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Special: आखिर क्यों हैं भगवान गणेश प्रथम पूज्य?

भगवान गणेश को किसी भी शुभ कार्य करने से पहले पूजा जाता है. विघ्नहर्ता की इतनी मान्यता है कि उन्हें पूजे बिना कोई कार्य सफल नहीं माना जाता है. एक बार स्वयं शिवजी को अपने कार्य पूर्ति के लिए भगवान गणेश को पहले पूजना पड़ा था, जानें क्यों...

Rajasthan news, गणेश चुतुर्थी 2020
भगवान गणेश क्यों पूजते हैें पहले
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Published : Aug 21, 2020, 11:03 AM IST

जयपुर. किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत करने से पहले भगवान गणेश का स्मरण किया जाता है. इसलिए मुहावरा भी है श्रीगणेश करना. गजानंद, गजदंत, गजमुख जैसे अनेक नामों से पूजे जाने वाले प्रथम पूज्य भगवान श्रीगणेश को पहले ही क्यों पूजा जाता है, इसके पीछे एक पौराणिक कथा है.

भगवान गणेश क्यों पूजते हैें पहले

'वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ, निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा' किसी भी शुभ कार्यों का शुभारंभ करने से पहले भगवान गणेश का स्मरण इस मंत्र के साथ किया जाता रहा है. जिसकी वजह है कि भगवान श्रीगणेश का ज्ञान, बुद्धि और सौभाग्य.

गणेश चतुर्थी 22 अगस्त को मनाई जाएगी. भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र विघ्नहर्ता गणेश भगवान का जन्म भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन हुआ. इसलिए इस दिन गणेश चतुर्थी मनाते हैं. इस दिन गणपति बप्पा के भक्त गणेशजी की प्रतिमा अपने घरों या पंडालों में धूमधाम से विराजमान करते हैं.

क्यों मनाते हैं गणेश चतुर्थी

पौराणिक कथाओं के अनुसार एक दिन मां पार्वती चंदन का उपटन लगा रही थी. तभी उन्होंने उबटन से श्रीगणेश को मूर्तरूप दिया और उसमें जान डाल दी. इसके बाद शिवशंकर भोलेनाथ घर पहुंचे तो बालरूप में गणेश ने उन्हें घर में जाने से रोक दिया. इससे भगवान शिव क्रोधित हो गए और गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया. जिसके बाद मां पार्वती बेहद दुःखी हुई और शिव से नाराज हो गई. तभी पार्वती को जीवित करने का वचन देकर शिव भगवान ने अपने गणों से किसी बच्चे का मस्तिक लाने को कहा लेकिन काफी समय गुजर जाने पर बालक का सिर नहीं मिला तो वो हाथी के छोटे बच्चे का सिर लेकर आए और गणेश भगवान को लगा दिया. ऐसे में जब ये पूरी घटना हुई तब चतुर्थी तिथि थी, तभी से इसे गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है.

भगवान श्रीगणेश की पूजा विधि और मुहूर्त

• सबसे पहले एक लकड़ी का बाजोट ले और उस पर लाल वस्त्र बिछाएं फिर गणेश जी को विराजमान करें

• गजानंद जी की मूर्ति है तो उसे बाजोट पर विराजमान करे और नहीं तो तस्वीर विराजमान कर सकते हैं

• गौरीपुत्र के सामने हाथ जोड़ कर फिर उनका आव्हान करें

• उसके पश्चात मंत्र पढ़ कर भगवान गणेश को वस्त्र पहनाकर मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करें

• वहीं चंदन-कुमकुम या फिर सिंदूर का तिलक लगाएं

• इसके साथ ही पुष्प अर्पित कर रोली-मौली के साथ फल प्रसाद के रूप में मोदक अर्पित कर मंत्रोजाप से पूजा-पाठ करके आशीर्वाद प्राप्त करें

• शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 20 मिनट से 1 बजकर 46 मिनट तक मतलब करीब सवा दो घण्टे का मुहूर्त रहेगा

• 12 बजकर 30 मिनट से 1 बजकर 46 मिनट तक भी श्रष्टम पूजा का मुहूर्त रहेगा

क्यों प्रथम पूज्य हैं गणेश

भगवान गणेश को 'प्रथम पूज्य' के तौर पर क्यों पूजा जाता है. इसको लेकर ज्योतिषविद पंडित डॉ. राजेश शर्मा ने बताया कि इसके पीछे एक पौराणिक मान्यता है. कहा जाता है कि एक बार सभी देवताओं में इस बात पर विवाद खड़ा हो गया कि धरती पर सबसे पहले किसकी पूजा हो. ऐसे में नारद जी ने इस विकट स्थिति को देखते हुए सभी देवगणों को भगवान भोलेनाथ की शरण में जाकर हल ढूंढने का प्रयास किया. तब इस उलझन को सुलझाने के लिए भोले भंडारी ने एक योजना सोचकर एक प्रतियोगिता आयोजित की. जिसमें कहा गया कि सभी देवगण अपने-अपने वाहनों पर बैठकर इस पूरे ब्रह्मांड की परिक्रमा कर उनके पास जो पहले पहुंचेगा, वही सर्वप्रथम पूज्य माना जाएगा.

भगवान गणेश क्यों पूजते हैें पहले
पौराणिक कथा के अनुसार ऐसे भगवान गणेश को लगाया गया हाथी का सिर

यह भी पढ़ें. SPECIAL: कभी जुटती थी श्रद्धालुओं की भारी भीड़, अब कोरोना की वजह से आस्था पर लगा 'ताला'

जिसके बाद मोदकों के लाल श्रीगणेश को छोड़कर सभी देवता निकल पड़े लेकिन गणेश जी ने बाकी देवगणों की देखादेखी छोड़ अपने माता-पिता की सात परिक्रमा कर उनके सम्मुख हाथ जोड़कर खड़े हो गए. जब बाकी देवता पहुंचे, तब भगवान शिव ने गणपति को विजयी घोषित कर दिया. सभी देवता अचंभित हो गए और इसका कारण पूछा तो शिवजी ने बताया कि पूरे ब्रह्मांड में माता-पिता को सर्वोच्च स्थान दिया गया है. माता-पिता का स्थान देवताओं और पूरी सृष्टि से भी उच्च माने गया है. तभी से विघ्नहर्ता को प्रथम पूज्य भगवान श्रीगणेश माना जाता है.

Rajasthan news, गणेश चुतुर्थी 2020
गणेश भगवान ने माता-पिता की प्रक्रिमा कर सभी देवगण को हराया

शिव को भी पूजना पड़ा भगवान गणेश को

उसके बाद प्रथम पूजनीय का महत्व कितना अधिक है, ये तब पता चला जब खुद भगवान भोलेनाथ एक दिन राक्षसों का वध करने के लिए चले गए थे लेकिन उन राक्षसों का वध उनसे नहीं हो सका. तब नारद जी प्रकट हुए और कहा प्रभु आपने तो खुद गणेशजी को प्रथम पूज्य का वरदान दिया था. अब आप पहले श्रीगणेश जी की पूजा कीजिए और फिर राक्षसों का वध हो जाएगा. जिसके बाद शिव भगवान ने पहले गणेशजी की आराधना की और राक्षसों का वध किया. तब से लेकर अब तक हर शुभकार्यों से पहले श्रीगणेश जी को प्रथम पूज्य के तौर पर पूजा जाता है.

यह भी पढ़ें. Special Report : मूर्तिकारों के सामने रोजी-रोटी का संकट, कोरोना काल में घटा 'विघ्नहर्ता' का साइज

ऐसे में गणेश चतुर्थी के अलावा भी घर में शादी- ब्याह और अनुष्ठान से लेकर शुभ कार्यों में कोई विघ्न-बाधा न आए, इसलिए प्रथम पूज्य भगवान गणेशजी की पूजा करके श्रीगणेश किया जाता है. जिससे सभी पर रिद्धि-सिद्धि के दाता और शुभ-लाभ के प्रदाता गणपति बप्पा का आर्शीवाद बना रहें.

जयपुर. किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत करने से पहले भगवान गणेश का स्मरण किया जाता है. इसलिए मुहावरा भी है श्रीगणेश करना. गजानंद, गजदंत, गजमुख जैसे अनेक नामों से पूजे जाने वाले प्रथम पूज्य भगवान श्रीगणेश को पहले ही क्यों पूजा जाता है, इसके पीछे एक पौराणिक कथा है.

भगवान गणेश क्यों पूजते हैें पहले

'वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ, निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा' किसी भी शुभ कार्यों का शुभारंभ करने से पहले भगवान गणेश का स्मरण इस मंत्र के साथ किया जाता रहा है. जिसकी वजह है कि भगवान श्रीगणेश का ज्ञान, बुद्धि और सौभाग्य.

गणेश चतुर्थी 22 अगस्त को मनाई जाएगी. भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र विघ्नहर्ता गणेश भगवान का जन्म भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन हुआ. इसलिए इस दिन गणेश चतुर्थी मनाते हैं. इस दिन गणपति बप्पा के भक्त गणेशजी की प्रतिमा अपने घरों या पंडालों में धूमधाम से विराजमान करते हैं.

क्यों मनाते हैं गणेश चतुर्थी

पौराणिक कथाओं के अनुसार एक दिन मां पार्वती चंदन का उपटन लगा रही थी. तभी उन्होंने उबटन से श्रीगणेश को मूर्तरूप दिया और उसमें जान डाल दी. इसके बाद शिवशंकर भोलेनाथ घर पहुंचे तो बालरूप में गणेश ने उन्हें घर में जाने से रोक दिया. इससे भगवान शिव क्रोधित हो गए और गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया. जिसके बाद मां पार्वती बेहद दुःखी हुई और शिव से नाराज हो गई. तभी पार्वती को जीवित करने का वचन देकर शिव भगवान ने अपने गणों से किसी बच्चे का मस्तिक लाने को कहा लेकिन काफी समय गुजर जाने पर बालक का सिर नहीं मिला तो वो हाथी के छोटे बच्चे का सिर लेकर आए और गणेश भगवान को लगा दिया. ऐसे में जब ये पूरी घटना हुई तब चतुर्थी तिथि थी, तभी से इसे गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है.

भगवान श्रीगणेश की पूजा विधि और मुहूर्त

• सबसे पहले एक लकड़ी का बाजोट ले और उस पर लाल वस्त्र बिछाएं फिर गणेश जी को विराजमान करें

• गजानंद जी की मूर्ति है तो उसे बाजोट पर विराजमान करे और नहीं तो तस्वीर विराजमान कर सकते हैं

• गौरीपुत्र के सामने हाथ जोड़ कर फिर उनका आव्हान करें

• उसके पश्चात मंत्र पढ़ कर भगवान गणेश को वस्त्र पहनाकर मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करें

• वहीं चंदन-कुमकुम या फिर सिंदूर का तिलक लगाएं

• इसके साथ ही पुष्प अर्पित कर रोली-मौली के साथ फल प्रसाद के रूप में मोदक अर्पित कर मंत्रोजाप से पूजा-पाठ करके आशीर्वाद प्राप्त करें

• शुभ मुहूर्त सुबह 11 बजकर 20 मिनट से 1 बजकर 46 मिनट तक मतलब करीब सवा दो घण्टे का मुहूर्त रहेगा

• 12 बजकर 30 मिनट से 1 बजकर 46 मिनट तक भी श्रष्टम पूजा का मुहूर्त रहेगा

क्यों प्रथम पूज्य हैं गणेश

भगवान गणेश को 'प्रथम पूज्य' के तौर पर क्यों पूजा जाता है. इसको लेकर ज्योतिषविद पंडित डॉ. राजेश शर्मा ने बताया कि इसके पीछे एक पौराणिक मान्यता है. कहा जाता है कि एक बार सभी देवताओं में इस बात पर विवाद खड़ा हो गया कि धरती पर सबसे पहले किसकी पूजा हो. ऐसे में नारद जी ने इस विकट स्थिति को देखते हुए सभी देवगणों को भगवान भोलेनाथ की शरण में जाकर हल ढूंढने का प्रयास किया. तब इस उलझन को सुलझाने के लिए भोले भंडारी ने एक योजना सोचकर एक प्रतियोगिता आयोजित की. जिसमें कहा गया कि सभी देवगण अपने-अपने वाहनों पर बैठकर इस पूरे ब्रह्मांड की परिक्रमा कर उनके पास जो पहले पहुंचेगा, वही सर्वप्रथम पूज्य माना जाएगा.

भगवान गणेश क्यों पूजते हैें पहले
पौराणिक कथा के अनुसार ऐसे भगवान गणेश को लगाया गया हाथी का सिर

यह भी पढ़ें. SPECIAL: कभी जुटती थी श्रद्धालुओं की भारी भीड़, अब कोरोना की वजह से आस्था पर लगा 'ताला'

जिसके बाद मोदकों के लाल श्रीगणेश को छोड़कर सभी देवता निकल पड़े लेकिन गणेश जी ने बाकी देवगणों की देखादेखी छोड़ अपने माता-पिता की सात परिक्रमा कर उनके सम्मुख हाथ जोड़कर खड़े हो गए. जब बाकी देवता पहुंचे, तब भगवान शिव ने गणपति को विजयी घोषित कर दिया. सभी देवता अचंभित हो गए और इसका कारण पूछा तो शिवजी ने बताया कि पूरे ब्रह्मांड में माता-पिता को सर्वोच्च स्थान दिया गया है. माता-पिता का स्थान देवताओं और पूरी सृष्टि से भी उच्च माने गया है. तभी से विघ्नहर्ता को प्रथम पूज्य भगवान श्रीगणेश माना जाता है.

Rajasthan news, गणेश चुतुर्थी 2020
गणेश भगवान ने माता-पिता की प्रक्रिमा कर सभी देवगण को हराया

शिव को भी पूजना पड़ा भगवान गणेश को

उसके बाद प्रथम पूजनीय का महत्व कितना अधिक है, ये तब पता चला जब खुद भगवान भोलेनाथ एक दिन राक्षसों का वध करने के लिए चले गए थे लेकिन उन राक्षसों का वध उनसे नहीं हो सका. तब नारद जी प्रकट हुए और कहा प्रभु आपने तो खुद गणेशजी को प्रथम पूज्य का वरदान दिया था. अब आप पहले श्रीगणेश जी की पूजा कीजिए और फिर राक्षसों का वध हो जाएगा. जिसके बाद शिव भगवान ने पहले गणेशजी की आराधना की और राक्षसों का वध किया. तब से लेकर अब तक हर शुभकार्यों से पहले श्रीगणेश जी को प्रथम पूज्य के तौर पर पूजा जाता है.

यह भी पढ़ें. Special Report : मूर्तिकारों के सामने रोजी-रोटी का संकट, कोरोना काल में घटा 'विघ्नहर्ता' का साइज

ऐसे में गणेश चतुर्थी के अलावा भी घर में शादी- ब्याह और अनुष्ठान से लेकर शुभ कार्यों में कोई विघ्न-बाधा न आए, इसलिए प्रथम पूज्य भगवान गणेशजी की पूजा करके श्रीगणेश किया जाता है. जिससे सभी पर रिद्धि-सिद्धि के दाता और शुभ-लाभ के प्रदाता गणपति बप्पा का आर्शीवाद बना रहें.

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