जयपुर. दलित-आदिवासी-अल्पसंख्क दमन प्रतिरोध आंदोलन के तहत रविवार को जयपुर में एक राज्य स्तरीय कन्वेंशन का आयोजन किया गया. इस दौरान सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति और जनविरोधी नीतियों के खिलाफ (Third Front Against Communal Polarization in Rajasthan) प्रस्ताव पारित हुए. इस कन्वेंशन में महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी, पूर्व सांसद और सीपीएम की पोलितब्यूरो सदस्य कामरेड सुभाषिनी अली और सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा राय ने भी संबोधित किया.
सभी वक्ताओं ने आरोप लगाते हुए कहा कि देश के वर्तमान हालात चिंताजनक हैं. जहां संप्रदाय के नाम पर राजनीति के जरिए खुलेआम (Third Front in Rajasthan) ध्रुवीकरण किया जा रहा है. इस दौरान रणनीति बनाई गई की पूरे राज्य के हर संभाग,जिले और तहसील में 'साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति और जनविरोधी नीतियों के ख़िलाफ' सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे. उसके बाद सभी जिलों में गांव और शहरों में साम्प्रदायिकता और जनविरोधी नवउदारवादी आर्थिक नीतियों के ख़िलाफ़ संघर्ष के सामूहिक मंच गठित किए जाएंगे.
इंदिरा राज्य गांधी पंचायती राज संस्थान में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति और जनविरोधी नीतियों पर बोलते हुए तुषार गांधी ने मौजूदा हालात पर (Tushar Gandhi on India Condition) तफ्सील से अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि जिस तरह से आज देश के हालात हो रहे हैं, वह लोकतंत्र के लिए बेहद चिंताजनक हैं. आज धर्म संप्रदाय के नाम पर देशभर में कई घटनाएं हो रही हैं, जिनके पीछे की राजनीति को रोका जाना आवश्यक है. तुषार गांधी ने कहा कि अलग-अलग मंच पर आकर इस लड़ाई को लड़ना जरूरी है, सभी एक होकर सांप्रदायिक ताकतों का मुकाबला करें तो देश को बचाया जा सकता है.
इस सम्मेलन को संबोधित करते हुए पूर्व सांसद और सीपीएम की पोलित ब्यूरो सदस्य कामरेड सुभाषिनी अली ने भी अपने विचार रखे. उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि कहा कि जिस तरह से भाईचारे को खराब किया जा रहा है और संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रही है. उसके बाद देश की छवि बिगड़ रही है. दुनिया भर में सबसे बड़े लोकतंत्र के खिलाफ गलत पैगाम जा रहा है. वहीं, सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा राय ने विस्तार से प्रदेश के हालात पर बात की. उन्होंने बताया कि कैसे प्रदेश में सांप्रदायिक ताकतों का मुकाबला करना है.
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सांप्रदायिक ध्रुवीकरण और जन विरोधी नीतियों को लेकर कांग्रेस नेता डॉक्टर संजय माधव ने आरोप लगाते हुए कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी देश में राजनीति के तहत जनता को बांट रही हैं. उन्होंने इस दौरान आर्थिक नीतियों को लेकर भी बात रखी और बताया कि कैसे 'थर्ड फ्रंट' मिलकर इस लड़ाई को लड़ सकता है. सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति और जनविरोधी नीतियों के खिलाफ सर्वसम्मति से महत्वपूर्ण मसलों पर निम्नलिखित प्रस्ताव पारित किए गए.
- केन्द्र में भाजपा-आरएसएस सरकार की ओर से लागू की जा रही साम्प्रदायिक नीतियों, बुलडोजर राजनीति और अल्पसंख्यक विरोधी सीएए-एनआरसी-एनपीआर के खिलाफ प्रस्ताव.
- जनविरोधी नवउदारवादी आर्थिक नीतियों, निजीकरण, बाजारीकरण के खिलाफ प्रस्ताव.
- पेट्रोल-डीजल, गैस सिलेंडर के बढ़ते दामों और महंगाई के खिलाफ प्रस्ताव.
- सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सार्वभौमिक बनाने, मजबूत करने और सभी खाद्य वस्तुओं को उपलब्ध कराने की मांग को लेकर प्रस्ताव.
- नई शिक्षा नीति, शिक्षा के साम्प्रदायिकरण और निजीकरण के खिलाफि प्रस्ताव.
- बेरोजगारी, संविदा-ठेका प्रथा और अग्निपथ योजना के खिलाफ प्रस्ताव.
- श्रम कानूनों को समाप्त कर तीन लेबर कोड बनाने, निजीकरण और मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ प्रस्ताव.
- संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन और किसानों के साथ केन्द्र सरकार की वादाखिलाफी के विरोध में प्रस्ताव.
- मनुवादी सोच के बढ़ते प्रभाव और दलित-आदिवासियों, महिलाओं पर बढ़ते अत्याचारों के खिलाफि प्रस्ताव.
- देश के संविधान, संघीय ढांचे और संवैधानिक संस्थाओं पर हो रहे हमलों के खिलाफ प्रस्ताव.
- लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमलों के खिलाफ प्रस्ताव.
- यूएपीए जैसे काले कानून को रद्द करने और सभी बुद्धिजीवियों, पत्रकारों, सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ताओं को तुरंत रिहा किए जाने का प्रस्ताव.
- सीबीआई, ईडी, इन्कमटैक्स विभाग जैसी केन्द्रीय एजेंसियों का राजनीतिक विरोधियों के ख़िलाफ दुरुपयोग करने के खिलाफ प्रस्ताव.