जयपुर. स्वच्छ सर्वेक्षण शहरों और महानगरों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की भावना को बढ़ावा देने में सहायक (Swachh Survekshan 2022) साबित हुआ है. इस सर्वेक्षण का मकसद स्वच्छ शहरों का निर्माण और सफाई के प्रति नागरिकों के व्यवहार और सोच में परिवर्तन लाना है. हर साल सर्वेक्षण में कुछ नए क्राइटेरिया को शामिल करते हुए प्रतिस्पर्धा होती है. बीते दिनों स्वच्छ सर्वेक्षण 2023 के नियम भी जारी किए गए थे. जिसमें पहली बार शहर के रेड स्पॉट एरिया को भी देखा जाएगा. साथ ही इसके भी पॉइंट निर्धारित किए गए हैं. इसे लेकर जयपुर के दोनों निगम तैयारियां करेंगे. वहीं शनिवार को किसी भी समय स्वच्छ सर्वेक्षण 2022 का रिजल्ट जारी हो सकता है.
पिछले साल केंद्र सरकार की ओर से जारी स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 की रैंकिंग में राजस्थान का एक भी नगर निगम टॉप-10 में जगह नहीं बना पाया था. जयपुर में दो नगर निगम, दो मेयर, अफसरों के साथ सफाईकर्मियों की फौज होने के बावजूद पिंक सिटी को टॉप 10 तो दूर टॉप-30 में भी जगह नहीं मिली थी. 10 से 40 लाख की आबादी वाले 48 शहरों में राजस्थान के नगर-निगम हेरिटेज 32वें, जोधपुर नॉर्थ 35वें, निगम ग्रेटर जयपुर 36वें और कोटा नॉर्थ को 48 वीं रैंक मिली थी.
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अकेले जयपुर की बात करें तो जहां 2017 में जयपुर 215वीं रैंक पर था. वहीं 2018 में 39वीं, 2019 में 44वीं और फिर 2020 में टॉप 30 में जगह बनाते हुए 28वीं रैंक हासिल की थी. लेकिन दो निगम बनने के बाद भी दोनों ही निगम टॉप 30 से बाहर हो गए थे.
पिछला रिपोर्ट कार्ड :
कैटेगरी | कुल अंक | हेरिटेज को मिले अंक | ग्रेटर को मिले अंक |
डॉक्यूमेंटेशन | 2400 | 1734.97 | 1736.60 |
स्टार रैंकिंग | 1100 | 00 | 00 |
सिटीजन फीडबैक | 1800 | 1247.11 | 1091.27 |
ओडीएफ | 700 | 500 | 500 |
कुल अंक | 6000 | 3482.08 | 3327.86 |
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किए गए कई बदलाव : वहीं स्वच्छ सर्वेक्षण 2022 में कई बदलाव किए गए थे. इसी के तहत अंकों में भी (Swachh Survekshan 2022 criteria) बढ़ोत्तरी की गई थी. 7500 अंकों के लिए हुए सर्वेक्षण में सर्विस लेवल प्रोग्रेस के अंक 2400 से बढ़ाकर 3000, सिटी वॉयस और सर्टिफिकेशन के अंक 1800-1800 से बढ़ाकर 2250 किए गए थे. कुल 7500 में 40 प्रतिशत सर्विस लेवल प्रोग्रेस और 30-30 प्रतिशत सिटी वॉयस और सर्टिफिकेशन के अंक रखे गए थे. लेकिन सर्वेक्षण के दौरान भी घर-घर कचरा संग्रहण पर कोई काम नहीं हुआ था.
हेरिटेज निगम ने तो बीवीजी कंपनी को भी हटा दिया था. वहीं जो कचरा संग्रहण हुआ वहां भी (Swachh Survekshan 2022 Rules in Jaipur ) गीला-सूखा कचरा अलग-अलग नहीं हुआ था. नाला और वाटर बॉडी को कचरा मुक्त और अतिक्रमण मुक्त रखना था. प्रत्येक 50 मीटर पर कचरा पात्र रखना भी जरूरी किया गया था, जो देखने को नहीं मिली. प्रतिबंधित पॉलीथिन की धड़ल्ले से बिक्री, उपयोग और भंडारण हुआ. कचरा संग्रहण करने वालों की सुरक्षा, उनके आई कार्ड, ट्रेनिंग पर काम नहीं हुआ. ऐसे में सर्वेक्षण 2022 मैं रैंकिंग सुधारने को लेकर जयपुर को कुछ खास आस नहीं है.
अगली बार के लिए नियम जारी : बीते दिनों अगले साल होने वाले स्वच्छ सर्वेक्षण-2023 के नियम जारी किए गए हैं. इस बार सर्वे चार चरणों में करवाया जाएगा. इसमें सिटीजन फीडबैक सबसे पहले लिए जाएंगे. अब तक अंतिम चरण पर सिटीजन फीडबैक लिए जाते थे. शहरी विकास मंत्रालय 2023 के सर्वेक्षण में आंकलन 9500 अंकों के आधार पर करेगा. जबकि 2022 तक ये आंकलन 7500 अंक का किया गया है. इसी तरह शहर के सीवरेज सिस्टम की भी मॉनिटरिंग की जाएगी. इस बार सर्वेक्षण की थीम "कचरे से समृद्धि' रखी गई है. इसमें कचरे से शहर को समृद्ध बनाने पर क्या काम किए जा रहे है इसको देखा जाएगा.
इसके लिए निकायों को 3-R यानी रिसाइकल, रीयूज व रिड्यूस सिद्धांत पर काम करना होगा. थीम के अनुरूप ही इस बार 48 प्रतिशत अंक यानी 4525 अंक अकेले सर्विस लेवल प्रोग्रेस यानी कूड़े को लेकर सेग्रीगेशन, प्रोसेसिंग व डिस्पोजल पर आधारित रहेंगे. 26 प्रतिशत यानी 2500 अंक सर्टिफिकेशन के होंगे और 26 प्रतिशत यानी 2475 अंक सिटीजन वाइस के होंगे. नई गाइडलाइन के अनुसार अब सर्वेक्षण टीम सरकारी दफ्तरों, सार्वजनिक स्थानों, सड़कों-गलियों का निरीक्षण करेगी. ऐसे में इस बार पहले से भी ज्यादा और बड़ी चुनौती होगी.