जोधपुर. केंद्र सरकार की ओर से बुधवार शाम को एमएसएमई (MSME) के लिए और अन्य श्रेणियों में की गई पैकेज की घोषणा का एक ही मकसद नजर आता है वह है बाजार में रुपए की तरलता बढ़ाना. जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर के इकोनामिक विभाग के प्रोफेसर सुनील मेहता का कहना है कि निश्चित तौर पर एमएसएमई को सरकार बूस्ट अप देना चाहती है. इसके चलते बड़ा पैकेज दिया गया है और यह पोस्ट कोविड पैकेज है.
क्योंकि सरकार को पता है कि कोविड-19 से अर्थव्यवस्था पूरी तरह से पटरी से उतर चुकी है और अब जब सरकार ने लोकल से ग्लोबल का नारा दिया है, तो ऐसे में एमएसएमई को मजबूत बनाना ही एक मात्र चारा है. सरकार की ओर से तीन लाख करोड़ का पैकेज इसके लिए जारी करना बहुत बड़ी बात है, इस सेक्टर के लिए ये बहुत लाभदायक भी होगा. इसी तरह जो एमएसएमई कंपनियां अपना विस्तार करना चाहती है उनके लिए फंड्स ऑफ फंड बनाया गया है.
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जिससे कंपनियों का विस्तार हो सके संस्थानों के संचालकों को राहत देने के लिए सरकार 15 हजार तक के कर्मचारियों का 24 फीसदी पीएफ जमा करवाएगी. इससे ज्यादा वेतन वालों के लिए सरकार ने 2 फीसदी की छूट दी है. एमएसएमई का ज्यादा टर्नओवर के साथ उसका दर्जा खत्म नहीं करना बड़ी पहल है इससे उद्योग जगत में अच्छा संदेश जाएगा.
सरकार की ओर से निजी कंपनियों को बकाया भुगतान भी 45 दिन में करने का लक्ष्य एक ही है. जिससे कि मजदूरों तक पैसा पहुंचे और बाजार में तरलता बनी रहे इसी तरह टीडीएस और टीएसएस में 25 सीसी कटौती की गई है. कटौती कम होगी तो पैसा हाथ में बचेगा सरकार की ओर से रिफंड भी देने का भी यही संकेत है.
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सुनील मेहता कहते हैं कि सरकार अगर उद्योगों को नगद राहत देती तो उसका असर और ज्यादा जल्दी नजर आता इसके अलावा जिन लोगों के पर्सनल लोन, होम लोन, ऑटो लोन हैं, उनके लिए अभी कोई राहत नहीं दी गई है. अगला पैकेज इन से जुड़ा हो सकता है क्योंकि मध्यमवर्ग अर्थव्यवस्था की प्रमुख कड़ी है.