जयपुर. राजधानी के परकोटे में स्थित छोटी चौपड़ शहर की विरासत में शामिल है. लेकिन इसके स्वरूप से छेड़छाड़ की गई. हालांकि इसके मूल स्वरूप को बनाए रखने के लिए प्रशासन को सरकार से भी निर्देश मिल चुके हैं. लेकिन चौपड़ का काम देख रहे मेट्रो प्रशासन को ना जाने किस तरह के आदेश का इंतजार है.
जिस तरह चौपड़ के खेल में चारों तरफ से चाल होती है. कुछ इसी तर्ज पर 292 साल पहले जयपुर की बनावट के दौरान तीन चौपड़ बनाई गई थी. जिन्हें वर्तमान में छोटी चौपड़, बड़ी चौपड़ और रामगंज चौपड़ के नाम से जाना जाता है. परकोटे की इसी विरासत के दम पर यूनेस्को से विश्व विरासत का टैग मिला.
लेकिन इसके बिगाड़े गए स्वरूप को अब तक मूल स्वरूप नहीं दिया गया. हालांकि बड़ी चौपड़ पर फुटपाथ चौकोर बनाया जा रहा है. वहीं छोटी चौपड़ पर काम तो रोक दिया गया है, लेकिन गोल फुटपाथ को चौकोर किए जाने की प्रक्रिया शुरू नहीं की गई. इसे लेकर मेट्रो सीएमडी डॉ. समित शर्मा ने बताया कि छोटी चौपड़ और बड़ी चौपड़ का रीस्टोरेशन का डिजाइन बनाने वाले जयपुर से बाहर के कंसल्टेंट थे.
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ऐसे में उस वक्त जो डिजाइन अप्रूव्ड हुई, उसमें चौपड़ तो चौकोर है लेकिन उसके राउंड जो फुटपाथ है, ट्रैफिक व्यूप्वाइंट से उसे गोलाई का आकार दे दिया गया. मीडिया और जनप्रतिनिधियों की ओर से सरकार का ध्यान इस ओर आकर्षित कराया गया. जिस पर संज्ञान लेते हुए सरकार ने चौपड़ को चौकोर बनाने के निर्देश दिए हैं और टेक्निकल हेरिटेज कमेटी को रेफर किया गया. वहीं अब जेएमआरसी के इंजीनियर को चौपड़ के मूल स्वरूप के अनुसार ही फुटपाथ का स्वरूप रखने के निर्देश दिए गए हैं.
18 नवंबर 1727 को महाराजा जयसिंह द्वितीय ने जयपुर को बसाया. तब से चौकोर रही छोटी चौपड़ को गोल किए जाने का विरोध भी हुआ. बावजूद इसके अब तक इसमें सुधार नहीं किया गया है.