जयपुर. पंजाब के निवर्तमान मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से दी गयी नसीहत पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने कटाक्ष किया है. उन्होंने कहा कि नसीहत वहीं दे सकता है, जो डरा हुआ हो और जिसे अपनी जमीन खिसकती हुई नजर आ रही हो. जयपुर जिला परिषद में नवनिर्वाचित जिला प्रमुख रमा देवी चोपड़ा को कार्यभार ग्रहण करवाने आये सतीश पूनिया ने मीडिया से रूबरू होते हुए यह बात कही.
मीडिया से रूबरू होते हुए सतीश पूनिया ने कहा कि अशोक गहलोत अपने आलाकमान का कितना कहना मानते हैं यह तो पता नहीं, लेकिन ऐसी सलाह वही व्यक्ति दे सकता है जो डरा हुआ हो, जिसकी नीचे की जमीन खिसक गई हो और कुर्सी के पाए हिलते हो. जुम्मा जुम्मा अमरिंदर के बाद ढाई प्रदेशों में कांग्रेस की सरकार थी. अब यह तय हो गया है कि कांग्रेस के बड़े नेताओं का भी कांग्रेस से मोहभंग हो रहा है.
अशोक गहलोत के फ़ासिस्टराज के बयान को लेकर सतीश पूनिया ने कहा कि यह शब्द शायद अशोक गहलोत ने सोनिया गांधी के लिए कहा होगा, क्योंकि इस देश में फासिस्टराज उनकी सास ने ही शुरू किया था. आपातकाल लागू करने के बाद कांग्रेस की नीति फासिस्टवादी, वंशवादी और परिवारवादी रही है. न तो कांग्रेस और न ही उस परिवार में लोकतंत्र है। ऐसा नहीं होता तो कांग्रेस सत्ता से बाहर नहीं होती. 1885 की वह पार्टी जिसने 50 सालों तक शासन किया, वह अप्रासंगिक नीति और व्यवहार के कारण नहीं होती.
मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर सतीश पूनिया ने कहा कि यह सवाल अमिताभ बच्चन के कौन बनेगा करोड़पति के जैसे हो गया है. न तो सवाल का आधार है और न ही सवाल का जवाब मिल पा रहा है, और न ही लोगों को इनाम मिल पाएगा. प्रदेश में बाकी समस्याओं से बड़ा काम मंत्रिमंडल पुनर्गठन ही है. कई लोगों के कोर्ट सिले सिलाए रह गए और कई लोगों के मुंगेरीलाल के हसीन सपने हो गये, पता नहीं कब राधा नाचेगी और कब नौ मण तेल होगा.
भाजपा के चिंतन शिविर को लेकर सतीश पूनिया ने कहा कि चिंतन राजनीतिक शब्द नहीं है, चिंतन, मनन, मंथन यह सब हमारे पुरातन शब्द हैं और परंपराएं हैं. भारतीय जनता पार्टी जनसंघ के कालखंड से लेकर चिंतन, प्रशिक्षण, अभ्यास वर्ग आदि को लेकर खेलती नहीं है, यह उनकी नीति है. भाजपा के लोग अपने संगठन के कामों की निरंतर समीक्षा भी करते हैं और भविष्य की कार्ययोजना भी तय करते हैं.
इस बार हमारा मिशन रहेगा 2023 के विधानसभा चुनाव, जिसके लिए हम सब प्रतिबद्ध हैं. साथ ही पार्टी को नीचे तक कैसे सशक्त करें, प्रदेश में ऐसे कौन से सामाजिक और राजनीतिक मुद्दे हैं जिनमें हम मुखर होकर काम करना है, इन सब पर चिंतन शिविर में चर्चा की जाएगी. किया जाएगा कुल मिलाकर चिंता शिविर में हम सब खुलकर हम अपने विचार रखेंगे इसमें कोर कमेटी की बैठक भी की जाएगी जिसमें कोर कमेटी के सदस्य भाग लेंगे.