जयपुर. पर्यटकों की कमी ने जयपुर के हाथी पालकों (elephant foster) और महावतों (elephant mahout) की आर्थिक दशा खराब कर दी है. जयपुर में करीब 86 हाथी हैं. जयपुर में सिर्फ आमेर महल (Amer Mahal) पर एलीफेंट राइडिंग (elephant ride) होती है. पर्यटकों की तादाद बेहद कम रहने से सभी हाथियों का नंबर रोटेशन में नहीं आ पाता. जिस हाथी का नंबर रोटेशन में नहीं आता, उसका अगले दिन नंबर आता है.
इस तरह आमेर (Amer Mahal) में एक दिन में 20 से 30 हाथियों का ही नंबर राइडिंग में आ रहा है. जिसकी वजह से हाथी पालकों (elephant foster) और महावतों (elephant mahout) का खर्च निकालना मुश्किल हो रहा है. समस्या ये कि वे प्रतिदिन हाथी पर 2 हजार रुपये खर्च करें या फिर अपना घर चलाएं. ऐसे में हाथियों के चारे के लिए भी महावतों और पालकों को कर्ज लेना पड़ रहा है.
हाथी गांव योजना भी सुस्त
सरकार ने हाथी, हाथी पालकों (elephant foster) और महावतों (elephant mahout) को संबल देने के लिए हाथी गांव (Elephant Village) योजना शुरू की थी. जयपुर के आमेर (Amer Mahal) में बना हाथी गांव प्रकृति की गोद में बसा है. यहां सघन हरियाली, हाथियों के लिए बाड़े, चारे और तालाब की व्यवस्था है. उम्मीद थी हाथी गांव हाथी सवारी (elephant ride) के लिए प्रसिद्ध होगा और यहां तक सैलानियों की पहुंच होगी, इस सोच के साथ हाथी गांव में लग्जरी गेस्ट हाउस भी बनाया गया लेकिन लाखों की लागत से बना गेस्ट हाउस बंद पड़ा है. कोरोना ने उम्मीदों को भी संक्रमित कर दिया है.
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वन विभाग (Forest department) ने हाथी गांव (Elephant Village) में करीब 4 साल पहले 70 लाख रुपये की लागत से पर्यटकों के लिए वीआईपी गेस्ट हाउस बनाया था. गेस्ट हाउस में खूबसूरत पेंटिंग से सजे चार लग्जरी कमरे बनाए गये थे. प्रति कमरा 5 हजार की दर भी तय की गई थी. लेकिन 4 साल से ये लग्जरी गेस्ट हाउस बंद है. वन विभाग भी गेस्ट हाउस को खुद चलाने की बात पर बैकफुट पर आ गया है. अब इसे पीपीपी मोड पर देने का फैसला किया गया है.
इसकी वजह ये है कि पर्यटकों को यहां तक लाने के लिए अच्छी खासी मार्केटिंग की जरूरत है, जो वन विभाग अपने स्तर पर नहीं कर पा रहा है. वन विभाग ने गेस्ट हाउस को पीपीपी मोड पर देने के लिए टेंडर भी जारी किए, लेकिन किसी ने भी टेंडर लेने में भी दिलचस्पी नहीं दिखाई.
टेंडर में किसी ने रूचि क्यों नहीं ली, इसका भी जवाब है. दरअसल वन विभाग के इस गेस्ट हाउस की दरें थ्री स्टार होटल से भी ज्यादा थीं. ऐसे में कोई भी फर्म आगे नहीं आई. वन विभाग के अधिकारी कहते हैं कि अब वापस टेंडर निकालने की तैयारी की जा रही है.
हाथी गांव की खासियत
आमेर (Amer Mahal) के कुंडा इलाके में बसा हाथी गांव (Elephant Village) पर्यटन के नजरिये से बेहतरीन जगह है. यहां हाथी सफारी (elephant ride) का आनंद लिया जा सकता है. 100 एकड़ में बना यह देश का एकमात्र हाथी गांव है. फिलहाल यहां 86 हाथी हैं. हाथियों के लिये थान बनाए गये हैं. हाथियों की पहचान के लिए हर हाथी के कान के पास माइक्रोचिप लगाई गई है, जिसमें हाथी का नाम और रजिस्ट्रेशन नंबर फीड है.
हाथी पालकों पर कोरोना संकट
हाथी रोजाना सुबह आमेर महल (Amer Mahal) में सैलानियों को सवारी करवाते हैं. बाद में दिनभर हाथी गांव (Elephant Village) में रहते हैं. हाथी गांव तक भी पर्यटक पहुंचने लगे हैं. लेकिन कोरोना के कारण हाथी सफारी (elephant ride) बंद है. आमेर में हाथी सवारी जारी है लेकिन वहां पर्यटकों की तादाद बेहद कम हो गई है. ऐसे में हाथी पालक आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं.
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घाट गेट के पास था महावतों का मोहल्ला
क्षेत्रीय वन अधिकारी बनवारी लाल शर्मा ने बताया कि जयपुर के घाट गेट इलाके में किसी वक्त महावतों का मोहल्ला हुआ करता था. शहर की जनसंख्या बढ़ी तो हाथियों को रखने में दिक्कत होने लगी. इसलिये सरकार ने हाथी गांव (Elephant Village) बनाया. वहां हाथियों के लिये 68 थान हैं, विशाल तालाब हैं, पर्यटन की सुविधाएं भी हैं. हाथी सफारी की सुविधा भी है और यहीं से हाथी आमेर महल में सवारी (elephant ride) के लिए भी जाते हैं.
हाथी गांव (Elephant Village) में 86 हाथी हैं लेकिन थान 68 ही हैं. ऐसे में बाकी हाथियों के लिए थान आवंटित करने की प्रक्रिया चल रही है. हाथी पालक (elephant foster) आसिफ खान ने बताया कि हाथियों की दिनचर्या सुबह 5 बजे से शुरू हो जाती है. चारा-पानी और नहलाना प्रमुख काम होता है. रोटेशन नंबर के हिसाब से हाथी आमेर महल में राइडिंग (elephant ride) के लिए जाते हैं. पर्यटक कम होने से 20 से 25 हाथी ही राइडिंग के लिए जा रहे हैं. महल में राइडिंग के बाद हाथी यहीं लौट आते हैं.