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उपनिदेशक को सेवानिवृत्ति के चार साल बाद भी पेंशन क्यों नहीं?

उपनिदेशक को सेवानिवृत्ति के चार साल बाद भी पेंशन नहीं देने पर राजस्थान हाईकोर्ट ने विभाग के प्रमुख सचिव और निदेशक सहित पेंशन विभाग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. न्यायाधीश सतीश शर्मा ने यह आदेश प्यारेलाल वर्मा की ओर से दायर याचिका पर दिए.

राजस्थान हाईकोर्ट ने मांगा जवाब, Rajasthan High Court asks answer
सेवानिवृत्ति के बाद भी पेंशन नहीं
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Published : Nov 4, 2020, 8:56 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के उपनिदेशक पद से चार साल पहले सेवानिवृत्त हुए अधिकारी की पेंशन शुरू नहीं करने पर विभाग के प्रमुख सचिव और निदेशक सहित पेंशन विभाग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. न्यायाधीश सतीश शर्मा ने यह आदेश प्यारेलाल वर्मा की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता तनवीर अहमद ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता अगस्त 2016 में विभाग के उपनिदेशक पद से सेवानिवृत्त हुआ था. याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई विभागीय जांच या आरोप पत्र लंबित नहीं है. वहीं सेवानिवृत्ति के चार साल के भीतर सिर्फ राज्यपाल की अनुमति से ही विभागीय जांच शुरू की जा सकती है. चार साल की अवधि बीतने के बाद राज्यपाल भी विभागीय जांच के आदेश नहीं दे सकते. ऐसे में चार साल बाद भी याचिकाकर्ता की पेंशन शुरू नहीं करना गलत है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

पढ़ेंः वाहन चालक फायर भर्ती-2015 में खाली पद नहीं भरने पर HC ने मांगा जवाब

पटाखों पर रोक को लेकर HC में सुनवाई टली, जुर्माना आदेश को खंडपीठ में दी जाएगी चुनौती

वहीं राज्य सरकार की ओर से प्रदेश में आतिशबाजी और पटाखों पर पाबंदी लगाने के खिलाफ दायर याचिका पर हाईकोर्ट में 6 नवंबर तक सुनवाई टल गई है. न्यायालय ने पटाखों की बिक्री और आतिशबाजी करने पर जुर्माना लगाने के आदेश को रिकॉर्ड पर लेने को कहा है. न्यायाधीश अशोक गौड़ ने यह आदेश राजस्थान फायर वर्कर्स डीलर एंड मैन्यूफेक्चर्स एसोसिएशन की याचिका पर दिए. राज्य सरकार की ओर से नियमों में संशोधन कर जुर्माना राशि तय करने के खिलाफ एसोसिएशन की ओर से गुरुवार को खंडपीठ में याचिका पेश की जाएगी.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के उपनिदेशक पद से चार साल पहले सेवानिवृत्त हुए अधिकारी की पेंशन शुरू नहीं करने पर विभाग के प्रमुख सचिव और निदेशक सहित पेंशन विभाग को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. न्यायाधीश सतीश शर्मा ने यह आदेश प्यारेलाल वर्मा की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता तनवीर अहमद ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता अगस्त 2016 में विभाग के उपनिदेशक पद से सेवानिवृत्त हुआ था. याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई विभागीय जांच या आरोप पत्र लंबित नहीं है. वहीं सेवानिवृत्ति के चार साल के भीतर सिर्फ राज्यपाल की अनुमति से ही विभागीय जांच शुरू की जा सकती है. चार साल की अवधि बीतने के बाद राज्यपाल भी विभागीय जांच के आदेश नहीं दे सकते. ऐसे में चार साल बाद भी याचिकाकर्ता की पेंशन शुरू नहीं करना गलत है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

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वहीं राज्य सरकार की ओर से प्रदेश में आतिशबाजी और पटाखों पर पाबंदी लगाने के खिलाफ दायर याचिका पर हाईकोर्ट में 6 नवंबर तक सुनवाई टल गई है. न्यायालय ने पटाखों की बिक्री और आतिशबाजी करने पर जुर्माना लगाने के आदेश को रिकॉर्ड पर लेने को कहा है. न्यायाधीश अशोक गौड़ ने यह आदेश राजस्थान फायर वर्कर्स डीलर एंड मैन्यूफेक्चर्स एसोसिएशन की याचिका पर दिए. राज्य सरकार की ओर से नियमों में संशोधन कर जुर्माना राशि तय करने के खिलाफ एसोसिएशन की ओर से गुरुवार को खंडपीठ में याचिका पेश की जाएगी.

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