जयपुर. प्रदेश के जनजाति क्षेत्र में बच्चों को प्रशासनिक सेवा के प्रशिक्षण और परीक्षाओं की तैयारी के लिए सरकारी स्तर पर शुरू किए गए कोचिंग और प्रशिक्षण केंद्र का फायदा क्षेत्र के स्टूडेंट्स को नहीं मिल पाया. अगर मिल पाता तो शायद 4 साल में इन क्षेत्रों का केवल एक मात्र बच्चा ही सफल नहीं हो पाता.
राजस्थान विधानसभा के प्रश्नकाल में विधायक बाबूलाल की ओर से लगाए गए सवाल के जवाब में यह जानकारी सामने आई. इस दौरान मंत्री के जवाब से नाराज नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया की तीखी नोक-झोंक भी हुई. झाडोल से विधायक बाबूलाल ने सवाल करके यह जानकारी लेनी चाही कि पिछले 5 साल में इस प्रकार की कोचिंग और प्रशिक्षण केंद्रों में कितने जनजाति छात्र शामिल हुए. उनमें से कितने बच्चे प्रतियोगी परीक्षाओं में पास होकर आगे बढ़े.
हालांकि जवाब में मंत्री अर्जुन बामणिया ने कहा की विगत वर्षों में भारतीय प्रशासनिक सेवा अधीनस्थ परीक्षाओं के लिए कोचिंग की व्यवस्था नहीं की जा सकी. लेकिन आगामी वर्षों में यह कराई जाएगी. इस पर सदन में मौजूद नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि मंत्री जी आप तो पूरा सवाल पढ़ते नहीं, क्योंकि जो सवाल है उसके अनुरूप जानकारी नहीं देते. कटारिया ने कहा आपने हर साल की परीक्षाओं में बैठने वाले बच्चों की सूची तो दे दी प्री और फाइनल दो परीक्षाएं होती है, इसके अनुसार यह सूची देना चाहिए था आपको.
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कटारिया ने कहा कि मंत्री जी कहते हैं कि साल 2018-19 और 2019-20 में इन कोचिंग क्लासेस की व्यवस्था नहीं की तो उसके लिए कारण क्या है और दोषी कौन है. जवाब में मंत्री ने कहा कि साल 2018 से 19 के बीच प्रदेश में भाजपा की ही सरकार थी. वहीं, ऐसे में कटारिया ने कहा सरकारें आती-जाती रहती है, लेकिन जिम्मेदारों पर कार्रवाई क्यों नहीं की. इस पर मंत्री ने कहा कि मैं आपको आश्वस्त करता हूं कि इस मामले में जो भी अधिकारी दोषी होगा उस पर कार्रवाई करेंगे.
अब प्राइवेट कोचिंग सेंटर का लेंगे सहारा...
इस सवाल के बीच में ही स्पीकर डॉक्टर सीपी जोशी ने भी पूछा कि क्या सरकार इन क्षेत्रों में प्राइवेट कोचिंग सेंटर की मदद लेना चाहती है और ऐसा कोई विचार है. वहीं, मंत्री ने जवाब में कहा कि हम चाहते हैं कि प्राइवेट कोचिंग सेंटर की मदद से इन बच्चों को प्रशिक्षण दिया जाए.