जयपुर. राजधानी में सोमवार को जगद्गुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय के तीसरे दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया. राज्यपाल कलराज मिश्र ने मदाऊ स्थित विश्वविद्यालय परिसर में आयोजित दीक्षांत समारोह में छात्रों को मानद उपाधि प्रदान की. वहीं संस्कृत विश्वविद्यालय पहली बार वाचस्पति (डि लीट) की मानद उपाधि दे रहा. यह मानद उपाधि 5 विशिष्ट विद्वानों को दी गई. राज्यपाल ने समारोह में उपस्थित जनों को संविधान की प्रस्तावना और मूल कृर्तव्यों का वाचन करवाया.
बता दें कि डी लिट की मानद उपाधि भारतीय संस्कृति परम्परा के संरक्षण, शिक्षा के सर्वोन्न्मुखी विकास के चिंतन, समाज को प्रगतिशील सुंदर, सुसभ्य और गरिमामय बनाने के लिए सामाजिक विशिष्ट कार्य के क्षेत्र में अपूर्व योगदान के लिए दी जा रही है. यह उपाधि डॉ. गुलाब कोठारी, पूर्व राज्यसभा सांसद डॉ. कर्णसिंह, शिक्षाविद कलानाथ शास्त्री और अनुराग कृष्ण पाठक को दी गई है.
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21 हजार से अधिक डिग्रियों का हुआ वितरण
समारोह में राज्यपाल ने शैक्षणिक सत्र 2017 की 12167 और 2018 की 9368 डिग्रियों का वितरण किया गया. इसके साथ ही 30 प्रतिभावान विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक प्रदान किए गए. शैक्षणिक सत्र 2017 के 16 और 2018 के 14 स्वर्ण पदक विद्यार्थियों को दिए गए. इस कार्यक्रम की अध्यक्षता राज्यपाल की ओर से किया गया. इसके साथ ही कार्यक्रम के मुख्य अतिथि तकनीकी शिक्षा मंत्री डॉ.सुभाष गर्ग रहे.
इन्हें मिले स्वर्ण पदक
इस दौरान सत्र 2017 के 16 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक दिए गए. ये पदक पूनम गुप्ता, अंकिता शर्मा, अनुज कंवर, रविन्द्र शर्मा, प्रवीण कुमार, जिज्ञासा भारद्वाज, भोलूदास, पूनम गुप्ता, अंकित कुमार शर्मा, मोहित शर्मा, रेणू शर्मा, मीनाक्षी चोटिया, जैन पवन मांगीलाल, भागीरथ सूत्रकार, रेखा पारिक और वीपिन कुमार शुक्ला को स्वर्ण पदक दिए गए. इसी प्रकार 2018 के 14 स्वर्ण पदक दिए गए. ये पदक परमेश्वर गंगावत, यामिनी शर्मा, सुनीता चौधरी, दीपक पालीवाल, प्रियंका जांगिड़, पारूल मित्तल, देवेन्द्र कुमार शर्मा, विजय कुमार गौड़, परमेश्वर गंगावत, पुनीत यादव, रेखा शर्मा, कंचन शर्मा, भारती शर्मा और मुकेश चौधरी को स्वर्ण पद वितरित किया गया.
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संस्कृत विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में मनुस्मृति को लेकर राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि मनुस्मृति युग के अनुरूप संशोधित भी हुई है. इसी मनुस्मृति में व्यक्ति को कर्म के अनुसार बताया गया है. यदि शूद्र के लिए मनुस्मृति में उल्लेख किया गया है तो साथ ही ऐसे पंडित के लिए भी साफ लिखा गया है, यदि पंडित चांडाल का कार्य करता है तो वह पंडित नहीं है. उन्होंने कहा कि संस्कृत को जनसामान्य तक पहुंचाने का प्रयास विश्वविद्यालय को करना चाहिए, जिससे 'बहुजनहिताय बहुजनसुखाय' की भावना समाज में फैल सके.
वहीं, समारोह के मुख्य अतिथि शिक्षा मंत्री डॉ. सुभाष गर्ग ने विद्यार्थियों का आह्वान करते हुए कहा कि संस्कृत शास्त्रों में निहित संदेश लोकहित में विश्वविद्यालय को प्रचारित करने चाहिए. उन्होंने कहा कि राजस्थान सरकार संस्कृत भाषा के विकास में कोई कसर नहीं छोड़ेगी. सरकार संस्कृत शिक्षा के विकास के लिए संकल्पित है.