जयपुर. भाजपा ने पूर्व मंत्री रोहिताश शर्मा को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाकर संगठन में सियासी हलचल बढ़ा दी है. लेकिन उन नेताओं के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया जो बार-बार पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को आगामी मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने के साथ ही 'वसुंधरा ही भाजपा और भाजपा ही वसुंधरा' का बयान देते रहते हैं. बड़ा सवाल यह है कि क्या इस प्रकार का बयान अनुशासनहीनता के दायरे में आते हैं.
यह सवाल उठना लाजमी भी है क्योंकि राजस्थान भाजपा में बड़े नेताओं को लेकर उनके समर्थक नेता या कार्यकर्ता अमूमन इस प्रकार के बयान देते ही रहते हैं जो मीडिया में सुर्खियां बन जाती हैं. वर्तमान में भी पिछले कुछ माह में पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे से जुड़े समर्थकों ने ऐसे कई बयान सार्वजनिक तौर पर मीडिया में भी दिए हैं. रोहिताश शर्मा ने भी ऐसे ही बयान दिए थे लेकिन उनका पार्टी से निष्कासन का आधार उनकी ओर से केंद्रीय मंत्रियों की कार्यशैली को लेकर खड़े किए गए सवाल और पार्टी प्रदेश अध्यक्ष को लेकर दिए गए वक्तव्य को माना जा रहा है.
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पिछले दिनों हाड़ौती से आने वाले पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा के समर्थकों के बयान भी काफी चर्चा में थे. खासतौर पर छबड़ा से मौजूदा विधायक प्रताप सिंह सिंघवी ने बार-बार वसुंधरा राजे को राजस्थान का सर्वमान्य नेता बताया और आगामी विधानसभा चुनाव में उनका चेहरा सामने होने पर ही बीजेपी को जीत मिल पाने की बात कही. यही नहीं राजस्थान में वसुंधरा ही भाजपा और भाजपा ही वसुंधरा से जुड़े बयान तक सिंघवी ने दिए थे.
यही स्थिति पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल की भी रही जिन्होंने राजे के समर्थन में कुछ इस तरह के ही बयान कई बार दिए. पूर्व विधायक तरुण राय कागा और भरतपुर से पूर्व सांसद बहादुर सिंह कोली के कुछ ऐसे ही बयान पिछले दिनों सुर्खियों में रहे थे.
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सवाल ये उठता है कि क्या उनके ये बयान अनुशासनहीनता के दायरे में नहीं आते ? पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को 'भाजपा' और 'भाजपा' को वसुंधरा राजे बताने वाले बयान भाजपा संविधान में अनुशासनहीनता के दायरे में आते हैं या नहीं अब उसकी भी चर्चा शुरू हो चुकी है. मौजूदा हालातों में पिछले दिनों इस प्रकार के कई बयान आए लेकिन नेताओं पर संगठन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई.
यह इस बात का संकेत भी है कि शायद किसी नेता को उनके समर्थकों की ओर से अगले सीएम के फेस के रूप में घोषित करने की मांग या उसकी तुलना पार्टी से करना अनुशासनहीनता में नहीं आता क्योंकि यदि ये बयान अनुशासनहीनता के दायरे में आए होते तो राजस्थान में इस प्रकार के बयान देने वाले सभी नेताओं पर प्रदेश संगठन की गाज गिर चुकी होती.
प्रदेश भाजपा नेताओं से जुड़ा एक खेमा कहता है कि जिस प्रकार पूर्व मंत्री रोहिताश शर्मा पर संगठन ने कार्रवाई की है वह महज एक ट्रेलर था ताकि गलत बयानबाजी करने वाले नेता और कार्यकर्ता उससे सबक लें. यदि इसके बाद भी नेता बड़बोलेपन से बाज नहीं आते हैं तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई होगी. पिछले दिनों प्रदेश भाजपा कार्यसमिति की बैठक में प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह ने गलत बयानबाजी करने वाले नेताओं की सूची प्रदेश नेतृत्व से मांगी थी जिसके बाद संभावना जताई जा रही थी कि ऐसे नेताओं पर गाज गिरेगी, लेकिन सिर्फ एक मामले में कार्रवाई हुई.
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वसुंधरा राजे समर्थक नेताओं के पूर्व में आए बयानों को लेकर जब अनुशासन समिति अध्यक्ष और भाजपा के वरिष्ठ नेता ओंकार सिंह लखावत से बात की गई तो उन्होंने कहा कि भाजपा का अपना संविधान है जिसमें अनुशासन से जुड़ी पूरी जानकारी दी है. उसे पढ़ने के बाद सब कुछ साफ हो जाएगा.
इसके बाद जब नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया से इस बारे में पूछा गया कि आखिर नियम क्या है तो उन्होंने कहा कि कोई भी समर्थक अपने पसंदीदा नेता के समर्थन में ऐसे बयान देता है कि वह फला नेता को मुख्यमंत्री के रुप में देखना चाहता है तो अनुशासनहीनता के दायरे में नहीं आता है, लेकिन यदि पार्टी संगठन के खिलाफ उनका बयान होता है या संगठन की कार्यशैली के खिलाफ बोलता हो तो अनुशासनहीनता की श्रेणी में आता है.