जयपुर. विधानसभा चुनाव में हार के बाद प्रदेश भाजपा संगठन से दूरी बनाने वाली पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे इन दिनों प्रदेश की राजनीति में खासी सक्रिय है और उनकी यही सक्रियता प्रदेश भाजपा के गलियारों में चर्चा का विषय बनी हुई है.
ये चर्चा का विषय बनना इसलिए भी लाजमी है, क्योंकि यह वही वसुंधरा राजे हैं, जो राजस्थान में हुए मंडावा और खींवसर विधानसभा उपचुनाव के प्रचार से गायब थीं और 49 निकायों के चुनाव के प्रचार में भी राजे कहीं नजर नहीं आईं.
पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और मौजूदा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओम प्रकाश माथुर के पिछले दिनों आए बयान के बाद भी वसुंधरा राजे की सक्रियता बढ़ी है. ओम प्रकाश माथुर ने कुछ दिनों पहले ही बयान दिया था कि वह जल्द ही राजस्थान में जिलों के दौरे पर निकलेंगे, लेकिन ओम प्रकाश माथुर तो अब तक इन जिलों पर नहीं निकल पाए. उससे पहले ही वसुंधरा राजे ने अपने दौरे शुरू कर दिए हैं.
पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे हाल ही में दिल्ली विधानसभा चुनाव प्रचार में भी जुटीं और उसके बाद लगातार राजस्थान के किसी ना किसी जिले के दौरे पर हैं. पहले कोटा फिर बाड़मेर और तीसरे दिन जैसलमेर का दौरा किया.
यहां पार्टी के अलग-अलग नेताओं से भी मुलाकात की और संघ से जुड़े प्रचारकों से भी शिष्टाचार भेंट की. इस बीच टिड्डी दल के हमले से हताहत किसानों से मिलने भी वसुंधरा राजे पहुंचीं.
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हाड़ौती और पश्चिमी राजस्थान में वसुंधरा राजे इन दौरों के जरिये प्रदेश के विभिन्न जिलों में अपने समर्थकों को तो एकजुट कर ही रहीं हैं. साथ ही पार्टी नेताओं के बीच इस बात का भी सियासी मैसेज देने का काम कर रही हैं, कि राजस्थान में राजे का रुतबा अब भी कायम है.
प्रदेश की राजनीति से उन्हें अलग करना आसान नहीं होगा. वसुंधरा राजे समर्थक खुलकर तो नहीं, लेकिन दबी जबान में यह बात जगजाहिर करने से नहीं छूटते कि आज भी प्रदेश कि राजनीति में वसुंधरा राजे की पकड़ काफी है.