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विश्व धरोहर दिवस पर इस बार ना 'रंग रंगीलो राजस्थान' ना 'पधारो म्हारे देश'

आज जहां पूरी दुनिया कोविड-19 महामारी से लड़ रही है. ऐसे में इस बार विश्व विरासत दिवस इंटरनेट के जरिए मनाया जा रहा है. यही वजह है कि देश के स्मारकों में आज के दिन पर्यटकों की भीड़ लगी रहती थी, वो स्मारक आज सूने पड़े हैं और लोग घरों में रहकर इस महामारी से लड़ते हुए विश्व विरासत दिवस मना रहे हैं.

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Published : Apr 18, 2020, 5:15 PM IST

जयपुर न्यूज, कोरोना वायरस, jaipur news, corona virus
'रंगीलो राजस्थान' ना 'पधारो म्हारे देश'

जयपुर. विश्व विरासत दिवस पर इस बार प्रदेश में ना तो रंगीलो राजस्थान की छटा बिखरी, और ना ही पधारो म्हारे देश सार्थक हो पाया. बीते साल ही जयपुर को विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया था. हाल ही में खुद यूनेस्को की महानिदेशक ने जयपुर को इसका तमगा भी दिया. ऐसे में उम्मीद की जा रही थी, कि इस बार विश्व विरासत दिवस पर जयपुर सहित प्रदेश भर में भव्य आयोजन होंगे.

'रंगीलो राजस्थान' ना 'पधारो म्हारे देश'

बता दें, कि आमेर, नाहरगढ़, हवामहल, जंतर मंतर और अल्बर्ट हॉल सैलानियों से लबरेज होंगे. लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते पूरे देश में लॉकडाउन है. लोग अपने घरों में कैद है और यहां की विरासत बिना सैलानियों के सूनी पड़ी है, हालांकि इस बार विश्व विरासत दिवस का विषय ही 'साझा संस्कृति' 'साझा विरासत' और 'साझा जिम्मेदारी' है. ऐसे में लोग अपनी संस्कृति और विरासत के साथ-साथ राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए इंटरनेट के माध्यम से विश्व विरासत दिवस मना रहे हैं और सोशल मीडिया पर देश की धरोहरों के चित्र शेयर कर रहे हैं. इस काम में देश के केंद्रीय मंत्री और प्रदेश के दिग्गज नेता भी पीछे नहीं रहे.

पढ़ेंः दर्द ही दर्द...! बेबस पाक विस्थापित फाकाकशी में दिन गुजारने को मजबूर

बहरहाल, संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनेस्को ने विरासत को अनमोल मानते हुए और लोगों से इन्हें सुरक्षित और संभाल कर रखने के उद्देश्य से ही इस दिवस को मनाने का निर्णय लिया था. चूंकि किसी भी राष्ट्र का इतिहास उसके वर्तमान और भविष्य की नींव होता है, ऐसे में इसे संजोने की आवश्यकता है. लेकिन फिलहाल कोरोना महामारी के चलते वर्तमान को संजोने की भी जरूरत है.

जयपुर. विश्व विरासत दिवस पर इस बार प्रदेश में ना तो रंगीलो राजस्थान की छटा बिखरी, और ना ही पधारो म्हारे देश सार्थक हो पाया. बीते साल ही जयपुर को विश्व विरासत सूची में शामिल किया गया था. हाल ही में खुद यूनेस्को की महानिदेशक ने जयपुर को इसका तमगा भी दिया. ऐसे में उम्मीद की जा रही थी, कि इस बार विश्व विरासत दिवस पर जयपुर सहित प्रदेश भर में भव्य आयोजन होंगे.

'रंगीलो राजस्थान' ना 'पधारो म्हारे देश'

बता दें, कि आमेर, नाहरगढ़, हवामहल, जंतर मंतर और अल्बर्ट हॉल सैलानियों से लबरेज होंगे. लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते पूरे देश में लॉकडाउन है. लोग अपने घरों में कैद है और यहां की विरासत बिना सैलानियों के सूनी पड़ी है, हालांकि इस बार विश्व विरासत दिवस का विषय ही 'साझा संस्कृति' 'साझा विरासत' और 'साझा जिम्मेदारी' है. ऐसे में लोग अपनी संस्कृति और विरासत के साथ-साथ राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए इंटरनेट के माध्यम से विश्व विरासत दिवस मना रहे हैं और सोशल मीडिया पर देश की धरोहरों के चित्र शेयर कर रहे हैं. इस काम में देश के केंद्रीय मंत्री और प्रदेश के दिग्गज नेता भी पीछे नहीं रहे.

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बहरहाल, संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनेस्को ने विरासत को अनमोल मानते हुए और लोगों से इन्हें सुरक्षित और संभाल कर रखने के उद्देश्य से ही इस दिवस को मनाने का निर्णय लिया था. चूंकि किसी भी राष्ट्र का इतिहास उसके वर्तमान और भविष्य की नींव होता है, ऐसे में इसे संजोने की आवश्यकता है. लेकिन फिलहाल कोरोना महामारी के चलते वर्तमान को संजोने की भी जरूरत है.

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