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विधायक के तौर पर बंगले पर काबिज हैं वसुंधरा राजे, अवमानना याचिका का करें निस्तारण

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Published : Sep 10, 2020, 7:51 PM IST

राजस्थान हाईकोर्ट में गुरुवार को राज्य सरकार की ओर से पूर्व मुख्यमंत्रियों को सुविधाएं देने के मामले में शपथ पत्र पेश कर कहा गया कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे बतौर विधायक बंगले पर काबिज हैं. ऐसे में अवमानना याचिका में कार्रवाई को समाप्त किया जाए.

Vasundhara Raje latest news,  Rajasthan High Court Order
राजस्थान हाईकोर्ट

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट में गुरुवार को राज्य सरकार की ओर से पूर्व मुख्यमंत्रियों को सुविधाएं देने के मामले में शपथ पत्र पेश कर कहा गया कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे बतौर विधायक बंगले पर काबिज हैं. ऐसे में अवमानना याचिका में कार्रवाई को समाप्त किया जाए. जिसे रिकॉर्ड पर लेते हुए अदालत ने मामले की सुनवाई 12 जनवरी तक टाल दी है. न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश सीके सोनगरा की खंडपीठ ने यह आदेश मिलापचंद डांडिया की अवमानना याचिका पर दिए.

मुख्य सचिव की ओर से पेश शपथ पत्र में कहा गया कि अदालती आदेश की पालना में राजस्थान मंत्री वेतनमान अधिनियम 2017 के तहत पूर्व मुख्यमंत्रियों को दी गई सुविधाएं वापस ली जा चुकी है. वहीं, गत 1 अगस्त को 'राजस्थान विधानसभा सदस्यों को निवासीय सुविधा नियम, 1973' में संशोधन किया गया है. जिसके तहत जो प्रदेश का मुख्यमंत्री रहा हो, केंद्र का कैबिनेट मंत्री रहा हो, राज्य मंत्री व केंद्र में कम से कम 3 बार सदस्य रहा हो, राज्य का कैबिनेट मंत्री रहा हो और कम से कम 2 बार सदस्य रहा हो या कम से कम 2 बार सांसद रहा हो, को गृह समिति आवास आवंटित कर सकती है.

पढ़ें- हाईकोर्ट से डॉ. अशोक गुप्ता को बड़ी राहत, बने रहेंगे जेके लोन अस्पताल के अधीक्षक

इस संशोधन के आधार पर गत 18 अगस्त को वसुंधरा राजे सहित अन्य को बतौर विधायक आवास आवंटित किया गया है. ऐसे में अवमानना याचिका की कार्रवाई को समाप्त किया जाए. वहीं, याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता विमल चौधरी और अधिवक्ता योगेश टेलर ने कहा कि 4 सितंबर 2019 को अदालत ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को सुविधाएं देने के संबंध में किए गए प्रावधानों को रद्द कर दिया था. इसके बावजूद पूर्व सीएम राजे से बंगला खाली नहीं कराया गया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट में गुरुवार को राज्य सरकार की ओर से पूर्व मुख्यमंत्रियों को सुविधाएं देने के मामले में शपथ पत्र पेश कर कहा गया कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे बतौर विधायक बंगले पर काबिज हैं. ऐसे में अवमानना याचिका में कार्रवाई को समाप्त किया जाए. जिसे रिकॉर्ड पर लेते हुए अदालत ने मामले की सुनवाई 12 जनवरी तक टाल दी है. न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश सीके सोनगरा की खंडपीठ ने यह आदेश मिलापचंद डांडिया की अवमानना याचिका पर दिए.

मुख्य सचिव की ओर से पेश शपथ पत्र में कहा गया कि अदालती आदेश की पालना में राजस्थान मंत्री वेतनमान अधिनियम 2017 के तहत पूर्व मुख्यमंत्रियों को दी गई सुविधाएं वापस ली जा चुकी है. वहीं, गत 1 अगस्त को 'राजस्थान विधानसभा सदस्यों को निवासीय सुविधा नियम, 1973' में संशोधन किया गया है. जिसके तहत जो प्रदेश का मुख्यमंत्री रहा हो, केंद्र का कैबिनेट मंत्री रहा हो, राज्य मंत्री व केंद्र में कम से कम 3 बार सदस्य रहा हो, राज्य का कैबिनेट मंत्री रहा हो और कम से कम 2 बार सदस्य रहा हो या कम से कम 2 बार सांसद रहा हो, को गृह समिति आवास आवंटित कर सकती है.

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इस संशोधन के आधार पर गत 18 अगस्त को वसुंधरा राजे सहित अन्य को बतौर विधायक आवास आवंटित किया गया है. ऐसे में अवमानना याचिका की कार्रवाई को समाप्त किया जाए. वहीं, याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता विमल चौधरी और अधिवक्ता योगेश टेलर ने कहा कि 4 सितंबर 2019 को अदालत ने पूर्व मुख्यमंत्रियों को सुविधाएं देने के संबंध में किए गए प्रावधानों को रद्द कर दिया था. इसके बावजूद पूर्व सीएम राजे से बंगला खाली नहीं कराया गया है.

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