जयपुर. प्रदेश में सहाड़ा राजसमंद और सुजानगढ़ विधानसभा क्षेत्रों में होने वाले उपचुनाव में मुकाबला तो प्रत्याशियों के कुछ पार्टियों के बीच है, लेकिन ये चुनावी समर भाजपा के कई दिग्गजों के लिए किसी अग्निपरीक्षा से कम भी नहीं है. खास तौर पर प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के कार्यकाल में यह पहला विधानसभा उपचुनाव है. अरुण सिंह के प्रदेश प्रभारी बनने के बाद यह पहला बड़ा चुनाव है, जिसके नतीजे बहुत कुछ आलाकमान के सामने इन नेताओं की परफॉर्मेंस रिपोर्ट तय करेगा.
इन दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर
- डॉ. सतीश पूनिया
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया के कार्यकाल में पहला उपचुनाव बड़ा चुनाव माना जा सकता है, क्योंकि इस उपचुनाव का जो परिणाम आएगा वह सीधे तौर पर साल 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव के परिणामों पर इफेक्ट डालेगा. प्रदेश में जिन 3 सीटों पर चुनाव होना है, उनमें सुजानगढ़ विधानसभा सीट भी शामिल है और खुद भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया चूरु जिले से ही आते हैं और चूरू में ही सुजानगढ़ विधानसभा क्षेत्र आता है. वहीं, पार्टी प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते तीनों सीटों पर होने वाले उपचुनाव उनके नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा. ऐसे में इसके परिणाम भी सतीश पूनिया के जिम्मे ही आना तय है. मतलब उपचुनाव के परिणाम पार्टी आलाकमान की नजरों में बतौर प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया की परफॉर्मेंस रिपोर्ट तय करेगी.
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- गुलाबचंद कटारिया
भाजपा नेताओं में दूसरा सबसे बड़ा नाम नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया का है, जो उदयपुर संभाग के बड़े नेता माने जाते हैं. जिन विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है, उसमें उदयपुर संभाग की राजसमंद विधानसभा सीट भी शामिल है. ऐसे में इस सीट को भाजपा की दृष्टि से फतेह करना कटारिया के लिए भी काफी महत्वपूर्ण है. वहीं, नेता प्रतिपक्ष होने के नाते तीनों विधानसभा सीटों के उपचुनाव परिणाम इनके सियासी भविष्य पर भी बहुत कुछ असर डालेंगें, क्योंकि कटारिया कि इन चुनावों में कई जिम्मेदारियां हैं. उन्हें चुनावी पर्यवेक्षक भी बनाया गया है, कोर कमेटी का सदस्य और स्टार प्रचारकों की सूची में भी कटारिया शामिल हैं.
- राजेंद्र राठौड़
इस चुनाव में प्रतिपक्ष के उपनेता राजेन्द्र राठौड़ की प्रतिष्ठा भी दांव पर है. राजेंद्र राठौड़ चूरू जिले से आते हैं और चूरू में ही सुजानगढ़ विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव है. राठौड़ भाजपा के स्टार प्रचारकों की सूची में भी शामिल हैं, तो वहीं कोर कमेटी सदस्य और मौजूदा उपचुनाव के लिए उन्हें बतौर चुनाव पर्यवेक्षक की भी जिम्मेदारी सौंपी गई थी. ऐसे में कम से कम अपने क्षेत्र की विधानसभा सीट पर भाजपा का कमल खिलाना उनके लिए बड़ी जिम्मेदारी होगी.
- अरुण सिंह
भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री और राजस्थान के प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह के लिए भी बतौर प्रभारी यह उपचुनाव किसी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है, क्योंकि प्रदेश नेताओं को उप चुनाव से पहले एग्जिट करना और उपचुनाव की तमाम रणनीति प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह की देखरेख में ही बनाई जा रही है. ऐसे में अगर परिणाम भाजपा के विपरीत आते हैं, तो पार्टी आलाकमान के सामने अरुण सिंह का भी रिपोर्ट कार्ड खराब होगा. मतलब उपचुनाव में परिणाम भाजपा के पक्ष में आए, इसके लिए अरुण सिंह को भी काफी पसीना बहाना पड़ेगा.
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- दीया कुमारी, सुभाष बहेड़िया और राहुल कस्वां की साख दाव पर
जिन 3 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव है, वहां से जुड़े भाजपा के सांसद के लिए भी यह उपचुनाव काफी महत्वपूर्ण है. राजसमंद में दीया कुमारी सांसद हैं और प्रदेश में महामंत्री भी हैं. वहीं, भीलवाड़ा में भाजपा सांसद सुभाष बहेड़िया और चूरू सांसद राहुल कस्वां के संसदीय क्षेत्र में आने वाली विधानसभा सीट पर उपचुनाव है, ऐसे में इन तीनों ही नेताओं की जिम्मेदारी बढ़ जाती है. यहां भाजपा का कमल खिले खासतौर पर राजसमंद की सीट पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा के कब्जे में थी, ऐसे में यह कब्जा बरकरार रहे, इसका प्रयास दीया कुमारी करेंगी. वहीं, सुजानगढ़ और सहाड़ा विधानसभा सीट पर भाजपा का कमल खिलाकर पार्टी चाहेगी की विधानसभा के भीतर भाजपा सदस्यों की संख्या में इजाफा हो. ये तीनों ही सांसद भाजपा के स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल भी हैं.
उपचुनाव परिणाम से बनेगी इन दिग्गजों की परफॉर्मेंस रिपोर्ट
उपचुनाव के जो परिणाम होंगे उसी के आधार पर इन सभी दिग्गज नेताओं की परफॉर्मेंस रिपोर्ट भी पार्टी आलाकमान के सामने बनेगी. अगर परिणाम भाजपा के पक्ष में आए तो यह परफॉर्मेंस रिपोर्ट सकारात्मक होगी और आगामी विधानसभा चुनाव में इन तमाम नेताओं का सियासी कद भी बढ़ेगा, लेकिन परिणाम भाजपा के पक्ष में नहीं आए तो फिर सुधार के लिए पार्टी आलाकमान को आगामी विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश संगठन को एकजुट करने और नेताओं में नई ऊर्जा भरने के लिए कुछ ठोस निर्णय लेने पड़ सकते हैं.