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चंद्रयान-2: जयपुर के तारा मंडल अध्यक्ष ने कहा- देश के विज्ञान और टेक्नोलॉजी में होगी प्रगति

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Published : Jul 13, 2019, 11:08 PM IST

Updated : Jul 14, 2019, 3:28 PM IST

चंद्रयान-2 दुनिया का पहला ऐसा यान होगा, जो चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतरेगा. मिशन चंद्रयान-2 का आगाज 15 जुलाई को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन सेंटर से होगा. बता दें कि चंद्रयान-2 भारत का दूसरा मून मिशन है. पहली बार भारत चंद्रमा की सतह पर लैंडर और रोवर उतारेगा. वहां पर चंद्रयान-2 चंद्रमा की सतह, वातावरण, विकिरण और तापमान का अध्ययन करेगा. और अधिक जानकारी के लिए ईटीवी भारत, जयपुर के बिरला ऑडिटोरियम पहुंचा. जहां तारा मंडल के अध्यक्ष संदीप भट्टाचार्य से मिशन को लेकर खास जानकारी प्राप्त की.

जयपुर के तारा मंडल से मिशन चंद्रायन की जानकारी

जयपुर. इसरो के महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग 15 जुलाई को होने जा रही है. लगभग एक हजार करोड़ रुपए की लागत वाले इस मिशन को जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल एमके-3 रॉकेट से 15 जुलाई को तड़के 2 बजकर 51 मिनट पर अंतरिक्ष में भेजा जाना है. इसके लिए 7 जुलाई को ही श्री हरिकोटा के लांच पैड पर जीएसएलवी मार्क तीन को स्थापित किया गया.

जयपुर के तारा मंडल से मिशन चंद्रायान की जानकारी

इसकी जानकारी देते हुए राजधानी जयपुर के बिरला ऑडिटोरियम स्थित तारा मंडल के अध्यक्ष संदीप भट्टाचार्य ने बताया कि चंद्रयान-2 की सफलता के बाद अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में एक और उपलब्धि का जश्न मनाने के लिए पूरा देश तैयार है. भट्टाचार्य ने चंद्रयान-1 और आने वाले चंद्रयान-2 के अंतर के बारे में बताया कि चंद्रयान-1 में रोवर मॉड्यूल शामिल नहीं था. चंद्रयान-1 में केवल एक ऑर्बिटर और इंपेक्टर था, जो चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचा था. जिसको चांद की सतह से 100 किमी दूर कक्षा में स्थापित किया गया था.

उन्होंने बताया कि चंद्रयान-1 से पुख्ता जानकारी मिली थी कि चंद्रमा के सतह पर पानी बर्फ के रूप में मौजूद है. वहीं इस बार चंद्रयान-2 में तीन अहम मॉड्यूल है. ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर. जिसमें ऑर्बिटर मॉड्यूल करीब एक से दो साल तक चंद्रमा के चारों ओर चक्कर लगाएगा और ऑर्बिटर मॉड्यूल धीरे-धीरे चंद्रमा की दक्षिणी ध्रुव के पास उतरेगा और उसमें से अगर 27 किलो का रोवर निकलेगा. जो लगभग आधा किलोमीटर तक चलेगा. वहां पहुंचने के बाद मिट्टी के आसपास के नमूनों को इक्कठा किया जाएगा.

जिसमें खासतौर से सिलिकॉन, मैग्नेशियम, कैल्शियम, आयरन, टाइटेनियम जैसे धातुओं को इक्कठा किया जाएगा. साथ ही देखा जाएगा कि अगर सतह पर या फिर मिट्टी के नीचे बर्फ के रूप में पानी है तो उसकी जानकारी ली जाएगी.

जयपुर. इसरो के महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग 15 जुलाई को होने जा रही है. लगभग एक हजार करोड़ रुपए की लागत वाले इस मिशन को जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल एमके-3 रॉकेट से 15 जुलाई को तड़के 2 बजकर 51 मिनट पर अंतरिक्ष में भेजा जाना है. इसके लिए 7 जुलाई को ही श्री हरिकोटा के लांच पैड पर जीएसएलवी मार्क तीन को स्थापित किया गया.

जयपुर के तारा मंडल से मिशन चंद्रायान की जानकारी

इसकी जानकारी देते हुए राजधानी जयपुर के बिरला ऑडिटोरियम स्थित तारा मंडल के अध्यक्ष संदीप भट्टाचार्य ने बताया कि चंद्रयान-2 की सफलता के बाद अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में एक और उपलब्धि का जश्न मनाने के लिए पूरा देश तैयार है. भट्टाचार्य ने चंद्रयान-1 और आने वाले चंद्रयान-2 के अंतर के बारे में बताया कि चंद्रयान-1 में रोवर मॉड्यूल शामिल नहीं था. चंद्रयान-1 में केवल एक ऑर्बिटर और इंपेक्टर था, जो चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचा था. जिसको चांद की सतह से 100 किमी दूर कक्षा में स्थापित किया गया था.

उन्होंने बताया कि चंद्रयान-1 से पुख्ता जानकारी मिली थी कि चंद्रमा के सतह पर पानी बर्फ के रूप में मौजूद है. वहीं इस बार चंद्रयान-2 में तीन अहम मॉड्यूल है. ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर. जिसमें ऑर्बिटर मॉड्यूल करीब एक से दो साल तक चंद्रमा के चारों ओर चक्कर लगाएगा और ऑर्बिटर मॉड्यूल धीरे-धीरे चंद्रमा की दक्षिणी ध्रुव के पास उतरेगा और उसमें से अगर 27 किलो का रोवर निकलेगा. जो लगभग आधा किलोमीटर तक चलेगा. वहां पहुंचने के बाद मिट्टी के आसपास के नमूनों को इक्कठा किया जाएगा.

जिसमें खासतौर से सिलिकॉन, मैग्नेशियम, कैल्शियम, आयरन, टाइटेनियम जैसे धातुओं को इक्कठा किया जाएगा. साथ ही देखा जाएगा कि अगर सतह पर या फिर मिट्टी के नीचे बर्फ के रूप में पानी है तो उसकी जानकारी ली जाएगी.

Intro:जयपुर- इसरो के महत्वकांशी मिशन चंद्रयान-2 की लांचिंग दो दिन बाद होने जा रही है। लगभग एक हजार करोड रुपए की लागत वाले इस मिशन को जिओसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल एमके-3 रॉकेट से 15 जुलाई को तड़के 2 बजकर 51 मिनट पर अंतरिक्ष में भेजा जाना है। इसके लिए 7 जुलाई को ही श्री हरिकोटा के लांच पैड पर जीएसएलवी मार्क तीन को स्थापित किया गया।


Body:इसकी जानकारी देते हुए राजधानी जयपुर के बिरला ऑडिटोरियम स्थित तारा मंडल के अध्यक्ष संदीप भट्टाचार्य ने बताया कि चंद्रयान-2 की सफलता के बाज अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में एक और उपलब्धि का जश्न मनाने के लिए पूरा देश तैयार है। भट्टाचार्य ने चंद्रयान-1 और आने वाले चंद्रयान-2 के अंतर के बारे में बताया कि चंद्रयान-1 में रोवर मॉड्यूल शामिल नहीं था। चंद्रयान-1 में केवल एक ऑर्बिटर और इंपैक्टर था जो चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुँचा था। इसको चांद की सतह से 100 किमी दूर कक्षा में स्थापित किया गया था। उन्होंने बताया कि चंद्रयान-1 से पुख्ता जानकारी मिली थी कि चंद्रमा के सतह पर पानी बर्फ के रूप में मौजूद है। वही इस बार चंद्रयान-2 में तीन अहम मॉड्यूल है। ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर है, जिसमें ऑर्बिटर मॉड्यूल करीब एक से दो साल तक चंद्रमा के चारों ओर चक्कर लगाएगा और ऑर्बिटर मॉड्यूल धीरे धीरे चंद्रमा की दक्षिणी ध्रुव के पास उतरेगा और उसमें से अगर 27 किलो का रोवर निकलेगा जो लगभग आधा किलोमीटर तक चलेगा। वहां पहुँचना के बाद मिट्टी के आसपास के नमूनों को इक्कठा किया जाएगा जिसमें खासतौर से सिलिकॉन, मैग्नेशियम, कैल्शियम, आयरन, टाइटेनियम जैसे धातुओं को इक्कठा किया जाएगा साथ ही देखा जाएगा कि अगर सतह पर या फिर मिट्टी के नीचे बर्फ के रूप में पानी है तो उसकी जानकारी ली जाएगी।

बाईट- संदीप भट्टाचार्य, निदेशक, तारा मंडल


Conclusion:
Last Updated : Jul 14, 2019, 3:28 PM IST
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