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इलाज के दौरान महिला की मौत मामलाः कोर्ट ने दोषी चिकित्सकों के खिलाफ जांच रिपोर्ट पेश करने के पुलिस को दिए आदेश

महानगर मजिस्ट्रेट क्रम-18 ने मोती डूंगरी थाना पुलिस से रिपोर्ट पेश कर बताने को कहा है कि इलाज के दौरान लापरवाही बरतने के चलते विवाहिता की मौत के मामले में आरोपी चिकित्सकों के खिलाफ दर्ज मामले में अब तक क्या जांच की गई. अदालत ने यह आदेश परिवादी कमलेश कुमार के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए दिए.

जयपुर विवाहिता मौत मामला,Session court order
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Published : Oct 31, 2019, 4:48 PM IST

जयपुर. महानगर मजिस्ट्रेट क्रम-18 ने मोती डूंगरी थाना पुलिस से एक विवाहिता की मौत के मामले में अब तक हुई जांच का रिपोर्ट पेश करने को कहा है. अदालत ने रिपोर्ट पेश कर बताने को कहा है कि इलाज के दौरान लापरवाही बरतने के चलते विवाहिता की मौत के मामले में आरोपी चिकित्सकों विजय पाठक, अनामिका गुप्ता, अनिल शर्मा और डॉ. प्रमोद गुप्ता के खिलाफ दर्ज मामले में अब तक क्या जांच की गई. अदालत ने यह आदेश परिवादी कमलेश कुमार के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए दिए.

इलाज में लापरवाही से मौत को लेकर दोषी चिकित्सकों के खिलाफ क्या जांच हुई

प्रार्थना पत्र में कहा गया कि उसकी पत्नी ज्योति के हार्ट की नस में अल्सर होने के कारण उसे गत 12 जून को एसएमएस अस्पताल में डॉ. विजय पाठक की यूनिट में भर्ती कराया. जहां ऑपरेशन कर मरीज को डीवाइस लगाना था. मरीज का बीपी अधिक होने की जानकारी होने के बावजूद डॉ. अनामिका गुप्ता ने कम बीपी बताकर एनेस्थिया चिकित्सक पर दबाव डालकर क्लीयरेंस ले लिया. वहीं, अगले दिन आरोपी चिकित्सकों ने मरीज का ऑपरेशन किया. इस दौरान डिवाइस डालने के दौरान लापरवाही बरतने से तार से मरीज की नस कट गई और खून बहकर पेट में जमा हो गया.

पढ़ें- मंत्री धारीवाल का स्पीकर बिरला से आग्रह, कोटा को एनजीटी से दिलवाएं मुक्ति

बता दें कि पेट में खून जमा हो जाने के कारण मरीज को कॉर्डियोलॉजी सर्जरी के लिए डॉ. अनिल शर्मा को रेफर किया गया. यहां परिजनों की अनुमति लिए बिना मरीज की बाईपास सर्जरी की गई. इस दौरान मरीज की मौत हो गई. इसके अलावा डॉ. प्रमोद गुप्ता ने परिवादी से 60 हजार रुपए की दवाई मंगवाई और अपने साथ घर ले गया.

प्रार्थना पत्र में कहा गया कि मामले में दोषी चिकित्सकों के खिलाफ आईपीसी की धारा 304 और 420 के तहत रिपोर्ट दर्ज कराने के बावजूद पुलिस मामले में कोई अनुसंधान नहीं कर रही है. यहां तक की परिवादी के बयान तक दर्ज नहीं किए गए हैं. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने पुलिस को प्रगति रिपोर्ट पेश करने को कहा है.

जयपुर. महानगर मजिस्ट्रेट क्रम-18 ने मोती डूंगरी थाना पुलिस से एक विवाहिता की मौत के मामले में अब तक हुई जांच का रिपोर्ट पेश करने को कहा है. अदालत ने रिपोर्ट पेश कर बताने को कहा है कि इलाज के दौरान लापरवाही बरतने के चलते विवाहिता की मौत के मामले में आरोपी चिकित्सकों विजय पाठक, अनामिका गुप्ता, अनिल शर्मा और डॉ. प्रमोद गुप्ता के खिलाफ दर्ज मामले में अब तक क्या जांच की गई. अदालत ने यह आदेश परिवादी कमलेश कुमार के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए दिए.

इलाज में लापरवाही से मौत को लेकर दोषी चिकित्सकों के खिलाफ क्या जांच हुई

प्रार्थना पत्र में कहा गया कि उसकी पत्नी ज्योति के हार्ट की नस में अल्सर होने के कारण उसे गत 12 जून को एसएमएस अस्पताल में डॉ. विजय पाठक की यूनिट में भर्ती कराया. जहां ऑपरेशन कर मरीज को डीवाइस लगाना था. मरीज का बीपी अधिक होने की जानकारी होने के बावजूद डॉ. अनामिका गुप्ता ने कम बीपी बताकर एनेस्थिया चिकित्सक पर दबाव डालकर क्लीयरेंस ले लिया. वहीं, अगले दिन आरोपी चिकित्सकों ने मरीज का ऑपरेशन किया. इस दौरान डिवाइस डालने के दौरान लापरवाही बरतने से तार से मरीज की नस कट गई और खून बहकर पेट में जमा हो गया.

पढ़ें- मंत्री धारीवाल का स्पीकर बिरला से आग्रह, कोटा को एनजीटी से दिलवाएं मुक्ति

बता दें कि पेट में खून जमा हो जाने के कारण मरीज को कॉर्डियोलॉजी सर्जरी के लिए डॉ. अनिल शर्मा को रेफर किया गया. यहां परिजनों की अनुमति लिए बिना मरीज की बाईपास सर्जरी की गई. इस दौरान मरीज की मौत हो गई. इसके अलावा डॉ. प्रमोद गुप्ता ने परिवादी से 60 हजार रुपए की दवाई मंगवाई और अपने साथ घर ले गया.

प्रार्थना पत्र में कहा गया कि मामले में दोषी चिकित्सकों के खिलाफ आईपीसी की धारा 304 और 420 के तहत रिपोर्ट दर्ज कराने के बावजूद पुलिस मामले में कोई अनुसंधान नहीं कर रही है. यहां तक की परिवादी के बयान तक दर्ज नहीं किए गए हैं. जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने पुलिस को प्रगति रिपोर्ट पेश करने को कहा है.

Intro:बाईट- परिवादी कमलेश कुमार

जयपुर। महानगर मजिस्ट्रेट क्रम-18 ने मोती डूंगरी थाना पुलिस से रिपोर्ट पेश कर बताने को कहा है कि इलाज के दौरान लापरवाही बरतने के चलते विवाहिता की मौत के मामले में आरोपी चिकित्सकों विजय पाठक, अनामिका गुप्ता, अनिल शर्मा और डॉ. प्रमोद गुप्ता के खिलाफ दर्ज मामले में अब तक क्या जांच की गई। अदालत ने यह आदेश परिवादी कमलेश कुमार के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए दिए।Body:प्रार्थना पत्र में कहा गया कि उसकी पत्नी ज्योति के हार्ट की नस में अल्सर होने के चलते उसे गत 12 जून को एसएमएस अस्पताल में डॉ. विजय पाठक की युनिट में भर्ती कराया। जहां ऑपरेशन कर मरीज के डीवाइस लगाना था। मरीज का बीपी अधिक होने की जानकारी होने के बावजूद डॉ. अनामिका गुप्ता ने कम बीपी बताकर एनेस्थिया चिकित्सक पर दबाव डालकर क्लीयरेंस ले लिया। वहीं अगले दिन आरोपी चिकित्सकों ने मरीज का ऑपरेशन किया। इस दौरान डिवाइस डालने के दौरान लापरवाही बरतने से तार से मरीज की नस कट गई और खून बहकर पेट में जमा हो गया। इसके चलते मरीज को कॉर्डियोलॉजी सर्जरी के लिए डॉ. अनिल शर्मा को रेफर किया गया। यहां परिजनों की अनुमति लिए बिना मरीज की बाईपास सर्जरी की गई। इस दौरान मरीज की मौत हो गई। इसके अलावा डॉ. प्रमोद गुप्ता ने परिवदी से साठ हजार रुपए की दवाई मंगवाई और अपने साथ घर ले गया। प्रार्थना पत्र में कहा गया कि मामले में दोषी चिकित्सकों के खिलाफ आईपीसी की धारा 304 और 420 के तहत रिपोर्ट दर्ज कराने के बावजूद पुलिस मामले में कोई अनुसंधान नहीं कर रही है। यहां तक की परिवादी के बयान तक दर्ज नहीं किए गए हैं। जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने पुलिस को प्रगति रिपोर्ट पेश करने को कहा है। Conclusion:
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