जयपुर. बाघ संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से सोमवार को प्रदेशभर में विश्व बाघ दिवस मनाया गया. विश्व बाघ दिवस पर राजधानी जयपुर में कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. जयपुर के जवाहर कला केंद्र में टाइगर फेस्टिवल के तहत टाइगर फोटो प्रदर्शनी का आयोजन किया गया.
वन एवं पर्यावरण मंत्री सुखराम बिश्नोई ने टाइगर फोटो एग्जीबिशन का उद्घाटन किया. इस मौके पर पूर्व मंत्री बीना काक, राजस्थान के चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन अरिंदम तोमर और वन्यजीव प्रेमी भी मौजूद रहे. बाघ दिवस के मौके पर केक काटकर बाघ संरक्षण का संदेश दिया गया.
वन एवं पर्यावरण मंत्री सुखराम बिश्नोई ने कहा कि आज देश में वन और वन्यजीवों के संरक्षण की जरूरत है. बाघों को बचाने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के निर्देश पर राज्य सरकार हर संभव प्रयास कर रही है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए विभाग पूरी तरह से जुटा हुआ है. बाघों का कुनबा बढ़ा है और शिकार की कोई घटना सामने नहीं आई है.
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राज्य सरकार बाघ संरक्षण की दिशा में काम कर रही है जिसके अच्छे परिणाम सामने आए हैं. वन विभाग के सीसीएफ वाईके साहू ने बताया कि बाघ संरक्षण की दिशा में पूरे प्रदेश में अच्छा कार्य हुआ है. बाघ संरक्षण में भारत का पूरे विश्व में नाम है. प्रदेश में बाघों का प्रजनन भी अच्छा होने से बाघों का कुनबा बढ़ा है. बाघ परियोजना में भी लगातार प्रगति हो रही है. बाघों का संरक्षण बहुत ही आवश्यक है.
वन्यजीव विशेषज्ञ धीरेंद्र गोधा ने बताया कि यहां पर टाइगर से संबंधित बेहतरीन फोटोग्राफ्स लगाये गए हैं. देश में बाघों की बढ़ती संख्या वन्यजीव प्रेमियों के लिए बहुत ही खुशी की बात है. वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट रोहित गंगवाल ने बताया कि विश्व बाघ दिवस के अवसर पर जयपुर में बहुत अच्छी टाइगर फोटो प्रदर्शनी लगाई गई है.
जो लोग जंगलों में जाकर टाइगर नहीं दे सकते है. इस प्रदर्शनी में आकर टाइगर के हर मूवमेंट को देख सकते है. टाइगर की हर तरह की फोटो प्रदर्शनी में लगाई गई है. जिसमें देख सकते हैं कि टाइगर का गुस्सा, उसका व्यवहार, शिकार, कैसे वह सोता है और कैसे अपनी दिनचर्या करता है. यह सब इस प्रदर्शनी में दिखाया गया है. 31 जुलाई तक यह प्रदर्शनी लगाई जा रही है.
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कार्यक्रम में मौजूद वाइल्डलाइफ विशेषज्ञों ने बाघ संरक्षण और बाघों की सुरक्षा को लेकर ठोस नीति बनाने की भी आवश्यकता बताई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बाघों की गणना के आंकड़े जारी करने से भी वन्यजीव विशेषज्ञ काफी खुश नजर आए. देश में जहां 2 वर्ष पहले 2226 बाघ थे. जिनकी संख्या बढ़कर अब 2967 हो गई है.
राजस्थान की बात करें तो यहां रणथंबोर में 66 बाघ, सरिस्का में 15 बाघ और मुकुंदरा में 4 बाघ है. प्रदेश में 2005 से बाघ पुनर्वास कार्यक्रम चलाए जाने के बाद से ही बाघों की संख्या में वृद्धि हो रही है. कार्यक्रम में वन एवं पर्यावरण मंत्री सुखराम विश्नोई और पूर्व मंत्री बीना काक ने वन्यजीवों के संरक्षण की दिशा में कार्य करने वालों को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया.