जयपुर. किसी भी तरह की दुर्घटना होने पर शुरुआत के कुछ घंटों में अगर घायल मरीज को उचित उपचार मिल जाए तो उसकी जान बचाई जा सकती है. जहां दुर्घटना के बाद अस्पताल में तैयार किए गए ट्रॉमा सेंटर पर मरीज का प्रारंभिक इलाज होता है. जयपुर की बात की जाए तो सवाई मानसिंह अस्पताल के अलावा यहां कोई बड़ा ट्रॉमा सेंटर अस्पताल नहीं है. टोंक रोड, मालवीय नगर, जेएलएन मार्ग, सांगानेर, प्रताप नगर क्षेत्रों में होने वाली दुर्घटनाओं के बाद मरीजों को आमतौर पर सवाई मानसिंह अस्पताल स्थित ट्रॉमा सेंटर पर ही रेफर किया जाता है, क्योंकि इन क्षेत्रों के आसपास कोई बड़ा ट्रॉमा सेंटर मौजूद नहीं है.
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इसी को ध्यान में रखते हुए जयपुरिया अस्पताल में अब ट्रॉमा सेंटर खोलने (trauma center hospital) की कवायद शुरू कर दी गई है, ताकि टोंक रोड, जेएलएन मार्ग, सांगानेर, प्रताप नगर, मालवीय नगर क्षेत्रों में होने वाली किसी भी दुर्घटना के दौरान मरीजों को तुरंत रेफर किया जा सके. दरअसल जयपुर के दक्षिण में स्थित जयपुरिया अस्पताल में हजारों लोगों का इलाज होता है, लेकिन इस अस्पताल पर ट्रॉमा सेंटर मौजूद नहीं होने के चलते आम तौर पर घायल मरीजों को प्रारंभिक उपचार के बाद अन्य जगह रेफर किया जाता है. जिसके बाद अब जयपुरिया अस्पताल में भी ट्रॉमा सेंटर खोलने की कवायद शुरू कर दी गई है.
मामले को लेकर जयपुरिया अस्पताल के अधीक्षक डॉ. सुनीत राणावत का कहना है कि जयपुरिया अस्पताल काफी बड़ी आबादी का इलाज करता है, लेकिन कई बार किसी भी दुर्घटना में घायल हुए मरीजों को प्रारंभिक उपचार के बाद अन्य जगह रेफर किया जाता है. जिसे देखते हुए अस्पताल में एक ट्रॉमा सेंटर काफी जरूरी हो गया है.
परिवहन विभाग को लिखा पत्र
परिवहन विभाग अस्पतालों में ट्रॉमा सेंटर बनाने में आर्थिक सहायता उपलब्ध करवा रहा है. सड़क सुरक्षा के तहत आने वाले फंड को अस्पतालों में ट्रॉमा सेंटर खोलने के लिए खर्च किया जा रहा है. बता दें कि सवाई मानसिंह अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर को भी परिवहन विभाग की ओर से आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाई गई थी. अधीक्षक डॉक्टर राणावत का कहना है कि 30 मार्च को जयपुरिया अस्पताल प्रशासन की ओर से एक पत्र परिवहन विभाग को लिखा गया है. जिसमें परिवहन विभाग की सहायता से अस्पताल में ट्रॉमा सेंटर खोलने की कोशिश की जा रही है. इसके अलावा दानदाताओं का भी सहारा इसके अंदर लिया जाएगा, ताकि दुर्घटना में घायल होने वाली किसी भी मरीज को बेहतर इलाज अस्पताल में उपलब्ध हो सके.