ETV Bharat / city

जयपुर: ठाकुरजी ने ऑनलाइन भक्तों को झूले पर विराजमान भाव से दिए दर्शन

आराध्य देव गोविंद देव जी मंदिर में श्रावण प्रदोष पर झूला महोत्सव का शुभारंभ हुआ. ठाकुर श्रीगोविंद देव जी राधा रानी और सखियों के संग चांदी के झूले पर विराजे. इस अलौकिक झांकी को अपने नैनों से निहारने के लिए कोरोना के चलते दर्शनार्थियों को मंदिर में प्रवेश नहीं दिया गया, लेकिन ऑनलाइन मंदिर की वेबसाइट से श्रद्धालुओं ने दर्शन किए.

आराध्य देव गोविंददेव जी मंदिर  सावन के महीने का महत्व,  jaipur latest news,  rajasthan news in hindi
आराध्य देव गोविंददेव जी मंदिर सावन के महीने का महत्व, jaipur latest news, rajasthan news in hindi
author img

By

Published : Jul 18, 2020, 3:52 PM IST

जयपुर. कहते हैं कि, बिना झूलों के सावन अधूरा है. बरसात से खुशनुमा मौसम में हरियाली से लकदक वृक्षों पर डले हिंडोले हर किसी को आकर्षित करते है. ऐसे में भला ठाकुरजी झूलों से कैसे दूर रहें. ऐसे में गोविंद देवजी मंदिर में शनिवार को ठाकुरजी के गर्भगृह में झूला डल गया. सभी सातों झांकियों में ठाकुरजी ने भक्तों को झूले ओर विराजमान भाव से दर्शन दिए. हालांकि कोरोना जैसी महामारी में मंदिर के द्वार भक्तों के लिए बंद हैं. ऐसे में मंदिर की वेबसाइट से ऑनलाइन श्रदालुओं ने रियासतकालीन कलात्मक झूले पर विराजमान गोविंद देवजी और राधाजी को भक्तों ने अपलक निहारा.

पढ़ें: जयपुर: गोविंद देवजी में द्वादश ज्योतिर्लिंग कथा का शुभारंभ, ठाकुरजी को पद्ममय शिव कथा का श्रवण

मंदिर के प्रवक्ता मानस गोस्वामी ने बताया कि, मंदिर के महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सानिध्य में ठाकुरजी का पंचामृत अभिषेक कर आकर्षक लहरिया पोशाक धारण कराई गई. इसके साथ ही ठाकुरजी को विभिन्न व्यंजनों का भोग भी लगाया गया. वहीं मंदिर में झूला झांकी पर विराजमान ठाकुरजी की झांकी रक्षाबंधन तक सजाई जाएगी. वहीं मंगला और शयन झांकी में ही ठाकुरजी धोती में नजर आएंगे और बाकी अन्य झांकियों में प्रतिदिन अलग-अलग रंग की लहरिया पोशाक धारण करेंगे.

ठाकुरजी ने ऑनलाइन भक्तों को झूले पर विराजमान भाव से दिए दर्शन

ये है मंदिर का इतिहास

राजस्थान के जयपुर में स्थित गोविंद देव जी यहां के आराध्य देव कहलाते हैं. कहा जाता है कि गोविंद देव जी की मूर्ति को वृंदावन से जयपुर लाया गया था. इससे पहले गोविंद देव जी आमेर की घाटी में करीब एक साल तक विराजे थे. भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित गोविंद देव जी मंदिर जयपुर का सबसे मशहूर बिना शिखर वाला मंदिर है.

पढे़ं : देवस्थान विभाग के मंदिरों में सेवादारों के भरोसे ठाकुरजी, 2 माह से नहीं मिली भोग सामग्री

श्री गोविंद देव जी का मंदिर,जयपुर के कनक वृंदावन बाग में बसा है. जहां कृष्ण के तीन विग्रहों में से एक श्री गोविंद देव जी विराजमान हैं. कनक वृंदावन बाग कनक घाटी में नाहरगढ़ पहाड़ी की तलहटी में मौजूद है. जयपुर के कछवाहा राजपूत महाराजा सवाई जयसिंह ने इस बगीचे और मंदिर का निर्माण करवाया था. जिसे कनक वृंदावन के नाम से जाना जाता है. बताया जाता है कि कनक नाम महाराजा की एक रानी कनकदे के नाम से आया, जबकि गोविंददेव जी की मूर्ति यहां वृंदावन से लाई गई थी, इस वजह से इसमें वृंदावन नाम जोड़ा गया.

जयपुर. कहते हैं कि, बिना झूलों के सावन अधूरा है. बरसात से खुशनुमा मौसम में हरियाली से लकदक वृक्षों पर डले हिंडोले हर किसी को आकर्षित करते है. ऐसे में भला ठाकुरजी झूलों से कैसे दूर रहें. ऐसे में गोविंद देवजी मंदिर में शनिवार को ठाकुरजी के गर्भगृह में झूला डल गया. सभी सातों झांकियों में ठाकुरजी ने भक्तों को झूले ओर विराजमान भाव से दर्शन दिए. हालांकि कोरोना जैसी महामारी में मंदिर के द्वार भक्तों के लिए बंद हैं. ऐसे में मंदिर की वेबसाइट से ऑनलाइन श्रदालुओं ने रियासतकालीन कलात्मक झूले पर विराजमान गोविंद देवजी और राधाजी को भक्तों ने अपलक निहारा.

पढ़ें: जयपुर: गोविंद देवजी में द्वादश ज्योतिर्लिंग कथा का शुभारंभ, ठाकुरजी को पद्ममय शिव कथा का श्रवण

मंदिर के प्रवक्ता मानस गोस्वामी ने बताया कि, मंदिर के महंत अंजन कुमार गोस्वामी के सानिध्य में ठाकुरजी का पंचामृत अभिषेक कर आकर्षक लहरिया पोशाक धारण कराई गई. इसके साथ ही ठाकुरजी को विभिन्न व्यंजनों का भोग भी लगाया गया. वहीं मंदिर में झूला झांकी पर विराजमान ठाकुरजी की झांकी रक्षाबंधन तक सजाई जाएगी. वहीं मंगला और शयन झांकी में ही ठाकुरजी धोती में नजर आएंगे और बाकी अन्य झांकियों में प्रतिदिन अलग-अलग रंग की लहरिया पोशाक धारण करेंगे.

ठाकुरजी ने ऑनलाइन भक्तों को झूले पर विराजमान भाव से दिए दर्शन

ये है मंदिर का इतिहास

राजस्थान के जयपुर में स्थित गोविंद देव जी यहां के आराध्य देव कहलाते हैं. कहा जाता है कि गोविंद देव जी की मूर्ति को वृंदावन से जयपुर लाया गया था. इससे पहले गोविंद देव जी आमेर की घाटी में करीब एक साल तक विराजे थे. भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित गोविंद देव जी मंदिर जयपुर का सबसे मशहूर बिना शिखर वाला मंदिर है.

पढे़ं : देवस्थान विभाग के मंदिरों में सेवादारों के भरोसे ठाकुरजी, 2 माह से नहीं मिली भोग सामग्री

श्री गोविंद देव जी का मंदिर,जयपुर के कनक वृंदावन बाग में बसा है. जहां कृष्ण के तीन विग्रहों में से एक श्री गोविंद देव जी विराजमान हैं. कनक वृंदावन बाग कनक घाटी में नाहरगढ़ पहाड़ी की तलहटी में मौजूद है. जयपुर के कछवाहा राजपूत महाराजा सवाई जयसिंह ने इस बगीचे और मंदिर का निर्माण करवाया था. जिसे कनक वृंदावन के नाम से जाना जाता है. बताया जाता है कि कनक नाम महाराजा की एक रानी कनकदे के नाम से आया, जबकि गोविंददेव जी की मूर्ति यहां वृंदावन से लाई गई थी, इस वजह से इसमें वृंदावन नाम जोड़ा गया.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.