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Special : राजस्थान विश्वविद्यालय में प्रोफेसरों का टोटा, भर्ती न प्रमोशन...स्थाईकरण भी अटका - राजस्थान विश्वविद्यालय में प्रोफेसरों की कमी

प्रदेश में शिक्षा व्यवस्था को लेकर सरकार कितनी गंभीर है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शिक्षा के सबसे बड़े केंद्र राजस्थान विश्वविद्यालय और संघटक कॉलेजों में शिक्षकों को टोटा है. विवि में 450 से ज्यादा पद रिक्त चल रहे हैं, जबकि एसोसिएट प्रोफेसरों का प्रमोशन भी वर्षों से अटका पड़ा है. नई भर्ती न होने से छात्रों की पढ़ाई पर भी असर पड़ रहा है.

Shortage of teachers in Rajasthan University
राजस्थान विश्वविद्यालय में शिक्षकों की भारी कमी
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Published : Nov 8, 2020, 10:04 PM IST

जयपुर. प्रदेश में शिक्षा के सबसे बड़े केंद्र राजस्थान विश्वविद्यालय में हर साल हजारों छात्र दाखिला लेते हैं, जबकि इतनी ही संख्या में छात्र यहां से पास आउट भी होते हैं. लेकिन वर्तमान समय में विश्वविद्यालय में संचालित 32 डिपार्टमेंट और 4 बड़े संघटक कॉलेज महज 487 प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के भरोसे चल रहा है. जबकि विश्वविद्यालय में शिक्षकों के 450 से ज्यादा पद रिक्त हैं. यही नहीं एसोसिएट प्रोफेसर के सैकड़ों पदों पर वर्षों से प्रमोशन प्रक्रिया अटकी पड़ी है. विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से 147 शिक्षकों का स्थायीकरण भी अटका हुआ है.

राजस्थान विश्वविद्यालय में शिक्षकों की भारी कमी

राजस्थान विश्वविद्यालय प्रशासन शिक्षकों की समयबद्ध पदोन्नति, स्थायीकरण प्रक्रिया यहां तक कि नई भर्ती को लेकर भी गंभीर नहीं है. वर्तमान में विश्वविद्यालय में 32 डिपार्टमेंट संचालित हैं. इनमें हिंदी में 1, इकोनॉमिक्स में 2, सोशलॉजी में 1 और मैनेजमेंट में 2 प्रोफेसर ही मौजूद हैं. इसके अलावा 28 डिपार्टमेंट ऐसे हैं, जिनमें एक भी प्रोफेसर नहीं है. आलम ये है कि 2020 के अंत तक विश्वविद्यालय में महज 2 प्रोफेसर ही रह जाएंगे, जिसका बड़ा कारण समय पर पदोन्नति का नहीं होना है.

यह भी पढ़ें: Special : चीनी सामान के बायकॉट के बीच इस बार दीपावली पर स्वदेशी लाइटों से रोशन होंगे घर

सीनियर एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सरीना कालिया ने कहा है कि यह बेहद निराशाजनक स्थिति है. उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय में टीचर की भारी कमी रहती है. छात्रों की संख्या हर साल 10 फीसदी और बढ़ जाती है, लेकिन शिक्षकों के खाली पद नहीं भरे जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि शिक्षकों के साथ शोषण हो रहा है. विश्वविद्यालय का अध्यापक छात्रों को पढ़ा भी ले, रिसर्च वर्क भी करा ले और उन्हें प्रमोशन भी ना दिया जाए. हैरानी की बात ये है कि आज की तारीख में 272 एसोसिएट प्रोफेसर का प्रमोशन अटका हुआ है, इनमें से आधे तो रिटायर होने के कगार पर पहुंच चुके हैं.

Not enough teacher, but every year increasing students
शिक्षक नहीं, हर साव बढ़ रहे छात्र

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राजस्थान विश्वविद्यालय में 32 डिपार्टमेंट और 4 संघटक कॉलेज संचालित

situation of rajasthan university
ये है विश्वविद्यालय के हालात

विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के जनरल सेक्रेटरी डॉ. संजय कुमार ने बताया कि विश्वविद्यालय के 28 डिपार्टमेंट केवल असिस्टेंट और एसोसिएट प्रोफेसर के भरोसे ही चल रहे हैं. यही नहीं विश्वविद्यालय में 450 से ज्यादा पद रिक्त चल रहे हैं. ऐसे में वर्तमान छात्रों और नए आने वाले छात्रों की पढ़ाई पर भी इसका असर पड़ता है. राजस्थान विश्वविद्यालय प्रशासन ने 2018 में नियुक्त 147 शिक्षकों का स्थायीकरण भी नहीं किया. यदि इन शिक्षकों की भी अनदेखी होती है तो विश्वविद्यालय की स्थिति और भी ज्यादा खराब हो जाएगी.

फिलहाल, राजस्थान विश्वविद्यालय में 2018 में नियुक्त 125 असिस्टेंट प्रोफेसर और 22 एसोसिएट प्रोफेसर के स्थायीकरण का मसला विवाद का विषय बना हुआ है. इस बीच केंद्र के निर्देश पर राजस्थान विश्वविद्यालय और सभी संघटक कॉलेजों में कोरोना की गाइडलाइन के साथ क्लासेज शुरू करने पर विचार चल रहा है. लेकिन जब तक विश्वविद्यालय में शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने, लंबित चल रही पदोन्नति और 147 शिक्षकों के स्थायीकरण का मसला नहीं सुलझता तब तक छात्रों को भी उस शिक्षा से महरूम होना पड़ेगा जिसके वे हकदार हैं.

जयपुर. प्रदेश में शिक्षा के सबसे बड़े केंद्र राजस्थान विश्वविद्यालय में हर साल हजारों छात्र दाखिला लेते हैं, जबकि इतनी ही संख्या में छात्र यहां से पास आउट भी होते हैं. लेकिन वर्तमान समय में विश्वविद्यालय में संचालित 32 डिपार्टमेंट और 4 बड़े संघटक कॉलेज महज 487 प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसर के भरोसे चल रहा है. जबकि विश्वविद्यालय में शिक्षकों के 450 से ज्यादा पद रिक्त हैं. यही नहीं एसोसिएट प्रोफेसर के सैकड़ों पदों पर वर्षों से प्रमोशन प्रक्रिया अटकी पड़ी है. विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से 147 शिक्षकों का स्थायीकरण भी अटका हुआ है.

राजस्थान विश्वविद्यालय में शिक्षकों की भारी कमी

राजस्थान विश्वविद्यालय प्रशासन शिक्षकों की समयबद्ध पदोन्नति, स्थायीकरण प्रक्रिया यहां तक कि नई भर्ती को लेकर भी गंभीर नहीं है. वर्तमान में विश्वविद्यालय में 32 डिपार्टमेंट संचालित हैं. इनमें हिंदी में 1, इकोनॉमिक्स में 2, सोशलॉजी में 1 और मैनेजमेंट में 2 प्रोफेसर ही मौजूद हैं. इसके अलावा 28 डिपार्टमेंट ऐसे हैं, जिनमें एक भी प्रोफेसर नहीं है. आलम ये है कि 2020 के अंत तक विश्वविद्यालय में महज 2 प्रोफेसर ही रह जाएंगे, जिसका बड़ा कारण समय पर पदोन्नति का नहीं होना है.

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सीनियर एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सरीना कालिया ने कहा है कि यह बेहद निराशाजनक स्थिति है. उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय में टीचर की भारी कमी रहती है. छात्रों की संख्या हर साल 10 फीसदी और बढ़ जाती है, लेकिन शिक्षकों के खाली पद नहीं भरे जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि शिक्षकों के साथ शोषण हो रहा है. विश्वविद्यालय का अध्यापक छात्रों को पढ़ा भी ले, रिसर्च वर्क भी करा ले और उन्हें प्रमोशन भी ना दिया जाए. हैरानी की बात ये है कि आज की तारीख में 272 एसोसिएट प्रोफेसर का प्रमोशन अटका हुआ है, इनमें से आधे तो रिटायर होने के कगार पर पहुंच चुके हैं.

Not enough teacher, but every year increasing students
शिक्षक नहीं, हर साव बढ़ रहे छात्र

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राजस्थान विश्वविद्यालय में 32 डिपार्टमेंट और 4 संघटक कॉलेज संचालित

situation of rajasthan university
ये है विश्वविद्यालय के हालात

विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के जनरल सेक्रेटरी डॉ. संजय कुमार ने बताया कि विश्वविद्यालय के 28 डिपार्टमेंट केवल असिस्टेंट और एसोसिएट प्रोफेसर के भरोसे ही चल रहे हैं. यही नहीं विश्वविद्यालय में 450 से ज्यादा पद रिक्त चल रहे हैं. ऐसे में वर्तमान छात्रों और नए आने वाले छात्रों की पढ़ाई पर भी इसका असर पड़ता है. राजस्थान विश्वविद्यालय प्रशासन ने 2018 में नियुक्त 147 शिक्षकों का स्थायीकरण भी नहीं किया. यदि इन शिक्षकों की भी अनदेखी होती है तो विश्वविद्यालय की स्थिति और भी ज्यादा खराब हो जाएगी.

फिलहाल, राजस्थान विश्वविद्यालय में 2018 में नियुक्त 125 असिस्टेंट प्रोफेसर और 22 एसोसिएट प्रोफेसर के स्थायीकरण का मसला विवाद का विषय बना हुआ है. इस बीच केंद्र के निर्देश पर राजस्थान विश्वविद्यालय और सभी संघटक कॉलेजों में कोरोना की गाइडलाइन के साथ क्लासेज शुरू करने पर विचार चल रहा है. लेकिन जब तक विश्वविद्यालय में शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने, लंबित चल रही पदोन्नति और 147 शिक्षकों के स्थायीकरण का मसला नहीं सुलझता तब तक छात्रों को भी उस शिक्षा से महरूम होना पड़ेगा जिसके वे हकदार हैं.

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