17, 2022, 5:40 PM IST

जयपुर. प्रदेश में वन्यजीव गणना 2022 मंगलवार को पूरी हो गई है. अब प्रदेशभर से वन्यजीव गणना के आंकड़े (Wildlife Census completed in Rajasthan) एकत्रित करके वन मुख्यालय यानी अरण्य भवन भेजे जाएंगे. करीब 2 साल बाद प्रदेश के जंगलों में वन्यजीवों की वास्तविक स्थिति का पता चलेगा. पिछले 2 साल कोरोना की वजह से वन्यजीव गणना नहीं हो पाई थी. प्रदेश में सोमवार सुबह 8:00 बजे से वन्यजीव गणना शुरू की गई थी और मंगलवार सुबह 8:00 बजे गणना कंप्लीट हो गई.

वन्यजीव गणना के बाद आंकड़ों की अधिकारी तुलना करेंगे. वन्यजीवों की संख्या में बढ़ोतरी होती है तो वन विभाग के लिए बड़ी खुशखबरी की बात होगी. अगर आंकड़ों में कमी आई तो वन विभाग के लिए चिंता का विषय होगा. राजस्थान के सभी जंगलों में 27 सेंचुरी में वन्यजीवों की गणना की गई है. वाटर होल पद्धति के आधार पर वन्यजीवों की गिनती की गई है. जंगलों में वाटर पॉइंट्स पर लगातार 24 घंटे निगरानी रखी गई. वन कर्मियों के साथ वन्यजीव प्रेमियों ने मचान पर बैठकर 24 घंटे वन्यजीवों की गणना की गई.

पढे़ं.Wildlife census 2022: जीवों की गणना हुई पूरी, भीलवाड़ा जिला पर्यटक की दृष्टी से होगा प्रसिद्ध -उप वन संरक्षक

इस बार वन्यजीवों की 24 प्रजातियों की गणना की गई है. वन्यजीव गणना में तकनीकी का भी उपयोग किया गया. कई जगह पर वाटर पॉइंट पर कैमरा ट्रैप भी लगाए गए, जहां पानी पीने आने वाले वन्यजीवों की फोटो एविडेंस के साथ कैमरे में कैद हुई है. कोरोना काल से पहले वन विभाग ने वन्यजीवों के आंकड़े जारी किए थे. अब दो साल बाद जंगलों में वन्यजीवों के हालात पता चल सकेंगे. प्रदेश में रणथंबोर, सरिस्का, मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में वन्यजीवों की गणना एनटीसीए प्रोटोकॉल से की जाती है. ऐसे में इन टाइगर रिजर्व के अलावा 27 सेंचुरी क्षेत्र में वन्यजीवो को वाटर होल सेंसस के जरिए गिना जाता है.

पूर्णिमा के दिन होती है वन्यजीव गणना: वन्यजीव गणना हमेशा पूर्णिमा को ही की जाती है. क्योंकि पूर्णिमा की चांदनी रात में कर्मचारी आसानी से वन्यजीवों की गिनती कर पाते हैं. दिन में भी तेज धूप के चलते वन्यजीव पानी पीने के लिए वाटर पॉइंट पर जरूर आते हैं. राजधानी जयपुर की बात की जाए तो झालाना वन, गलता- आमागढ़ वन क्षेत्र और नाहरगढ़ वन क्षेत्र में गणना की जा रही है.

24 प्रजातियों के वन्यजीवों की हुई गणना: वन्यजीव गणना में भालू, पैंथर, सियागोश, लकड़बग्घे, भेड़िए, सियार, लोमड़ी, जंगली बिल्ली, लंगूर, जंगली, सूअर, नीलगाय, सांभर, चीतल, काला हिरण, चिंकारा, नेवला, बिज्जू और सेही को गिना गया. हालांकि प्रदेश में वन्यजीवों की सैकड़ों प्रजातियां हैं, लेकिन इस बार 24 प्रजातियों की गणना में शामिल किया गया.

जयपुर. प्रदेश में वन्यजीव गणना 2022 मंगलवार को पूरी हो गई है. अब प्रदेशभर से वन्यजीव गणना के आंकड़े (Wildlife Census completed in Rajasthan) एकत्रित करके वन मुख्यालय यानी अरण्य भवन भेजे जाएंगे. करीब 2 साल बाद प्रदेश के जंगलों में वन्यजीवों की वास्तविक स्थिति का पता चलेगा. पिछले 2 साल कोरोना की वजह से वन्यजीव गणना नहीं हो पाई थी. प्रदेश में सोमवार सुबह 8:00 बजे से वन्यजीव गणना शुरू की गई थी और मंगलवार सुबह 8:00 बजे गणना कंप्लीट हो गई.

वन्यजीव गणना के बाद आंकड़ों की अधिकारी तुलना करेंगे. वन्यजीवों की संख्या में बढ़ोतरी होती है तो वन विभाग के लिए बड़ी खुशखबरी की बात होगी. अगर आंकड़ों में कमी आई तो वन विभाग के लिए चिंता का विषय होगा. राजस्थान के सभी जंगलों में 27 सेंचुरी में वन्यजीवों की गणना की गई है. वाटर होल पद्धति के आधार पर वन्यजीवों की गिनती की गई है. जंगलों में वाटर पॉइंट्स पर लगातार 24 घंटे निगरानी रखी गई. वन कर्मियों के साथ वन्यजीव प्रेमियों ने मचान पर बैठकर 24 घंटे वन्यजीवों की गणना की गई.

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इस बार वन्यजीवों की 24 प्रजातियों की गणना की गई है. वन्यजीव गणना में तकनीकी का भी उपयोग किया गया. कई जगह पर वाटर पॉइंट पर कैमरा ट्रैप भी लगाए गए, जहां पानी पीने आने वाले वन्यजीवों की फोटो एविडेंस के साथ कैमरे में कैद हुई है. कोरोना काल से पहले वन विभाग ने वन्यजीवों के आंकड़े जारी किए थे. अब दो साल बाद जंगलों में वन्यजीवों के हालात पता चल सकेंगे. प्रदेश में रणथंबोर, सरिस्का, मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में वन्यजीवों की गणना एनटीसीए प्रोटोकॉल से की जाती है. ऐसे में इन टाइगर रिजर्व के अलावा 27 सेंचुरी क्षेत्र में वन्यजीवो को वाटर होल सेंसस के जरिए गिना जाता है.

पूर्णिमा के दिन होती है वन्यजीव गणना: वन्यजीव गणना हमेशा पूर्णिमा को ही की जाती है. क्योंकि पूर्णिमा की चांदनी रात में कर्मचारी आसानी से वन्यजीवों की गिनती कर पाते हैं. दिन में भी तेज धूप के चलते वन्यजीव पानी पीने के लिए वाटर पॉइंट पर जरूर आते हैं. राजधानी जयपुर की बात की जाए तो झालाना वन, गलता- आमागढ़ वन क्षेत्र और नाहरगढ़ वन क्षेत्र में गणना की जा रही है.

24 प्रजातियों के वन्यजीवों की हुई गणना: वन्यजीव गणना में भालू, पैंथर, सियागोश, लकड़बग्घे, भेड़िए, सियार, लोमड़ी, जंगली बिल्ली, लंगूर, जंगली, सूअर, नीलगाय, सांभर, चीतल, काला हिरण, चिंकारा, नेवला, बिज्जू और सेही को गिना गया. हालांकि प्रदेश में वन्यजीवों की सैकड़ों प्रजातियां हैं, लेकिन इस बार 24 प्रजातियों की गणना में शामिल किया गया.

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