जयपुर. कोरोना की वजह से पिछले एक साल से विद्यार्थियों को काफी नुकसान हो रहा है. बावजूद इसके संकट के इस दौर में सरकार यह तय नहीं कर पा रहीं हैं कि बच्चों को संक्रमण से बचाते हुए कैसे पढ़ाई करवाई जा सके और कैसे परीक्षा ली जा सके. इसका असर यह हुआ कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर की दस्तक के साथ ही इस साल अप्रैल में शिक्षण संस्थान एक बार फिर लॉक हो गए हैं. सीबीएसई ने दसवीं की परीक्षा निरस्त कर आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर बच्चों को प्रमोट करने का निर्णय लिया था.
राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने भी मई में प्रस्तावित 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं को स्थगित कर दिया था. अब सीबीएसई 12वीं की परीक्षा रद्द होने के बाद इसपर बहस एक बार फिर तेज हो गई है. राजस्थान बोर्ड की दसवीं और बारहवीं की परीक्षा पर गहलोत सरकार बुधवार शाम 5 बजे होने वाली कैबिनेट की बैठक में फैसला लेगी. हालांकि, केंद्र की ओर से सीबीएसई 12वीं की परीक्षा रद्द करने के साथ ही संभावना यहीं जताई जा रही है कि राजस्थान बोर्ड की परीक्षाएं भी रद्द की जा सकती हैं.
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अभिभावक जहां परीक्षा रद्द करने के फैसले के साथ खड़े दिख रहे हैं. इधर, राजस्थान में प्रमुख विपक्षी दल भाजपा ने भी केंद्र की तर्ज पर परीक्षाएं निरस्त करने की मांग गहलोत सरकार से की है. इसपर शिक्षाविदों का कहना है कि परीक्षा नहीं होने से बच्चों का नुकसान होगा. प्रतियोगी परीक्षा की तर्ज पर एग्जाम करवाने का सुझाव दिया है.
राजस्थान में विद्यार्थियों और अभिभावकों के हितों के लिए संघर्ष कर रहे संयुक्त अभिभावक संघ ने सीबीएसई की ओर से 12वीं की परीक्षा निरस्त करने के फैसले का स्वागत किया है. संघ के प्रदेशाध्यक्ष का कहना है कि केंद्र सरकार ने भले ही देरी से सही लेकिन विद्यार्थियों के हित में फैसला लिया है.
उन्होंने सोशल मीडिया पर चलाए गए अभियान और सर्वे का हवाला देते हुए दावा किया है कि कोरोना संक्रमण के खतरे और बच्चों के स्वास्थ्य के मद्देनजर करीब 90 फीसदी विद्यार्थी और अभिभावक परीक्षा करवाने के पक्ष में नहीं थे. गहलोत सरकार से भी अपील की है कि राजस्थान बोर्ड की दसवीं और बाहरवीं कक्षा की परीक्षा निरस्त की जाए.
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राजस्थान प्राथमिक माध्यमिक शिक्षक संघ के वरिष्ठ प्रदेश उपाध्यक्ष विपिन प्रकाश शर्मा का कहना है कि सीबीएसई की ओर से 12वीं की परीक्षा को रद्द करने का फैसला जल्दबाजी में लिया गया निर्णय है. यह बच्चों के भविष्य के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है. बोर्ड की परीक्षा होनी जरूर चाहिए. वर्तमान हालात को देखते हुए उसके फॉरमेट में बदलाव किया जा सकता है.
उन्होंने सुझाव दिया कि जैसे प्रतियोगी परीक्षा होती है. 10वीं और 12वीं की परीक्षा भी उसी तर्ज पर ऑब्जेक्टिव आधार पर ली जा सकती है. दसवीं की परीक्षा में मुख्य रूप से पांच विषय होते हैं. इनमें से हर विषय के 20 सवाल शामिल करते हुए 100 प्रश्नों का एक ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न पत्र तैयार करवाया जा सकता है और ओएमआर शीट के माध्यम से परीक्षा ली जा सकती है.
परीक्षा पर भारी राजनीति, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष पूनिया का ट्वीट: केंद्र की तर्ज पर फैसला ले गहलोत सरकार
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने ट्वीट कर गहलोत सरकार से मांग की है कि सीबीएसई की तर्ज पर ही राजस्थान बोर्ड की परीक्षा को लेकर फैसला लिया जाए. उन्होंने लिखा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में सीबीएसई की कक्षा 12 की परीक्षाओं को रद्द करने का फैसला छात्रों की सुरक्षा और ऐसे माहौल में तनाव मुक्त करने का उचित निर्णय है. मैं राज्य सरकार से मांग करता हूं कि राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के परीक्षार्थियों के हित में भी ऐसा ही निर्णय ले.