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सियासी विवाद! वसुंधरा ने कोर ग्रुप तो बीजेपी के ये नेता गणतंत्र दिवस कार्यक्रम से रहे नदारद, सुनिए क्या कहा पूनिया ने...

पिछले दिनों राजस्थान बीजेपी कोर कमेटी की बैठक से पहले पूर्व सीएम वसुंधरा राजे की दूरी सियासी विवादों में थी. वहीं अब बीजेपी के जयपुर के बड़ी चौपड़ और पार्टी मुख्यालय में हुए गणतंत्र दिवस समारोह में शहर के दो विधायक और चार पूर्व विधायकों की दूरी चर्चाओं में है. हालांकि, पार्टी प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया इन नेताओं की गैर मौजूदगी के पीछे कोई भी सियासी कारण नहीं मानते हैं.

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सतीश पूनिया का बयान...
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Published : Jan 26, 2021, 2:18 PM IST

जयपुर. बीजेपी के सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा होना लाजमी भी थी. क्योंकि दो दिन पहले ही राजस्थान कोर कमेटी की बैठक में वसुंधरा राजे के शामिल नहीं होने पर भी कई तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म था और अब राजधानी में ही बीजेपी के कार्यक्रम में पार्टी के दो मौजूदा विधायक और पूर्व विधायक शामिल नहीं हुए. इनमें पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भी शामिल हैं. हालांकि, इनका अपना तर्क है कि वे अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में गणतंत्र दिवस के ही कार्यक्रमों में व्यस्त थे, जिसके चलते न तो बड़ी चौपड़ और न ही प्रदेश बीजेपी मुख्यालय में हुए झंडारोहण कार्यक्रम में शामिल हो पाए.

सतीश पूनिया का बयान...

जयपुर शहर में बीजेपी की तरफ से हुए दो झंडारोहण कार्यक्रम में शामिल नहीं होने वाले विधायकों में मालवीय नगर से दिग्गज विधायक और पूर्व मंत्री कालीचरण सराफ और विद्याधर नगर से आने वाले मौजूदा विधायक और पूर्व मंत्री नरपत सिंह राजवी के नाम प्रमुख हैं. हालांकि, नरपत सिंह राजवी के पुत्र अभिमन्यु राजवी जरूर इन कार्यक्रमों में शामिल हुए.

यह भी पढ़ें: नागौर में दलित महिला से गैंगरेप मामले में भड़की BJP, वसुंधरा और पूनिया ने किया यह कटाक्ष...

इसी तरह पूर्व विधायक और बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी और अशोक परनामी भी इन दोनों की कार्यक्रमों में शामिल नहीं हुए. वहीं झोटवाड़ा से पूर्व विधायक और पिछली सरकार में उद्योग मंत्री रहे राजपाल सिंह शेखावत और बगरू से पूर्व विधायक और पिछली वसुंधरा सरकार में संसदीय सचिव रहे कैलाश वर्मा ने भी इन दोनों ही कार्यक्रमों से दूरी बनाकर रखी.

पार्टी कार्यक्रम में शामिल नहीं होने पर ये दिया तर्क

इन सभी नेताओं के इन कार्यक्रमों में शामिल नहीं होने के अपने अपने तर्क दिए. विधायक कालीचरण सराफ कहते हैं उनके विधानसभा क्षेत्र में काफी संख्या में कार्यक्रम हुए. ऐसे में वहां रहना ज्यादा जरूरी था. वहीं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी भी कहते हैं कि क्षेत्र के विभिन्न कार्यक्रमों में व्यस्तता के चलते वह चाह कर भी नहीं आ पाए. पूर्व मंत्री और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी कहते हैं कि वे अजमेर से जयपुर आने में थोड़ा लेट हो गए और उनके क्षेत्र में कोई हत्या की घटना हो गई थी. ऐसे में उन्हें वहां जाना पड़ा. इसके चलते हुए कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए. उधर, नरपत सिंह राजवी और कैलाश वर्मा से संपर्क किया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया.

'नेताओं की गैर मौजूदगी के नहीं हैं कोई सियासी कारण'

इस बारे में जब बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि जिस तरह होली और दीपावली पर्व सब अपने अपने हिसाब से मनाते हैं. ठीक उसी तरह गणतंत्र दिवस भी राष्ट्रीय पर्व है. कोई भी इसे तिरंगे के साथ कहीं पर भी सम्मान पूर्वक मना सकता है. ऐसे में बीजेपी के नेताओं की कार्यक्रम में गैर मौजूदगी के कोई सियासी कारण नहीं हैं.

यह भी पढ़ें: अडानी-अंबानी के दबाव में कृषि कानूनों को वापस नहीं ले रही मोदी सरकारः मेधा पाटकर

हालांकि, जयपुर से एकमात्र विधायक अशोक लाहोटी और सांसद रामचरण बोहरा इन दोनों ही कार्यक्रमों में प्रदेश अध्यक्ष और विधायक डॉ. सतीश पूनिया के साथ-साथ दिखे. पूर्व विधायक मोहनलाल गुप्ता प्रदेश बीजेपी मुख्यालय में हुए कार्यक्रम में मौजूद रहे.

जयपुर. बीजेपी के सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा होना लाजमी भी थी. क्योंकि दो दिन पहले ही राजस्थान कोर कमेटी की बैठक में वसुंधरा राजे के शामिल नहीं होने पर भी कई तरह की चर्चाओं का बाजार गर्म था और अब राजधानी में ही बीजेपी के कार्यक्रम में पार्टी के दो मौजूदा विधायक और पूर्व विधायक शामिल नहीं हुए. इनमें पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष भी शामिल हैं. हालांकि, इनका अपना तर्क है कि वे अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में गणतंत्र दिवस के ही कार्यक्रमों में व्यस्त थे, जिसके चलते न तो बड़ी चौपड़ और न ही प्रदेश बीजेपी मुख्यालय में हुए झंडारोहण कार्यक्रम में शामिल हो पाए.

सतीश पूनिया का बयान...

जयपुर शहर में बीजेपी की तरफ से हुए दो झंडारोहण कार्यक्रम में शामिल नहीं होने वाले विधायकों में मालवीय नगर से दिग्गज विधायक और पूर्व मंत्री कालीचरण सराफ और विद्याधर नगर से आने वाले मौजूदा विधायक और पूर्व मंत्री नरपत सिंह राजवी के नाम प्रमुख हैं. हालांकि, नरपत सिंह राजवी के पुत्र अभिमन्यु राजवी जरूर इन कार्यक्रमों में शामिल हुए.

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इसी तरह पूर्व विधायक और बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी और अशोक परनामी भी इन दोनों की कार्यक्रमों में शामिल नहीं हुए. वहीं झोटवाड़ा से पूर्व विधायक और पिछली सरकार में उद्योग मंत्री रहे राजपाल सिंह शेखावत और बगरू से पूर्व विधायक और पिछली वसुंधरा सरकार में संसदीय सचिव रहे कैलाश वर्मा ने भी इन दोनों ही कार्यक्रमों से दूरी बनाकर रखी.

पार्टी कार्यक्रम में शामिल नहीं होने पर ये दिया तर्क

इन सभी नेताओं के इन कार्यक्रमों में शामिल नहीं होने के अपने अपने तर्क दिए. विधायक कालीचरण सराफ कहते हैं उनके विधानसभा क्षेत्र में काफी संख्या में कार्यक्रम हुए. ऐसे में वहां रहना ज्यादा जरूरी था. वहीं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी भी कहते हैं कि क्षेत्र के विभिन्न कार्यक्रमों में व्यस्तता के चलते वह चाह कर भी नहीं आ पाए. पूर्व मंत्री और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी कहते हैं कि वे अजमेर से जयपुर आने में थोड़ा लेट हो गए और उनके क्षेत्र में कोई हत्या की घटना हो गई थी. ऐसे में उन्हें वहां जाना पड़ा. इसके चलते हुए कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए. उधर, नरपत सिंह राजवी और कैलाश वर्मा से संपर्क किया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया.

'नेताओं की गैर मौजूदगी के नहीं हैं कोई सियासी कारण'

इस बारे में जब बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि जिस तरह होली और दीपावली पर्व सब अपने अपने हिसाब से मनाते हैं. ठीक उसी तरह गणतंत्र दिवस भी राष्ट्रीय पर्व है. कोई भी इसे तिरंगे के साथ कहीं पर भी सम्मान पूर्वक मना सकता है. ऐसे में बीजेपी के नेताओं की कार्यक्रम में गैर मौजूदगी के कोई सियासी कारण नहीं हैं.

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हालांकि, जयपुर से एकमात्र विधायक अशोक लाहोटी और सांसद रामचरण बोहरा इन दोनों ही कार्यक्रमों में प्रदेश अध्यक्ष और विधायक डॉ. सतीश पूनिया के साथ-साथ दिखे. पूर्व विधायक मोहनलाल गुप्ता प्रदेश बीजेपी मुख्यालय में हुए कार्यक्रम में मौजूद रहे.

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