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63 वें दिन उठा विद्युत श्रमिक महासंघ का धरना : मांगों के समाधान के लिए बनी कमेटी, 25 फरवरी तक का दिया अल्टीमेटम

राजस्थान विद्युत श्रमिक महासंघ के कर्मचारियों का धरना आज 63 वें दिन समाप्त हो गया. ये कर्मचारी 28 सूत्री मांग पत्र के समर्थन में पिछले 5 अक्टूबर से धरने पर बैठे थे. जयपुर डिस्कॉम मुख्य कार्मिक अधिकारी राकेश शर्मा ने प्रदर्शनकारी कर्मचारियों को समझौता पत्र पर धरना समाप्त कराया.

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63 वें दिन उठा विद्युत श्रमिक महासंघ का धरना
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Published : Dec 6, 2021, 11:01 PM IST

जयपुर. राजस्थान विद्युत श्रमिक महासंघ की 28 सूत्री मांगों में से कुछ मांगों के समाधान के लिए ऊर्जा विभाग ने मुख्य कार्मिक अधिकारी की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है. यह समिति मांगों पर चर्चा कर निस्तारण करेगी.

राजस्थान विद्युत श्रमिक महासंघ के कर्मचारियों की मांगों के समाधान के लिए बनाई गई कमेटी में जयपुर डिस्कॉम मुख्य कार्मिक अधिकारी के साथ ही उत्पादन निगम और प्रसारण निगम के मुख्य कार्मिक अधिकारी भी शामिल किए गए हैं. वहीं श्रमिक महासंघ की ओर से बीज 2 सदस्य इस कमेटी की बैठकों में विशेष रूप से आमंत्रित किए जाएंगे.

कमेटी ऐसी मांगें जिससे पर कोई वित्तीय भार नहीं आता हो, के संबंध में अपनी अनुशंसा आगे देगी. पदनाम परिवर्तन से जुड़ी मांग को परीक्षण के बाद समन्वय समिति की आगामी बैठक में रखा जाएगा. वहीं निगम कर्मचारियों की सीजीएचएस से जुड़ी मांग मान ली गई है. मुख्य कार्मिक अधिकारी राकेश शर्मा ने कहा कि महासंघ के मांग पत्र पर 3 दिसंबर को डिस्कॉम चेयरमैन और प्रसारण निगम के सीएमडी भास्कर ए सावंत की अध्यक्षता में एक बैठक हुई थी, जिसमें सभी विद्युत निगम के उच्च अधिकारी और आंदोलनरत कर्मचारी प्रतिनिधि शामिल हुए थे. जिसमें मांगों के निस्तारण के लिए कमेटी बनाने का निर्णय हुआ. अब जल्द ही कमेटी के जरिए मांगों का निस्तारण किया जाएगा.

पढ़ें- रीट का संशोधित परिणाम : REET 2021 लेवल 2 का संशोधित परिणाम जारी, इस माह सफल परीक्षार्थियों के पात्रता प्रमाण पत्र होंगे जारी

25 फरवरी तक का अल्टीमेटम

विद्युत श्रमिक महासंघ के प्रदेश महामंत्री विजय सिंह वाघेला ने बताया कि महासंघ की मांगो के समाधान के लिए कमेटी का गठन तो प्रशासन ने कर दिया, लेकिन यदि समय पर मांगों का निस्तारण नहीं हुआ तो श्रमिक महासंघ से जुड़ा कर्मचारी आगामी 25 फरवरी को उग्र आंदोलन करेगा और जरूरत पड़ी तो विधानसभा का भी घेराव किया जाएगा. मतलब साफ है महासंघ ने विद्युत निगम प्रशासन को 25 फरवरी तक का अल्टीमेटम दिया है.

श्रमिक महासंघ से जुड़े पदाधिकारियों का कहना था कि सरकार तुरंत प्रभाव से निजीकरण पर रोक लगाकर बिजली कंपनियों में नई भर्ती करे. कर्मचारियों की इंटरकंपनी स्थानांतरण की सुविधा को भी शुरू करे. कर्मचारी संगठन इस बात से भी नाराज थे कि जो कर्मचारी कोविड-19 से मारे गए उनके परिवार को भी अब तक बिजली कंपनियों की तरफ से 50 लाख की सहायता राशि नहीं दी गई. यही कारण है कि इन तमाम मांगों को लेकर ये कर्मचारी 5 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे थे जो अब समाप्त हुआ है.

जयपुर. राजस्थान विद्युत श्रमिक महासंघ की 28 सूत्री मांगों में से कुछ मांगों के समाधान के लिए ऊर्जा विभाग ने मुख्य कार्मिक अधिकारी की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया है. यह समिति मांगों पर चर्चा कर निस्तारण करेगी.

राजस्थान विद्युत श्रमिक महासंघ के कर्मचारियों की मांगों के समाधान के लिए बनाई गई कमेटी में जयपुर डिस्कॉम मुख्य कार्मिक अधिकारी के साथ ही उत्पादन निगम और प्रसारण निगम के मुख्य कार्मिक अधिकारी भी शामिल किए गए हैं. वहीं श्रमिक महासंघ की ओर से बीज 2 सदस्य इस कमेटी की बैठकों में विशेष रूप से आमंत्रित किए जाएंगे.

कमेटी ऐसी मांगें जिससे पर कोई वित्तीय भार नहीं आता हो, के संबंध में अपनी अनुशंसा आगे देगी. पदनाम परिवर्तन से जुड़ी मांग को परीक्षण के बाद समन्वय समिति की आगामी बैठक में रखा जाएगा. वहीं निगम कर्मचारियों की सीजीएचएस से जुड़ी मांग मान ली गई है. मुख्य कार्मिक अधिकारी राकेश शर्मा ने कहा कि महासंघ के मांग पत्र पर 3 दिसंबर को डिस्कॉम चेयरमैन और प्रसारण निगम के सीएमडी भास्कर ए सावंत की अध्यक्षता में एक बैठक हुई थी, जिसमें सभी विद्युत निगम के उच्च अधिकारी और आंदोलनरत कर्मचारी प्रतिनिधि शामिल हुए थे. जिसमें मांगों के निस्तारण के लिए कमेटी बनाने का निर्णय हुआ. अब जल्द ही कमेटी के जरिए मांगों का निस्तारण किया जाएगा.

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25 फरवरी तक का अल्टीमेटम

विद्युत श्रमिक महासंघ के प्रदेश महामंत्री विजय सिंह वाघेला ने बताया कि महासंघ की मांगो के समाधान के लिए कमेटी का गठन तो प्रशासन ने कर दिया, लेकिन यदि समय पर मांगों का निस्तारण नहीं हुआ तो श्रमिक महासंघ से जुड़ा कर्मचारी आगामी 25 फरवरी को उग्र आंदोलन करेगा और जरूरत पड़ी तो विधानसभा का भी घेराव किया जाएगा. मतलब साफ है महासंघ ने विद्युत निगम प्रशासन को 25 फरवरी तक का अल्टीमेटम दिया है.

श्रमिक महासंघ से जुड़े पदाधिकारियों का कहना था कि सरकार तुरंत प्रभाव से निजीकरण पर रोक लगाकर बिजली कंपनियों में नई भर्ती करे. कर्मचारियों की इंटरकंपनी स्थानांतरण की सुविधा को भी शुरू करे. कर्मचारी संगठन इस बात से भी नाराज थे कि जो कर्मचारी कोविड-19 से मारे गए उनके परिवार को भी अब तक बिजली कंपनियों की तरफ से 50 लाख की सहायता राशि नहीं दी गई. यही कारण है कि इन तमाम मांगों को लेकर ये कर्मचारी 5 अक्टूबर से अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे थे जो अब समाप्त हुआ है.

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