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स्पेशल रिपोर्ट: राजस्थान के इस मंदिर में गणेश जी की श्वेत प्रतिमा...यहां सिंदूर की जगह चढ़ता है दूध और सांप की यज्ञोपवीत

राजधानी में ऐसे कई गणेश मंदिर है जो अपनी विशेष विशेषता के लिए विश्वविख्यात है. एक ओर जहां नाहरगढ़ की पहाड़ियों पर विश्व में एकमात्र बिना सूंड वाले गणेश जी विराजमान है तो वहीं जयपुर में श्वेत सिद्धि विनायक मंदिर में भगवान गणेश को केवल दूध और जल का अभिषेक होता है. यहां प्रतिमा पूरी सफेद है और यहां सांप की जनेउ गणेज जी के गले में विराजमान है.

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Published : Sep 2, 2019, 8:08 PM IST

Updated : Sep 2, 2019, 11:52 PM IST

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जयपुर. प्रदेश का एकमात्र ऐसा गणेश मंदिर जहां पर भगवान गणेश को सिंदूर नहीं चढ़ाया जाता है. राजधानी जयपुर के श्वेत सिद्धि विनायक मंदिर में भगवान गणेश को केवल दूध और जल का अभिषेक होता है. जयपुर के रामगंज चौपड़ और सूरजपोल गेट के बीच स्थित श्वेत सिद्धिविनायक गणेश मंदिर एकमात्र मंदिर है जहां भगवान गणेश की श्वेत प्रतिमा विराजमान है और भगवान गणेश की श्वेत प्रतिमा पर दुग्ध अभिषेक किया जाता है.

श्वेत प्रतिमा वाले गणेश जी

इस मंदिर में विराजमान भगवान गणेश प्रतिमा की स्थापना तांत्रिक विधि विधान से की गई थी और यही वजह है कि भगवान गणेश की प्रतिमा पर सिंदूर नहीं चढ़ाया जाता है.

पढ़ें: स्पेशल रिपोर्ट: विश्व का एकमात्र गणेश मंदिर, यहां है बिना सूंड वाले गणेश जी की प्रतिमा

श्वेत सिद्धि विनायक मंदिर में गणेश चतुर्थी के अवसर पर सुबह से ही भक्तों का तांता लगना शुरू हो जाता है. जहां दूर-दराज से भक्त अपनी मनोकामनाएं लिए भगवान गणेश के धोक लगाने के लिए पहुंचते हैं. यहां दिन भर भक्तों की लंबी-लंबी कतारें देखने को मिलती है. जयपुर में श्वेत सिद्धि विनायक मंदिर की स्थापना रामसिंह महाराज ने बुधवार बसंत पंचमी को की थी. यह पूर्व मुखी गणेश मंदिर है. जयपुर से सूर्य की पहली किरण भगवान गणेश के चरणों में मंगल अभिषेक करती है. इसकी खासियत है यहां पर भगवान गणेश के सर्प की जनेव है. साथ ही चार सर्प हाथों और पैरों में बंधे हुए हैं.

यह गणेश प्रतिमा तांत्रिक प्रतिमा है. जहा तंत्र का मतलब है तत्काल कार्य करने वाली प्रतिमा. इस मंदिर में भगवान गणेश तत्काल भक्तों की मनोकामनाएं स्वीकार करते हैं. प्रदेश का एकमात्र मंदिर है जहां भक्त अपने हाथों से भगवान गणेश का दुग्ध अभिषेक करते हैं. यहां पर सात बुधवार आने से भक्तों को मनोकामनाएं पूर्ण होती है. सिद्धि विनायक मंदिर में प्रदेश के हर कोने से भक्त दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. भगवान गणेश के हाथ पांव में सर्प बंधे होने से भक्तों द्वारा किया गया दुग्ध अभिषेक बहुत ही शुभ माना जाता है. इस अभिषेक के दूध को सर्प भी पीते हैं.

पढ़ें: दिल्ली से जयपुर लाई गई मादा हिप्पो, पर्यटकों के लिए बनेगा आकर्षण का केंद्र

श्वेत सिद्धि विनायक मंदिर के महंत मोहन लाल शर्मा ने बताया कि सुबह 4 बजे से भगवान गणेश का दुग्ध अभिषेक किया जा रहा है. गणेश चतुर्थी के अवसर पर सुबह से ही भक्तों का तांता लग जाता है. श्वेत सिद्धि विनायक मंदिर काफी प्राचीन मंदिर है जहां सूर्य की पहली किरण भगवान गणेश के चरणों में मंगल अभिषेक करती है. भगवान गणेश के पांच सर्प बंधे हुए हैं. दो हाथों में, दो पैरों में और एक जनेव के रूप में धारण किया हुआ है. भगवान गणेश को 108 लड्डुओं का भोग लगाया गया है. वही भक्ति संध्या का कार्यक्रम भी आयोजित किया गया. उन्होंने बताया कि करीब 250 वर्ष से ज्यादा पुराना मंदिर है जिसे महाराजा रामसिंह ने बनवाया था. यह प्रदेश का एकमात्र मंदिर है जहां पर भगवान गणेश का दुग्धाभिषेक किया जाता है.

जयपुर. प्रदेश का एकमात्र ऐसा गणेश मंदिर जहां पर भगवान गणेश को सिंदूर नहीं चढ़ाया जाता है. राजधानी जयपुर के श्वेत सिद्धि विनायक मंदिर में भगवान गणेश को केवल दूध और जल का अभिषेक होता है. जयपुर के रामगंज चौपड़ और सूरजपोल गेट के बीच स्थित श्वेत सिद्धिविनायक गणेश मंदिर एकमात्र मंदिर है जहां भगवान गणेश की श्वेत प्रतिमा विराजमान है और भगवान गणेश की श्वेत प्रतिमा पर दुग्ध अभिषेक किया जाता है.

श्वेत प्रतिमा वाले गणेश जी

इस मंदिर में विराजमान भगवान गणेश प्रतिमा की स्थापना तांत्रिक विधि विधान से की गई थी और यही वजह है कि भगवान गणेश की प्रतिमा पर सिंदूर नहीं चढ़ाया जाता है.

पढ़ें: स्पेशल रिपोर्ट: विश्व का एकमात्र गणेश मंदिर, यहां है बिना सूंड वाले गणेश जी की प्रतिमा

श्वेत सिद्धि विनायक मंदिर में गणेश चतुर्थी के अवसर पर सुबह से ही भक्तों का तांता लगना शुरू हो जाता है. जहां दूर-दराज से भक्त अपनी मनोकामनाएं लिए भगवान गणेश के धोक लगाने के लिए पहुंचते हैं. यहां दिन भर भक्तों की लंबी-लंबी कतारें देखने को मिलती है. जयपुर में श्वेत सिद्धि विनायक मंदिर की स्थापना रामसिंह महाराज ने बुधवार बसंत पंचमी को की थी. यह पूर्व मुखी गणेश मंदिर है. जयपुर से सूर्य की पहली किरण भगवान गणेश के चरणों में मंगल अभिषेक करती है. इसकी खासियत है यहां पर भगवान गणेश के सर्प की जनेव है. साथ ही चार सर्प हाथों और पैरों में बंधे हुए हैं.

यह गणेश प्रतिमा तांत्रिक प्रतिमा है. जहा तंत्र का मतलब है तत्काल कार्य करने वाली प्रतिमा. इस मंदिर में भगवान गणेश तत्काल भक्तों की मनोकामनाएं स्वीकार करते हैं. प्रदेश का एकमात्र मंदिर है जहां भक्त अपने हाथों से भगवान गणेश का दुग्ध अभिषेक करते हैं. यहां पर सात बुधवार आने से भक्तों को मनोकामनाएं पूर्ण होती है. सिद्धि विनायक मंदिर में प्रदेश के हर कोने से भक्त दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. भगवान गणेश के हाथ पांव में सर्प बंधे होने से भक्तों द्वारा किया गया दुग्ध अभिषेक बहुत ही शुभ माना जाता है. इस अभिषेक के दूध को सर्प भी पीते हैं.

पढ़ें: दिल्ली से जयपुर लाई गई मादा हिप्पो, पर्यटकों के लिए बनेगा आकर्षण का केंद्र

श्वेत सिद्धि विनायक मंदिर के महंत मोहन लाल शर्मा ने बताया कि सुबह 4 बजे से भगवान गणेश का दुग्ध अभिषेक किया जा रहा है. गणेश चतुर्थी के अवसर पर सुबह से ही भक्तों का तांता लग जाता है. श्वेत सिद्धि विनायक मंदिर काफी प्राचीन मंदिर है जहां सूर्य की पहली किरण भगवान गणेश के चरणों में मंगल अभिषेक करती है. भगवान गणेश के पांच सर्प बंधे हुए हैं. दो हाथों में, दो पैरों में और एक जनेव के रूप में धारण किया हुआ है. भगवान गणेश को 108 लड्डुओं का भोग लगाया गया है. वही भक्ति संध्या का कार्यक्रम भी आयोजित किया गया. उन्होंने बताया कि करीब 250 वर्ष से ज्यादा पुराना मंदिर है जिसे महाराजा रामसिंह ने बनवाया था. यह प्रदेश का एकमात्र मंदिर है जहां पर भगवान गणेश का दुग्धाभिषेक किया जाता है.

Intro:जयपुर
एंकर- प्रदेश का एकमात्र ऐसा गणेश मंदिर जहां पर भगवान गणेश को सिंदूर नहीं चढ़ाया जाता है राजधानी जयपुर के श्वेत सिद्धि विनायक मंदिर में भगवान गणेश को केवल दूध और जल का अभिषेक होता है। जयपुर के रामगंज चौपड़ और सूरजपोल गेट के बीच स्थित श्वेत सिद्धिविनायक गणेश मंदिर एकमात्र मंदिर है जहां भगवान गणेश की श्वेत प्रतिमा विराजमान है और भगवान गणेश की श्वेत प्रतिमा पर दुग्ध अभिषेक किया जाता है। इस मंदिर में विराजमान भगवान गणेश प्रतिमा की स्थापना तांत्रिक विधि विधान से की गई थी और यही वजह है कि भगवान गणेश की प्रतिमा पर सिंदूर नहीं चढ़ाया जाता है।


Body:श्वेत सिद्धि विनायक मंदिर में गणेश चतुर्थी के अवसर पर सुबह से ही भक्तों का तांता लगना शुरू हो जाता है। जहां दूर-दराज से भक्त अपनी मनोकामनाएं लिए भगवान गणेश के धोक लगाने के लिए पहुंचते हैं। यहां दिनभर भक्तों की लंबी लंबी कतारें देखने को मिलती है। जयपुर में श्वेत सिद्धि विनायक मंदिर की स्थापना रामसिंह महाराज ने बुधवार बसंत पंचमी को की थी। यह पूर्व मुखी गणेश मंदिर है। जयपुर से सूर्य की पहली किरण भगवान गणेश के चरणों में मंगल अभिषेक करती है। इसकी खासियत है यहां पर भगवान गणेश के सर्प की जनेव है। साथ ही चार सर्प हाथों और पैरों में बंधे हुए हैं। यह गणेश प्रतिमा तांत्रिक प्रतिमा है। जहा तंत्र का मतलब है तत्काल कार्य करने वाली प्रतिमा। इस मंदिर में भगवान गणेश तत्काल भक्तों की मनोकामनाएं स्वीकार करते हैं। प्रदेश का एकमात्र मंदिर है जहां भक्त अपने हाथों से भगवान गणेश का दुग्ध अभिषेक करते हैं। यहां पर सात बुधवार आने से भक्तों को मनोकामनाएं पूर्ण होती है। सिद्धि विनायक मंदिर में प्रदेश के हर कोने से भक्त दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। भगवान गणेश के हाथ पांव में सर्प बंधे होने से भक्तों द्वारा किया गया दुग्ध अभिषेक बहुत ही शुभ माना जाता है। इस अभिषेक के दूध को सर्प भी पीते हैं।

श्वेत सिद्धि विनायक मंदिर के महंत मोहन लाल शर्मा ने बताया कि सुबह 4 बजे से भगवान गणेश का दुग्ध अभिषेक किया जा रहा है। गणेश चतुर्थी के अवसर पर सुबह से ही भक्तों का तांता लग जाता है। श्वेत सिद्धि विनायक मंदिर काफी प्राचीन मंदिर है जहां सूर्य की पहली किरण भगवान गणेश के चरणों में मंगल अभिषेक करती है। भगवान गणेश के पांच सर्प बंधे हुए हैं। दो हाथों में, दो पैरों में और एक जनेव के रूप में धारण किया हुआ है। भगवान गणेश को 108 लड्डुओं का भोग लगाया गया है। वही भक्ति संध्या का कार्यक्रम भी आयोजित किया गया। उन्होंने बताया कि करीब 250 वर्ष से ज्यादा पुराना मंदिर है जिसे महाराजा रामसिंह ने बनवाया था। यह प्रदेश का एकमात्र मंदिर है जहां पर भगवान गणेश का दुग्धाभिषेक किया जाता है।

बाईट- मोहन लाल शर्मा, महंत, श्वेत सिद्धि विनायक मंदिर




Conclusion:
Last Updated : Sep 2, 2019, 11:52 PM IST
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