जयपुर. जयपुर शहर में मिनरल वाटर प्लांट का व्यापार फल-फूल रहा है. बड़ी-बड़ी कंपनियों के साथ ही कई छोटी कंपनियां भी मिनरल वाटर प्लांट लगाकर व्यापार कर रही है लेकिन इनकी शुद्धता को लेकर हमेशा से ही संशय बना रहा है. पीएचईडी विभाग का भी इन मिनरल वाटर प्लांट पर कोई नियंत्रण नहीं है. जिसके कारण इनकी शुद्धता पर सवाल उठता है. मिनरल वाटर प्लांट वाले अपने ही स्तर पर स्टैंडर्ड का मापन करते हैं.
देश में दिन पर दिन पेयजल की समस्या गहराती जा रही है. उसमें भी सबको साफ और मिनरल युक्त पानी मिलना आज भी एक बड़ी चुनौती है. एक बड़ा तबका शुद्ध पेयजल से वंचित है. ऐसे में शुद्ध पेयजल की मांग बढ़ी तो आज हम बोतलों में बंद मिनरल वाटर को ही शुद्ध पानी मानने लगे हैं. मिनरल वाटर का चलन कुछ यूं बढ़ा कि पिछले कुछ सालों में हर जगह मिनरल वाटर प्लांट दिखने लगे. घर-घर फिर ये वाटर सप्लाई होने लगा लेकिन आप चौंक जाएंगे कि मिनरल वाटर प्लांट के जरिए जो शुद्ध पानी उपलब्ध करवाने का दावा किया जा रहा है, वो स्वास्थ्य के लिए कितना हानिकारक हो सकता है.
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जयपुर शहर में भी मिनरल वाटर प्लांट का व्यापार फल फूल रहा है. बड़ी-बड़ी कंपनियों के साथ ही कई छोटी कंपनियां भी मिनरल वाटर प्लांट लगाकर व्यापार कर रही है लेकिन इनकी शुद्धता को लेकर हमेशा से ही संशय बना रहा है. जयपुर शहर में कई मिनरल वाटर प्लांट लगे हुए हैं, जहां से आमजन को पीने के लिए मिनरल वाटर सप्लाई किया जाता है. हालांकि आरओ प्लांट के मुकाबले इनकी संख्या कम है, अलग-अलग कंपनियों का मिनरल वाटर शहर में सप्लाई होता है. आम जनता कुछ ब्रांडेड मिनरल वाटर के अलावा अन्य मिनरल वाटर पीना पसंद नहीं करती.
खनिज मात्रा कम होने से हो सकता है गंभीर रोग
बता दें कि पानी में कई प्रकार के मिनरल्स मौजूद होते हैं, जो इंसान के शरीर के लिए आवश्यक होते हैं. इन खनिज की मात्रा निर्धारित मात्रा से अधिक होती है, तो यह शरीर को नुकसान भी पहुंचा सकते हैं. मिनरल वाटर में टीडीएस (कुल घुलनशील पदार्थ) की मात्रा 500 पीपीएम तक हो सकती है.
जन स्वास्थ्य एवं अभियांत्रिकी विभाग के अधीक्षण अभियंता अजय सिंह राठौड़ ने कहा कि विभाग की ओर से पीने के पानी के स्टैंडर्ड 2012 के आईएस 10500 के स्टैंडर्ड के अनुसार है और इसी के अनुसार स्टैंडर्ड मेंटेन कर वाटर सप्लाई किया जाता है पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से एनओसी लेकर मिनरल वाटर प्लांट शुरू किए जाते हैं. वही उन पर नियंत्रण रखते हैं. पीएचईडी विभाग का मिनरल प्लांट कोई दखल नही है. राठौड़ ने कहा कि विभाग की ओर से सप्लाई होने वाले पानी में जरूरी मिनरल मैंटेन किए जाते हैं, अलग से कोई मिनरल मिलाए नही जाते.
पीएचईडी विभाग की ओर से मिनरल वाटर प्लांट पर किसी भी तरह का नियंत्रण नहीं होने से उनकी शुद्धता को लेकर सवालिया निशान उठते हैं जयपुर में कई टूरिस्ट पैलेस है जहां हजारों देशी और विदेशी पर्यटक घूमने के लिए आते हैं. वे सभी बोतल में बंद मिनरल वाटर का ज्यादा उपयोग करते हैं. बड़ी कंपनियों के अलावा छोटी छोटी कंपनियां भी अब बाजार में आ गई है, वे भी मिनरल वाटर के नाम से व्यापार कर रही है लेकिन उनके पानी को लेकर सवालिया निशान उठते रहते हैं.