जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शनिवार को मुख्यमंत्री निवास पर जेल विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक की. इस बैठक में निर्णय लिया गया कि राजस्थान दिवस के अवसर पर प्रदेश की जेलों में लंबे समय से सजा भुगत रहे करीब 1200 बंदियों को समय से पहले रिहा किया जाएगा.
इनमें सदाचार पूर्वक अपनी अधिकांश सजा भुगत चुके अथवा गंभीर बीमारियों से ग्रसित एवं वृद्ध बंदी शामिल होंगे. बलात्कार, ऑनर किलिंग मॉब लिंचिंग, पॉक्सो एक्ट, तेजाब हमले से संबंधित अपराध आम्स एक्ट राष्ट्रीय सुरक्षा कानून, एनडीपीएस एक्ट, आबकारी अधिनियम पीसीपीएनडीटी एक्ट, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम, गौवंश अधिनियम, आवश्यक वस्तु अधिनियम, सीमा शुल्क अधिनियम इत्यादि के तहत सजा भुगत रहे बंदियों सहित 28 विभिन्न श्रेणियों के जघन्य अपराधों में लिप्त अपराधियों को कोई राहत नहीं मिलेगी. गौरतलब है कि राजस्थान दिवस 30 मार्च को होता है.
बीमार और वृद्ध कैदियों को राहत
वृद्ध एवं गंभीर बीमारियों से ग्रसित कैदियों को इसलिए रिहा किया जा रहा है, जिससे वो कोविड संक्रमण के खतरे से बच सकें. इस निर्णय से ऐसे बंदी जो कैंसर, एडस, कुष्ठ एवं अन्य गंभीर रोगों से ग्रसित अथवा दृष्टिहीन हैं और अपने दैनिक क्रियाकलापों के लिए दूसरों पर निर्भर है, उन्हें रिहा किया जा सकेगा. अपराध में दंडित वृद्ध पुरुष, जिनकी आयु 70 वर्ष तथा महिलाएं, जिनकी आयु 65 वर्ष या इससे अधिक है और सजा का एक तिहाई भाग भुगत चुके हैं, उन्हें समय पूर्व रिहाई मिलेगी.
कई परिवारों को मिलेगी खुशियां
महानिदेशक जेल राजीव दासोत ने बताया कि समय पूर्व रिहाई पाने वाले ऐसे कैदियों की संख्या सबसे अधिक है, जो आजीवन कारावास से दण्डित हैं और 14 वर्ष की सजा भुगत ली है. साथ ही ढाई वर्ष का परिहार प्राप्त कर लिया है. ऐसे बंदियों को वर्तमान में स्थायी पैरोल पर होने की स्थिति में ही रिहा किया जा सकेगा. मुख्यमंत्री की इस पहल से ऐसे परिवारों को खुशियां मिलेंगी, जिनके परिजन आजीवन कारावास की सजा का अधिकांश हिस्सा भुगत चुके.