जयपुर. संविधान दिवस (Constitution Day 2021) के दिन आज शुक्रवार को राजस्थान के सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्री टीकाराम जूली (Minister of Social Justice and Empowerment Rajasthan) ने अधिकारियों के साथ अपने विभाग की पहली बैठक ली. बैठक से पहले टीकाराम ने निदेशालय के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को संविधान की प्रस्तावना का वाचन करवाया और मूल कर्तव्यों की शपथ दिलाई गई.
बैठक के बाद ईटीवी भारत (ETV Bharat Latest News) से खास बात करते हुए मंत्री टीकाराम जूली (Tikaram Julie Targeted on Modi Government ) ने कहा कि आज संविधान दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) बताएं कि उन्होंने संविधान को मजबूत करने के लिए क्या काम किया ? टीकाराम जूली ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा पर आरोप लगाए कि आज संविधान की बात करने वाले मोदी यह बताएं कि लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकारों को गिराना क्या संविधान के अनुरूप है ?
गहलोत के मंत्री ने कहा कि जनता ने जिस पार्टी को सत्ता दी, उस पार्टी के नेता लोगों को मोहरा बनाकर यूज करते हैं, लालच देते हैं और इस्तीफे दिलवाकर दोबारा भाजपा उन्हीं को टिकट देकर फिर सरकार बनाती है. क्या यह संविधान की मंशा के अनुरूप है ? उन्होंने कहा कि क्या भाजपा और आरएसएस का आरक्षण खत्म करने की बात करना संविधान के अनुरूप है ? एससी, एसटी, माइनॉरिटी, ओबीसी या अन्य पिछड़ा वर्ग की जो योजनाएं चल रही हैं, उसमें भारत सरकार ने पैसा देना कम कर दिया है, क्या यह संविधान के अनुरूप है ?
पढ़ें : Tikaram Julie ने संभाला पदभार, कहा- वंचित वर्ग को राहत देने और नवाचार रहेगी प्राथमिकता
टीकाराम जूली ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री मोदी संविधान दिवस पर कुछ करना चाहते हैं तो वह आज के दिन बाबा साहब भीमराव अंबेडकर (Bhimrao Ambedkar) से माफी मांगे, जिनके बनाए संविधान को कमजोर करने की साजिश संविधान के अनुरूप चल रहे किसान आंदोलन (Tikaram Julie Commented on Farmer Protest) को दबाकर की, जिसके चलते 1000 से ज्यादा किसान शहीद हुए. मंत्री टीकाराम ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को यह याद रखना चाहिए कि बाबा साहब अंबेडकर का संविधान देश को एकजुट रखने वाला था और एक चाय वाला अगर देश का प्रधानमंत्री बना तो वह उन्हीं बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के संविधान की देन है.
परिवारवाद की बात करने वाले मोदी की पार्टी में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और उनके बेटे जैसे न जाने कितने उदाहरण...
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज संविधान दिवस के अवसर पर कांग्रेस पार्टी का नाम लिए बगैर उस पर हमला किया. पीएम मोदी ने कहा कि भारत एक संकट की तरफ बढ़ रहा है और वह है पारिवारिक पार्टियां. 'पार्टी फॉर द फैमिली पार्टी बाय द फैमली', मोदी का इशारा इस बयान से कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और आरजेडी जैसी पार्टियों के ऊपर था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस बयान पर राजस्थान के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री (Minister of Social Justice and Empowerment Rajasthan) टीकाराम जूली ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यह बताएं कि क्या भारतीय जनता पार्टी में परिवारवाद नहीं है ? राजस्थान की मुख्यमंत्री रही वसुंधरा राजे और उनके बेटे आज भी सांसद हैं और ऐसे न जाने कितने उदाहरण आज भी भाजपा में हैं, जिसमें परिवार ही शासन कर रहा है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि यह जनता के ऊपर है कि वह सत्ता परिवार को देती है या किसी और को देती है. क्योंकि जनता एक मिनट में राज बदल भी देती है और नया भी बना देती है.
पढ़ें : क्या है गहलोत सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट ? रामलाल जाट ने बताई प्राथमिकता...सुनिये क्या कहा
एट्रोसिटी मामलों में मिलना चाहिए त्वरित न्याय, करूंगा मुख्यमंत्री से बात...
सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्री टीकाराम जूली ने आज अपनी पहली बैठक ली. इस दौरान उन्होंने विभाग की चल रही योजनाओं को तो गिनाया ही, इसके साथ ही उन्होंने विराटनगर में दलित को घोड़ी से उतारने का प्रयास करने और उन पर पथराव करने के मामले पर चिंता जताई. ऐसी घटनाओं की पुनरावृति पर टीकाराम जूली ने एक चिंता यह भी जताई कि एट्रोसिटी के मामलों में अगर देरी होती है तो उससे कॉम्प्रोमाइज का प्रेशर बनता है. देरी के चलते पीड़ित भी हताशा में यह सोचता है कि वह राजीनामा करके कैसे इस मामले से पीछा छुड़ा ले और जब राजीनामा होता है तो दूसरे पक्ष को यह मौका मिलता है कि जब पहले भी किसी मामले में राजीनामा हो गया तो आगे भी राजीनामा हो जाएगा. इसलिए त्वरित न्याय की जरूरत है. उन्होंने कहा कि मैं इस मामले में मुख्यमंत्री से बात करूंगा.
पढ़ें : खुद पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों पर बोले टीकाराम जूली- कोई गलत करता है तो सामने आ जाता है
आपको बता दें कि इस मामले में कांग्रेस के विधायक खिलाड़ी लाल बैरवा ने भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है और कहा है कि जैसे फास्ट ट्रैक कोर्ट बनते हैं, वैसे ही दलित अत्याचार निवारण कोर्ट का गठन राजस्थान सरकार करे. जिससे कि दोषियों के खिलाफ एक महीने में चालान हो सके और दलितों को जल्द न्याय मिल सके.