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आखिर कब शुरू होगा ड्राइविंग ट्रैक? विभाग का करोड़ों रुपए खा रहा धूल - ड्राइविंग ट्रैक

परिवहन विभाग की ओर से करीब डेढ़ साल पहले प्रदेश के सभी आरटीओ ऑफिस के अंतर्गत आमजन को ड्राइविंग टेस्ट देने के लिए ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक का निर्माण किया गया था, लेकिन 18 महीने से ज्यादा बीत जाने के बाद भी अभी भी परिवहन विभाग ड्राइविंग ट्रैक को शुरू नहीं कर पाया है.

jaipur news, driving track, RTO Office
आखिर कब शुरू होगा ड्राइविंग ट्रैक
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Published : Sep 18, 2020, 10:24 AM IST

जयपुर. परिवहन विभाग की ओर से करीब डेढ़ साल पहले प्रदेश के सभी आरटीओ ऑफिस के अंतर्गत आमजन को ड्राइविंग टेस्ट देने के लिए ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक का निर्माण किया गया था, लेकिन 18 महीने से ज्यादा बीत जाने के बाद भी अभी भी परिवहन विभाग ड्राइविंग ट्रैक को सुचारू नहीं कर पाया है. परिवहन विभाग के द्वारा जब जगतपुरा अतिरिक्त प्रादेशिक परिवहन कार्यालय के अंतर्गत ड्राइविंग ट्रैक को शुरू किया गया था, तब इस ड्राइविंग ट्रैक के अंतर्गत कई तरह की अनियमितता पाई गई थी.

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आखिर कब शुरू होगा ड्राइविंग ट्रैक

यह भी पढ़ें- सॉफ्टवेयर बनाने वाली 2 निजी कंपनियों पर CBI की रेड, कंप्यूटर में मैलवेयर संक्रमण फैलाने का आरोप

इसके बाद ड्राइविंग ट्रैक को लेकर परिवहन मुख्यालय के अंतर्गत ही अधिकारियों के बीच विवाद खड़ा हो गया था. जिसके बाद परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के द्वारा इस ड्राइविंग ट्रैक को बंद करने के आदेश जारी कर दिए गए थे, लेकिन अब बिना ड्राइविंग ट्रैक पर ऑटोमेटिक सिस्टम के द्वारा बिना टेस्ट दिए ही, आमजन को उनके लाइसेंस जारी किए जाते हैं. ऐसे में आम जन की जान के साथ विभाग की ओर से छेड़छाड़ भी की जा रही है, जो कि विभाग के ऊपर एक बड़ी लापरवाही भी है.

ऐसे में वाहन की कम जानकारी और कम वाहन चलाने वाले लोगों को भी विभाग की ओर से ड्राइविंग लाइसेंस जारी किए जा रहे हैं, जो कि प्रदेश के अंतर्गत सड़क हादसे बढ़ने का एक महत्वपूर्ण कारण भी है. इसके साथ ही परिवहन विभाग से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी और सूत्रों का कहना है कि 7 महीने पहले परिवहन मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास को ड्राइविंग ट्रक को दोबारा शुरू करने को लेकर फाइल भिजवाई गई थी, लेकिन अभी तक उस फाइल पर किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की गई है और ना ही ड्राइविंग ट्रैक को दोबारा से बनाने की कोई कवायद या उनको चालू करने की बात की कवायद भी विभाग की ओर से नहीं की जा रही है.

40 करोड़ की लागत से बनाए गए थे ड्राइविंग ट्रैक

बता दें कि प्रदेश के सभी आरटीओ कार्यालय के अंतर्गत 40 करोड़ का बजट जारी कर सभी आरटीओ कार्यालय के अंतर्गत ड्राइविंग ट्रैक बनाने का कार्य किया गया था, लेकिन पिछले 18 महीनों से वह ड्राइविंग ट्रैक केवल दिखने की ही साबित हो रहे हैं. ऐसे में विभाग के द्वारा लगाया गया करोड़ों रुपया भी उनमें धूल फांक रहा है. ड्राइविंग ट्रैक का निर्माण कार्य पूरा हो जाने के बाद उसके अंतर्गत लगने वाले ऑटोमेटिक सिस्टम को लेकर स्मार्ट चिप नाम की एक कंपनी को विभाग की ओर से टेंडर दिया गया था.

यह भी पढ़ें- बाड़मेरः शिक्षक के नाक-कान काटने का मामला, पुलिस ने किए चौंकाने वाले खुलासे

हालांकि जब स्मार्ट चिप कंपनी ने अपना कार्यभार संभाला और ट्रैक को शुरू किया. इसके अंतर्गत कई तरह की अनियमितता सामने आई थी, जिसके बाद परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के द्वारा स्मार्ट चिप कंपनी के साथ हो रहे है कॉन्ट्रैक्ट को खत्म कर दिया था और उसके बाद से ड्राइविंग ट्रैक केवल देखने के ही काम आ रहे हैं. उन ड्राइविंग ट्रैक पर अभी भी ऑटोमेटिक सिस्टम को दोबारा से लगाने की कवायद भी नहीं की गई ना ही उनको सुचारु रुप से शुरू किया गया.

जयपुर. परिवहन विभाग की ओर से करीब डेढ़ साल पहले प्रदेश के सभी आरटीओ ऑफिस के अंतर्गत आमजन को ड्राइविंग टेस्ट देने के लिए ऑटोमेटिक ड्राइविंग ट्रैक का निर्माण किया गया था, लेकिन 18 महीने से ज्यादा बीत जाने के बाद भी अभी भी परिवहन विभाग ड्राइविंग ट्रैक को सुचारू नहीं कर पाया है. परिवहन विभाग के द्वारा जब जगतपुरा अतिरिक्त प्रादेशिक परिवहन कार्यालय के अंतर्गत ड्राइविंग ट्रैक को शुरू किया गया था, तब इस ड्राइविंग ट्रैक के अंतर्गत कई तरह की अनियमितता पाई गई थी.

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इसके बाद ड्राइविंग ट्रैक को लेकर परिवहन मुख्यालय के अंतर्गत ही अधिकारियों के बीच विवाद खड़ा हो गया था. जिसके बाद परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के द्वारा इस ड्राइविंग ट्रैक को बंद करने के आदेश जारी कर दिए गए थे, लेकिन अब बिना ड्राइविंग ट्रैक पर ऑटोमेटिक सिस्टम के द्वारा बिना टेस्ट दिए ही, आमजन को उनके लाइसेंस जारी किए जाते हैं. ऐसे में आम जन की जान के साथ विभाग की ओर से छेड़छाड़ भी की जा रही है, जो कि विभाग के ऊपर एक बड़ी लापरवाही भी है.

ऐसे में वाहन की कम जानकारी और कम वाहन चलाने वाले लोगों को भी विभाग की ओर से ड्राइविंग लाइसेंस जारी किए जा रहे हैं, जो कि प्रदेश के अंतर्गत सड़क हादसे बढ़ने का एक महत्वपूर्ण कारण भी है. इसके साथ ही परिवहन विभाग से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी और सूत्रों का कहना है कि 7 महीने पहले परिवहन मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास को ड्राइविंग ट्रक को दोबारा शुरू करने को लेकर फाइल भिजवाई गई थी, लेकिन अभी तक उस फाइल पर किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की गई है और ना ही ड्राइविंग ट्रैक को दोबारा से बनाने की कोई कवायद या उनको चालू करने की बात की कवायद भी विभाग की ओर से नहीं की जा रही है.

40 करोड़ की लागत से बनाए गए थे ड्राइविंग ट्रैक

बता दें कि प्रदेश के सभी आरटीओ कार्यालय के अंतर्गत 40 करोड़ का बजट जारी कर सभी आरटीओ कार्यालय के अंतर्गत ड्राइविंग ट्रैक बनाने का कार्य किया गया था, लेकिन पिछले 18 महीनों से वह ड्राइविंग ट्रैक केवल दिखने की ही साबित हो रहे हैं. ऐसे में विभाग के द्वारा लगाया गया करोड़ों रुपया भी उनमें धूल फांक रहा है. ड्राइविंग ट्रैक का निर्माण कार्य पूरा हो जाने के बाद उसके अंतर्गत लगने वाले ऑटोमेटिक सिस्टम को लेकर स्मार्ट चिप नाम की एक कंपनी को विभाग की ओर से टेंडर दिया गया था.

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हालांकि जब स्मार्ट चिप कंपनी ने अपना कार्यभार संभाला और ट्रैक को शुरू किया. इसके अंतर्गत कई तरह की अनियमितता सामने आई थी, जिसके बाद परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के द्वारा स्मार्ट चिप कंपनी के साथ हो रहे है कॉन्ट्रैक्ट को खत्म कर दिया था और उसके बाद से ड्राइविंग ट्रैक केवल देखने के ही काम आ रहे हैं. उन ड्राइविंग ट्रैक पर अभी भी ऑटोमेटिक सिस्टम को दोबारा से लगाने की कवायद भी नहीं की गई ना ही उनको सुचारु रुप से शुरू किया गया.

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