जयपुर. जवाहर कला केन्द्र में चल रहे दस दिवसीय लोकरंग के दूसरे दिन शनिवार को भारी संख्या में कला प्रेमियों की भीड़ उमड़ी. इस अवसर पर कला प्रेमियों ने लोकनृत्यों के प्रति जबरदस्त उत्साह दिखाया. इस दौरान लोक नृत्यों की प्रस्तुतियों ने लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया.
शाम के कार्यक्रमों की शुरूआत लंगा-मांगणियार की मनमोहक सिम्फनी यानी स्वर संगति से हुई. इस अवसर पर गाजी खान मांगणियार ने अपनी दमदार आवाज में ‘वारी जाउं रे, बलिहारी जाउं रे‘, ‘छाप तिलक सब छीनी रे‘, ‘दमा दम मस्त कलंदर‘ आदि गीत सुना कर सभी से तालियां बटोरी. इसके बाद गुजरात से आए लोक कलाकारों ने राठवा नृत्य पेश किया.
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कलाकारों ने इस दौरान विभिन्न अपने हाथ में लिए कपड़ों की सहायता से विभिन्न जानवरों और पक्षियों की छवियां बनाई. इसके साथ ही कश्मीर का रौफ नृत्य, पश्चिमी बंगाल का नटुआ नृत्य, हरियाणा का घूमर नृत्य, राजस्थान का चकरी नृत्य, मलखम्भ प्रस्तुति और यूपी का मयूर नृत्य पेश कर सभी के लिए इस शाम को यादगार बना दिया.
इस मौके पर कलाप्रेमियों को कालबेलिया जनजाति नृत्य और शास्त्रीय नृत्य कत्थक की अद्भुत फ्यूजन देखने को मिला. लोकरंग उत्सव में रविवार को हंगरी के कलाकार अपने लोक संगीत से लोगों की प्रशंसा को बंटोरेंग. वहीं,लोकरंग के दौरान ही विदेशी कलाकार, राजस्थानी कलाकारों के साथ दी जाने वाली फ्यूजन प्रस्तुति से सभी को रिझाएगी. इस आयोजन में हंगरी और इंडियन वेस्टर्न म्यूजिक के कुल 7 कलाकारों की प्रस्तुति होगी.
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‘होजागिरी‘ नृत्य ने दर्शकों को किया चकित
इसके साथ ही अपनी खास वेशभूषा में लय और ताल में पूर्वोत्तर राज्यों से आए कलाकारों ने ‘होजागिरी‘ लोक नृत्य पेश किया. इस नृत्य में युवतियों ने सिर पर बोतल और दीपक, दोनों हाथों में थाली और दीपक और मुंह में रूमाल ले घडे़ पर खड़ी होकर नृत्य पेश किया तो सभी दर्शक चकित रह गए.
शिल्पग्राम में कार्यशालाओं का आयोजन
बच्चों और प्रतिभागियों की कलात्मक सर्जनशीलता में संवर्धन करने के लिए ‘लोकरंग‘ के दौरान फड़ पेन्टिंग्स, पेपर मेकिंग, किशनगढ़ चित्र शैली और टेराकोटा पोट्स की कार्यशालाओं का आयोजन भी किया जा रहा है.जेकेके के शिल्पग्राम में प्रतिदिन दोपहर 12 से सायं 5 बजे तक आयोजित इन वर्कशॉप्स में बिना किसी शुल्क के भाग लिया जा सकता है. पेपर मेकिंग वर्कशाप का संचालन चित्तौडगढ़ के श्री मिर्जा अकबर बेग कागजी ने किया.
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पेपर रिसाइकिलिंग पर आधारित इस वर्कशॉप में श्री कागजी ने प्रतिभागियों को पुराने कागजों की कतरन को पानी में गलाने के बाद ग्राइडिंग करते हुए पेपर मेकिंग की तकनीक साझा की. उन्होंने ‘डाई‘ की सहायता से कागज बनाने की तकनीक और इसमें विभिन्न रंगों और डिजाइन बनाने की भी जानकारी दी.