जयपुर. राजस्थान विश्वविद्यालय के अधिकार वाली राजस्थान काॅलेज, महारानी काॅलेज, काॅमर्स काॅलेज, महाराजा काॅलेज की भूमि सहित करीब 500 बीघा जमीन का नामान्तरण राजस्थान विश्वविद्यालय के नाम दर्ज कराया जाएगा. बैठक में सम्बन्धित अधिकारियों को इसके लिए 30 जून तक की टाइम लाइन दी गई है.
जिला कलेक्टर अन्तर सिंह नेहरा के निर्देश पर शुक्रवार को अतिरिक्त जिला कलेक्टर इकबाल खान की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह निर्देश दिए गये. बैठक में इस भूमि के अलावा विश्वविद्यालय के मालिकाना हक की ऐसी जमीनों का सर्वे कर उनका नामान्तरण विश्वविद्यालय के हक में करने का भी निर्देश दिया, जो राजस्व रिकाॅर्ड में वन विभाग अथवा जेडीए के नाम दर्ज है, लेकिन विश्वविद्यालय के पजेशन में है.
पढ़ें: Rajasthan University में फिर गरमाई राजनीति, छात्र संघ पदाधिकारियों पर लगे आरोप
इकबाल खान ने वन विभाग और जेडीए के नाम राजस्व रिकाॅर्ड में अंकित जमीन के सम्बन्ध में वन विभाग के डीएफओ तथा जोन उपायुक्त प्रथम से चर्चा कर भूमि के वेरिफिकेशन के निर्देश दिए. मौके पर भूमि के सीमा ज्ञान में संशय होने पर भू प्रबन्धन विभाग से सम्पर्क कर वास्तविक स्थिति पता की जाए.
राजस्थान विश्वविद्यालय की भूमि की वर्तमान स्थिति
वर्तमान में राजस्थान विश्वविद्यालय व सम्बद्ध महाविद्यालयों के आधिपत्य में कुल भूमि 204.33 हेक्टेयर है. बीघा में इसका माप करीब 817 बीघा 08 बिस्वा है. इस भूमि में से 323 बीघा 07 बिस्वा भूमि का नामान्तरण राजस्थान विश्वविद्यालय के नाम हो चुका है. भूमि का यह हिस्सा विश्वविद्यालय के मुख्य परिसर से सम्बन्धित है, लेकिन कई वर्ष के बाद भी राजस्व गांव महादेवपुरा, चकभवानी शंकरपुरा तहसील जयपुर व ग्राम झालाना डूंगरी, तहसील सांगानेर में मौजूद 494 बीघा 01 बिस्वा अर्थात 123.5 हेक्टेयर भूमि का नामान्तरण राजस्थान विश्वविद्यालय के नाम दर्ज नहीं है. यह भूमि सिवायचक, वन विभाग, जेडीए, पीडब्ल्यूडी व आंशिक खातेदारी में है. इसमें राजस्थान काॅलेज एवं काॅमर्स काॅलेज की 153 बीघा 7 बिस्वा, महाराजा काॅलेज व महारानी काॅलेज की 83 बीघा 4 बिस्वा भूमि भी शामिल है.
विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार केएम दुरिया एवं सलाहकार राजस्थान विश्वविद्यालय डाॅ. गिरवर सिंह ने विश्वविद्यालय का पक्ष रखा. इकबाल खान ने जयपुर एवं सांगानेर के तहसीलदारों को निर्देश दिया कि विश्वविद्यालय की जो जमीन सिवायचक हैं एवं विवादित या अतिक्रमण में नहीं है, उनका नामान्तरण पूर्व में दिए गए आदेशों के अनुसार विश्वविद्यालय के पक्ष में जून माह में कर दिया जाए.