जयपुर. जेकेके की पाक्षिक नाटक योजना के तहत रंगायन में उर्दू नाटक ‘रूहें’ का शुक्रवार को मंचन हुआ. एस. एम. अजहर द्वारा लिखित और निर्देशित लिटिल थेस्पियन की इस पेशकश में एक राज्य की अस्थिरता के साथ ही उसके गौरव की कहानी प्रदर्शित की गई.
नाटक के माध्यम से मानवीय भावनाओं और संघर्षों का कोलाज भी प्रस्तुत किया गया. नाटक के केंद्र में एक शाही कब्रिस्तान है. लंबे समय से अनेक आत्माएं बाहर आने के लिए संघर्ष कर रही हैं. वहीं दूसरी ओर वर्तमान पीढ़ी मौजूदा हालात से निपटने की कोशिश में संघर्षरत है क्योंकि ये जानते हैं कि नफरत से कभी भी खुशी हासिल नहीं हो सकती है.
वहीं इस नाटक में संघर्ष के विभिन्न रंगों को दर्शाया गया. जैसे अतीत और वर्तमान, सही और गलत और अभिजात वर्ग और लोकतंत्र के बीच का संघर्ष को बड़ी बारीकी से उकेरा गया. नाटक में निर्देशक ने स्वयं बड़े नवाब के रूह की भूमिका भी निभाई. कब्रिस्तान में छोटे नवाब और बड़े नवाब की रूह के बीच संवाद दिखाया गया. उसमें दोनों अपने-अपने नजरिए से इतिहास को सही सिद्ध करते नजर आए. इसी कब्रिस्तान का बूढ़ा चौकीदार इन सभी रूहों को कब्रिस्तान से बाहर जाने से रोकता है.
नाटक में एस. एम अजहर आलम ने जहां बड़े नवाब की भूमिका में शानदार एक्टिंग की, वहीं सुवनकार शिट (नवाब ताहिर अली बेग), निहार चौधरी (नायब सिपाहसालार), अभिक महतो (फरहाद हुसैन), दिलीप भारती (जब्बार हुसैनी), मो. मारूफ एवं मो. आतिफ अंसारी (नवाब), उमा झुनझुनवाला (बेगम साहिबा), शबरीन खातून (नवाबजादी) के अतिरिक्त जैनुलबदीन, आरिफ आलम, प्रोणय साहा, मनोहर झा, तन्मय सिंह (रूह) के साथ ही नीलांजन चटर्जी, तारिक अली नैयर, अमर्त्या भट्टाचार्य ने भी सधा अभिनय किया.
नाटक में संगीत प्रसिद्ध संगीतकार मुरारी राय चौधुरी ने दिया, जबकि वस्त्र-विन्यास एवं मेकअप उमा झुनझुनवाला का रहा. एस.एम अजहर ने मंच सज्जा और प्रकाश संयोजन में अद्भुत प्रयोग किया.