जयपुर. केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि सन 1947 में आजादी के समय जो नीति देश ने अपनाई आज उसी का परिणाम भुगतना पड़ रहा है. गडकरी ने कहा कि विश्व में मार्क्सवादी, समाजवादी और पूंजीवादी विचारधारा लगभग समाप्त हो गई है और (Gadkari speaks on Antyodaya ideology) सब अंत्योदय विचारधारा स्वीकार कर रहे हैं. रविवार को (Gadkari in Deendayal Upadhyay Jayanti Celebrations) जयपुर के धानक्या में हुए पंडित दीनदयाल उपाध्याय जयंती समारोह को संबोधित करते हुए गडकरी ने ये बातें कहीं.
जयपुर दौरे पर आए नितिन गडकरी ने कहा कि महात्मा गांधी कहा करते थे कि इस देश के 80% लोग गांव में रहते हैं लेकिन आज करीब 35% लोग गांव से शहरों की ओर आ गए हैं. इस कारण शहरों में भी आबादी बढ़ गई और कई अर्बन प्रॉब्लम्स भी सामने आई हैं. गांव से लोग पलायन कर रहे हैं लेकिन ऐसा क्यों हो रहा है और इसके पीछे क्या कारण हैं यह भी समझना होगा. गडकरी ने कहा कि 1947 में जो नीतियां अपनाईं गईं वही इसका सबसे बड़ा कारण है. गडकरी ने कहा कि आज देश की जीडीपी ग्रोथ में 24% प्रोडक्शन का योगदान है. वहीं 54% के करीब सर्विस सेक्टर का और 12% कृषि क्षेत्र का है. अंतोदय विचारधारा में पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने इसलिए आर्थिक और सामाजिक समानता की बात कही.
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राजनीति सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन का एक प्रकल्प है
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए नितिन गडकरी ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय कहते थे कि राजनीति देश में सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन लाने का एक प्रकल्प है और यदि (Gadkari on social economic transformation) सोशल इकोनामिक ट्रांसफॉरमेशन करना है तो उस में राष्ट्रवाद का विशेष ध्यान रखना होगा. क्योंकि देश को आर्थिक और सामाजिक रूप से मजबूत होने के साथ एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में स्थापित किया जाना जरूरी है.
उन्होंने कहा कि पंडित दीनदयाल के चिंतन में यह भी था कि यदि हम सत्ता में रहेंगे तो क्या करेंगे और विपक्ष में बैठेंगे तो क्या करेंगे. उन्होंने कहा कि सत्ता में रहकर देश का पुनर्निर्माण इस प्रकार करना कि देश आर्थिक और सामाजिक दृष्टि से शक्तिशाली राष्ट्र बने वहीं विपक्ष में रहने पर लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए जनता की आवाज बनने के बात भी उन्होंने कही थी.
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पंडित नेहरू की इकनोमिक, गांधी और उपाध्याय की नीति अलग
नितिन गडकरी ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की इकोनामिक में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और दिवंगत दीनदयाल उपाध्याय की नीति व सोच से थोड़ी बड़ी थी. पंडित नेहरू देश में उत्पादन बढ़ाने पर जोर देते थे तो वही महात्मा गांधी और उपाध्याय देश में उत्पादन बढ़ाने के साथ ही ज्यादा से ज्यादा लोगों का इसमें इंवॉल्वमेंट पर जोर देते थे ताकि रोजगार में बढ़ोतरी हो.
ई-रिक्शा के लिए सुप्रीम कोर्ट तक लड़ा
नितिन गडकरी ने कहा कि जिस दिन आदमी आदमी बोझ ढोना बंद कर देगा वह दिन देश में समानता की निशानी रहेगी. इसीलिए मैंने ई-रिक्शा पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि एक लोग भी देश में ई-रिक्शा नहीं चाहते थे लेकिन हम ई-रिक्शे को लेकर सुप्रीम कोर्ट तक लड़े और आज एक करोड़ से ज्यादा लोग इसका उपयोग कर रहे हैं.
कार्यक्रम से पहले केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय राष्ट्रीय स्मारक का उद्घाटन किया और यहां लगी प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी. इस दौरान गडकरी ने इस स्मारक में नई तकनीक के आधार पर इस प्रकार का नवाचार करने की बात कही जिससे ना केवल देश बल्कि विदेशों से भी लोग यहां पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचार को समझने और जानने के लिए आएं. कार्यक्रम में पंडित दीनदयाल उपाध्याय जयंती समारोह समिति से जुड़े पदाधिकारियों के साथ ही संघ से जुड़े रमेश चंद्र अग्रवाल और वरिष्ठ उद्योगपति विनय चोरडिया, पूर्व केंद्रीय मंत्री चाहोबा सिंह के साथ ही भाजपा से जुड़े कई वरिष्ठ नेता और पदाधिकारी मौजूद रहे. कार्यक्रम में एक पुस्तक का विमोचन भी किया गया.