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फिल्म मर्दानी-2 को लेकर पेश आपत्तियों पर केन्द्र सरकार 10 दिन में फैसला करे: राजस्थान हाईकोर्ट

प्रदेश के कोटा शहर को केंद्रित कर बनाई गई फिल्म मर्दानी-2 में कोटा शहर की छवि धूमिल करने के मामले में दायर याचिका पर राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश अशोक गौड़ की एकलपीठ ने सुनवाई की. हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार को कहा है कि वह याचिकाकर्ता की ओर से पेश आपत्तियों पर दोनों पक्षों को सुनकर दस दिन में फैसला करे.

राजस्थान हाईकोर्ट, rajasthan highcourt
राजस्थान हाईकोर्ट
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Published : Dec 16, 2019, 8:56 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाइकोर्ट ने प्रदेश के कोटा शहर को केंद्रित कर बनाई गई रानी मुखर्जी अभिनीत फिल्म मर्दानी-2 में कोटा शहर की छवि धूमिल करने के मामले में केन्द्र सरकार को कहा है कि वह याचिकाकर्ता की ओर से पेश आपत्तियों पर दोनों पक्षों को सुनकर दस दिन में फैसला करे.

इसके साथ ही अदालत ने याचिका का निस्तारण कर दिया है. न्यायाधीश अशोक गौड़ की एकलपीठ ने यह आदेश तसलीम अहमद की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. याचिका में कहा गया कि मर्दानी-2 की कहानी में कोटा शहर की छवि धूमिल करने का प्रयास किया गया है.

पढ़ें- 'मर्दानी 2' के लिए काजोल ने बांधे रानी की तारीफों के पुल

फिल्म के ट्रेलर में कोटा को रेपिस्ट सिटी कहा गया है. याचिका में कहा गया कि कोटा शहर का अपना इतिहास है. इसके अलावा पर्यटन को लेकर भी इसका प्रदेश में अलग महत्व है. वहीं, देश भर से हर साल लाखों विद्यार्थी यहां अपना मेडिकल और इंजीनियरिंग में करियर बनाने के लिए आते हैं.

वहीं, फिल्म में दिखाया गया है कि कोचिंग सेंटर में पढ़ने वाली एक छात्रा के साथ दुष्कर्म करने के बाद उसकी हत्या कर दी जाती है. जबकि, कोटा शहर के किसी भी थाने में आज तक इस तरह के अपराध की कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई है. साथ ही केन्द्र सरकार और सेंसर बोर्ड की ओर से कहा गया कि फिल्म रिलीज हो चुकी है. फिल्म के जरिए शहर की छवि को धूमिल नहीं किया गया है. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने याचिका का निस्तारण कर दिया है.

जयपुर. राजस्थान हाइकोर्ट ने प्रदेश के कोटा शहर को केंद्रित कर बनाई गई रानी मुखर्जी अभिनीत फिल्म मर्दानी-2 में कोटा शहर की छवि धूमिल करने के मामले में केन्द्र सरकार को कहा है कि वह याचिकाकर्ता की ओर से पेश आपत्तियों पर दोनों पक्षों को सुनकर दस दिन में फैसला करे.

इसके साथ ही अदालत ने याचिका का निस्तारण कर दिया है. न्यायाधीश अशोक गौड़ की एकलपीठ ने यह आदेश तसलीम अहमद की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए. याचिका में कहा गया कि मर्दानी-2 की कहानी में कोटा शहर की छवि धूमिल करने का प्रयास किया गया है.

पढ़ें- 'मर्दानी 2' के लिए काजोल ने बांधे रानी की तारीफों के पुल

फिल्म के ट्रेलर में कोटा को रेपिस्ट सिटी कहा गया है. याचिका में कहा गया कि कोटा शहर का अपना इतिहास है. इसके अलावा पर्यटन को लेकर भी इसका प्रदेश में अलग महत्व है. वहीं, देश भर से हर साल लाखों विद्यार्थी यहां अपना मेडिकल और इंजीनियरिंग में करियर बनाने के लिए आते हैं.

वहीं, फिल्म में दिखाया गया है कि कोचिंग सेंटर में पढ़ने वाली एक छात्रा के साथ दुष्कर्म करने के बाद उसकी हत्या कर दी जाती है. जबकि, कोटा शहर के किसी भी थाने में आज तक इस तरह के अपराध की कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई है. साथ ही केन्द्र सरकार और सेंसर बोर्ड की ओर से कहा गया कि फिल्म रिलीज हो चुकी है. फिल्म के जरिए शहर की छवि को धूमिल नहीं किया गया है. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने याचिका का निस्तारण कर दिया है.

Intro:जयपुर। राजस्थान हाइकोर्ट ने प्रदेश के कोटा शहर को केन्द्रित कर बनाई गई रानी मुखर्जी अभिनीत फिल्म मर्दानी-2 में कोटा शहर की छवि धूमिल करने के मामले में केन्द्र सरकार को कहा है कि वह याचिकाकर्ता की ओर से पेश आपत्तियों पर दोनों पक्षों को सुनकर दस दिन में फैसला करे। इसके साथ ही अदालत ने याचिका का निस्तारण कर दिया है। न्यायाधीश अशोक गौड़ की एकलपीठ ने यह आदेश तसलीम अहमद की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिए।Body:याचिका में कहा गया कि मर्दानी-2 की कहानी में कोटा शहर की छवि धूमिल करने का प्रयास किया गया है। फिल्म के ट्रेलर में कोटा को रेपिस्ट सिटी कहा गया है। याचिका में कहा गया कि कोटा शहर का अपना इतिहास है। इसके अलावा पर्यटन को लेकर भी इसका प्रदेश में अलग महत्व है। वहीं देश भर से हर साल लाखों विद्यार्थी यहां अपना मेडिकल और इंजीनियरिंग में करियर बनाने के लिए आते हैं। फिल्म में दिखाया गया है कि कोचिंग सेंटर में पढने वाला छात्र एक छात्रा के साथ दुष्कर्म करने के बाद उसकी हत्या कर देता है। जबकि कोटा शहर के किसी भी थाने में आज तक इस तरह के अपराध की कोई रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई है। वहीं केन्द्र सरकार और सेंसर बोर्ड की ओर से कहा गया कि फिल्म रिलीज हो चुकी है। फिल्म के जरिए शहर की छवि को धूमिल नहीं किया गया है। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने याचिका का निस्तारण कर दिया है।Conclusion:
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