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विश्व पर्यावरण दिवस 2021 : शहर ने उजाड़ा, मौसम ने उखाड़ा...वृक्षों को झालाना में मिला सहारा - Jaipur Jhalana Tree Transplant Procedure

विश्व पर्यावरण दिवस 5 जून को मनाया जाता है. जयपुर में शहरीकरण और मौसम की मार से धराशाई हुए पेड़ों को झालाना लेपर्ड रिजर्व में पुनर्जन्म मिला है.

Trees are transplanted in Jhalana forest of Jaipur
ट्रांसप्लांट के बाद फिर हरा हो गया पेड़
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Published : Jun 5, 2021, 8:22 PM IST

जयपुर. शहरीकरण और मौसम की मार झेल चुके कई पेड़ों का झालाना लेपर्ड रिजर्व में ट्रांसप्लांट किया गया है. कई बार निर्माण कार्य और आंधी तूफान के चलते वृक्ष धराशाई हो जाते हैं. ऐसे में इन पेड़ों को नया जीवनदान देने के लिए झालाना लेपर्ड रिजर्व में ट्रांसप्लांट किया जा रहा है. सितंबर 2020 से शुरू किए गए इस अभियान के तहत अब तक झालाना में 10 बड़े वृक्षों का ट्रांसप्लांट किया जा चुका है.

जंगल में पेड़ों का ट्रांसप्लांट (भाग 1)

इन पेड़ों का किया गया ट्रांसप्लांट

1. बरगद का पेड़- हिम्मतनगर जयपुर से झालाना में ट्रांसप्लांट किया गया जिसकी जड़े पानी के टैंक की दीवार को नुकसान पहुंचा रही थी.

2. चीकू का पेड़- फर्नीचर कॉलोनी आदर्श नगर जयपुर से झालाना में ट्रांसप्लांट किया गया, जो घर निर्माण के लिए काटना पड़ रहा था.

3. फालसा का पेड़- फर्नीचर कॉलोनी आदर्श नगर से झालाना में ट्रांसप्लांट किया गया, जो घर निर्माण के लिए काटना पड़ रहा था.

4. अशोक का पेड़- जनता कॉलोनी आदर्श नगर से झालाना में ट्रांसप्लांट किया गया जो घर की दीवार को नुकसान पहुंचा रहा था.

5. बांस का पेड़- जनता कॉलोनी आदर्श नगर से झालाना में ट्रांसप्लांट किया गया.

6. पीपल का पेड़- कुमावत कॉलोनी झोटवाड़ा जयपुर से झालाना में ट्रांसप्लांट किया गया.

7. बरगद का पेड़- टोंक फाटक जयपुर से झालाना में ट्रांसप्लांट किया गया जो तेज आंधी के चलते गिर गया था.

8. पीपल का पेड़- मालवीय नगर रीको एरिया से झालाना में ट्रांसप्लांट किया गया, जो बेसमेंट निर्माण कार्य में बाधा बन रहा था.

जंगल में पेड़ों का ट्रांसप्लांट (भाग 2)

ताकि विकास से न हो विनाश...

झालाना लेपर्ड रिजर्व के क्षेत्रीय वन अधिकारी जनेश्वर चौधरी ने बताया कि विकास कार्य, मकान निर्माण या सड़क निर्माण के दौरान पेड़ काट दिए जाते हैं. पेड़ों के संरक्षण के लिए इन्हें काटने के बजाय जड़ से उखाड़कर जंगल में लगाने का प्लान किया गया. झालाना लेपर्ड रिजर्व में सितंबर 2020 में पेड़ों के ट्रांसप्लांट का काम शुरू हुआ. अभी तक करीब 10 पेड़ों का झालाना में ट्रांसप्लांट किया जा चुका है. जिनमें से 3 पीपल, 3 बरगद समेत अन्य पेड़ शामिल हैं.

पढ़ें- विश्व पर्यावरण दिवस 2021: पर्यावरण के सच्चे पहरेदार हैं हनुमानगढ़ के लाधुसिंह भाटी

मुख्य रूप से बरगद, पीपल और गूलर जो सबसे ज्यादा ऑक्सीजन देते हैं और जिन पर सबसे ज्यादा पक्षियों का आवास रहता है, ऐसे पेड़ों का ही ट्रांसप्लांट किया जाता है.

Trees are transplanted in Jhalana forest of Jaipur
शहर से उखड़ा पेड़, झालाना में जमा

रेंजर जनेश्वर चौधरी ने बताया कि पहला पेड़ हिम्मतनगर से सितंबर 2020 में लगाया गया था. हाल ही में एक भारी बरगद तोकते तूफान से धराशाई हो गया था. उसे भी ट्रांसप्लांट किया गया है. एक पीपल का पेड़ रीको इंडस्ट्रियल एरिया में निर्माण के दौरान बाधा बन गया था जिसे भी झालाना में ट्रांसप्लांट किया गया है. पर्यावरण का संतुलन बनाने के लिए कई तरीके होते हैं. वृक्षारोपण और ट्रांसप्लांट भी इसी का एक तरीका है.

पेड़ों का ट्रांसप्लांट जरूरी

जो पेड़ 10 से 15 साल का है. वह मरे नहीं इसके लिए उसे जंगल में लगाने की योजना शुरू की गई. पौधे को पेड़ बनाने में 15 साल लगते हैं. ऐसे में एक पेड़ को मरने से बचाना 15 साल की मेहनत जितना काम करना है. कई पेड़ ऐसे भी हैं जिन पर फल लगना शुरू हो गए हैं.

Trees are transplanted in Jhalana forest of Jaipur
ट्रांसप्लांट के बाद फिर हरा हो गया पेड़

जनेश्वर चौधरी ने बताया कि पेड़ को ट्रांसप्लांट करना आसान नहीं है. पेड़ की जड़ें बहुत गहरी और दूर तक फैली होती है. जब उसे उसके स्थान से हटाया जाता है, तब ज्यादातर जड़े काट दी जाती हैं. ऐसे में पेड़ को दूसरी जगह लगाने के लिए कई तरीके अपनाए जाते हैं. पेड़ की जड़ों को पाइक के सहारे जमीन में गाड़ा जाता है और सींचा जाता है. पाइप में छेद किए जाते हैं और मिट्टी भरकर उसमें पानी डाला जाता है. इससे जड़ों को पर्याप्त पानी मिल जाता है.

पढ़ें- World Environment Day 2021: राजस्थान का ऐसा गांव जहां पेड़ काटना तो दूर टहनी तक तोड़ना माना जाता है पाप

एक पेड़ पक्षियों की कॉलोनी होता है

बड़, पीपल और गूलर के फल पक्षियों के लिए काफी उपयोगी होते हैं. बर्ड्स के लिए एक पेड़ एक कॉलोनी का काम करता है. बहुत सारे पक्षियों का पेड़ पर आवास रहता है. पक्षी पेड़ पर अपना घोंसला बनाते हैं और इसी पेड़ पर पक्षियों को भोजन भी मिल जाता है.

पेड़ को काटें नहीं, हमें बताएं...

जनेश्वर चौधरी ने अपील की कि अगर भवन निर्माण या किसी भी वजह से भरे-पूरे पेड़ को काटना जरूरी है तो उसे काटने के बजाए वन विभाग को सूचित करें. विभाग ऐसे पेड़ों का ट्रांसप्लांट करने के लिए तैयार है.

ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया

जनेश्वर चौधरी ने बताया कि अगर कोई पेड़ गिर गया है तो जेसीबी मशीन की सहायता से खोद कर उसे ट्रांसप्लांट के लिए लाया जाता है. अगर पेड़ सीधा खड़ा हो तो पहले उसके चारों तरफ एक रिंग बनाई जाती है. गड्ढा खोदकर उसमें पानी भर दिया जाता है, ताकि जमीन नरम हो जाए. उसके बाद जेसीबी मशीन से खोदकर क्रेन की सहायता से जंगल में लाकर ट्रांसप्लांट किया जाता है.

Trees are transplanted in Jhalana forest of Jaipur
पाइप के सहारे जड़ तक पानी

शहरीकरण और विकास कार्य के चलते धराशाई होने वाले पेड़ों के लिए झालाना जंगल आशियाना बना हुआ है. इसके साथ ही वन विभाग की ओर से भी आमजन को जागरूक किया जा रहा है कि अगर किसी भी पेड़ पौधे को काटने की नौबत आए तो वन विभाग को सूचना दें. ताकि उस पेड़ को झालाना जंगल में लाकर ट्रांसप्लांट करके नया जीवन दिया जा सके.

जयपुर. शहरीकरण और मौसम की मार झेल चुके कई पेड़ों का झालाना लेपर्ड रिजर्व में ट्रांसप्लांट किया गया है. कई बार निर्माण कार्य और आंधी तूफान के चलते वृक्ष धराशाई हो जाते हैं. ऐसे में इन पेड़ों को नया जीवनदान देने के लिए झालाना लेपर्ड रिजर्व में ट्रांसप्लांट किया जा रहा है. सितंबर 2020 से शुरू किए गए इस अभियान के तहत अब तक झालाना में 10 बड़े वृक्षों का ट्रांसप्लांट किया जा चुका है.

जंगल में पेड़ों का ट्रांसप्लांट (भाग 1)

इन पेड़ों का किया गया ट्रांसप्लांट

1. बरगद का पेड़- हिम्मतनगर जयपुर से झालाना में ट्रांसप्लांट किया गया जिसकी जड़े पानी के टैंक की दीवार को नुकसान पहुंचा रही थी.

2. चीकू का पेड़- फर्नीचर कॉलोनी आदर्श नगर जयपुर से झालाना में ट्रांसप्लांट किया गया, जो घर निर्माण के लिए काटना पड़ रहा था.

3. फालसा का पेड़- फर्नीचर कॉलोनी आदर्श नगर से झालाना में ट्रांसप्लांट किया गया, जो घर निर्माण के लिए काटना पड़ रहा था.

4. अशोक का पेड़- जनता कॉलोनी आदर्श नगर से झालाना में ट्रांसप्लांट किया गया जो घर की दीवार को नुकसान पहुंचा रहा था.

5. बांस का पेड़- जनता कॉलोनी आदर्श नगर से झालाना में ट्रांसप्लांट किया गया.

6. पीपल का पेड़- कुमावत कॉलोनी झोटवाड़ा जयपुर से झालाना में ट्रांसप्लांट किया गया.

7. बरगद का पेड़- टोंक फाटक जयपुर से झालाना में ट्रांसप्लांट किया गया जो तेज आंधी के चलते गिर गया था.

8. पीपल का पेड़- मालवीय नगर रीको एरिया से झालाना में ट्रांसप्लांट किया गया, जो बेसमेंट निर्माण कार्य में बाधा बन रहा था.

जंगल में पेड़ों का ट्रांसप्लांट (भाग 2)

ताकि विकास से न हो विनाश...

झालाना लेपर्ड रिजर्व के क्षेत्रीय वन अधिकारी जनेश्वर चौधरी ने बताया कि विकास कार्य, मकान निर्माण या सड़क निर्माण के दौरान पेड़ काट दिए जाते हैं. पेड़ों के संरक्षण के लिए इन्हें काटने के बजाय जड़ से उखाड़कर जंगल में लगाने का प्लान किया गया. झालाना लेपर्ड रिजर्व में सितंबर 2020 में पेड़ों के ट्रांसप्लांट का काम शुरू हुआ. अभी तक करीब 10 पेड़ों का झालाना में ट्रांसप्लांट किया जा चुका है. जिनमें से 3 पीपल, 3 बरगद समेत अन्य पेड़ शामिल हैं.

पढ़ें- विश्व पर्यावरण दिवस 2021: पर्यावरण के सच्चे पहरेदार हैं हनुमानगढ़ के लाधुसिंह भाटी

मुख्य रूप से बरगद, पीपल और गूलर जो सबसे ज्यादा ऑक्सीजन देते हैं और जिन पर सबसे ज्यादा पक्षियों का आवास रहता है, ऐसे पेड़ों का ही ट्रांसप्लांट किया जाता है.

Trees are transplanted in Jhalana forest of Jaipur
शहर से उखड़ा पेड़, झालाना में जमा

रेंजर जनेश्वर चौधरी ने बताया कि पहला पेड़ हिम्मतनगर से सितंबर 2020 में लगाया गया था. हाल ही में एक भारी बरगद तोकते तूफान से धराशाई हो गया था. उसे भी ट्रांसप्लांट किया गया है. एक पीपल का पेड़ रीको इंडस्ट्रियल एरिया में निर्माण के दौरान बाधा बन गया था जिसे भी झालाना में ट्रांसप्लांट किया गया है. पर्यावरण का संतुलन बनाने के लिए कई तरीके होते हैं. वृक्षारोपण और ट्रांसप्लांट भी इसी का एक तरीका है.

पेड़ों का ट्रांसप्लांट जरूरी

जो पेड़ 10 से 15 साल का है. वह मरे नहीं इसके लिए उसे जंगल में लगाने की योजना शुरू की गई. पौधे को पेड़ बनाने में 15 साल लगते हैं. ऐसे में एक पेड़ को मरने से बचाना 15 साल की मेहनत जितना काम करना है. कई पेड़ ऐसे भी हैं जिन पर फल लगना शुरू हो गए हैं.

Trees are transplanted in Jhalana forest of Jaipur
ट्रांसप्लांट के बाद फिर हरा हो गया पेड़

जनेश्वर चौधरी ने बताया कि पेड़ को ट्रांसप्लांट करना आसान नहीं है. पेड़ की जड़ें बहुत गहरी और दूर तक फैली होती है. जब उसे उसके स्थान से हटाया जाता है, तब ज्यादातर जड़े काट दी जाती हैं. ऐसे में पेड़ को दूसरी जगह लगाने के लिए कई तरीके अपनाए जाते हैं. पेड़ की जड़ों को पाइक के सहारे जमीन में गाड़ा जाता है और सींचा जाता है. पाइप में छेद किए जाते हैं और मिट्टी भरकर उसमें पानी डाला जाता है. इससे जड़ों को पर्याप्त पानी मिल जाता है.

पढ़ें- World Environment Day 2021: राजस्थान का ऐसा गांव जहां पेड़ काटना तो दूर टहनी तक तोड़ना माना जाता है पाप

एक पेड़ पक्षियों की कॉलोनी होता है

बड़, पीपल और गूलर के फल पक्षियों के लिए काफी उपयोगी होते हैं. बर्ड्स के लिए एक पेड़ एक कॉलोनी का काम करता है. बहुत सारे पक्षियों का पेड़ पर आवास रहता है. पक्षी पेड़ पर अपना घोंसला बनाते हैं और इसी पेड़ पर पक्षियों को भोजन भी मिल जाता है.

पेड़ को काटें नहीं, हमें बताएं...

जनेश्वर चौधरी ने अपील की कि अगर भवन निर्माण या किसी भी वजह से भरे-पूरे पेड़ को काटना जरूरी है तो उसे काटने के बजाए वन विभाग को सूचित करें. विभाग ऐसे पेड़ों का ट्रांसप्लांट करने के लिए तैयार है.

ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया

जनेश्वर चौधरी ने बताया कि अगर कोई पेड़ गिर गया है तो जेसीबी मशीन की सहायता से खोद कर उसे ट्रांसप्लांट के लिए लाया जाता है. अगर पेड़ सीधा खड़ा हो तो पहले उसके चारों तरफ एक रिंग बनाई जाती है. गड्ढा खोदकर उसमें पानी भर दिया जाता है, ताकि जमीन नरम हो जाए. उसके बाद जेसीबी मशीन से खोदकर क्रेन की सहायता से जंगल में लाकर ट्रांसप्लांट किया जाता है.

Trees are transplanted in Jhalana forest of Jaipur
पाइप के सहारे जड़ तक पानी

शहरीकरण और विकास कार्य के चलते धराशाई होने वाले पेड़ों के लिए झालाना जंगल आशियाना बना हुआ है. इसके साथ ही वन विभाग की ओर से भी आमजन को जागरूक किया जा रहा है कि अगर किसी भी पेड़ पौधे को काटने की नौबत आए तो वन विभाग को सूचना दें. ताकि उस पेड़ को झालाना जंगल में लाकर ट्रांसप्लांट करके नया जीवन दिया जा सके.

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