जयपुर. देश और विदेश में पिंक सिटी के नाम से मशहूर राजधानी जयपुर (Jaipur News) हाल में सियासत के शह और मात के खेल का गढ़ बना हुआ है. इस सियासी खेल में कांग्रेस की गहलोत सरकार (Government of Rajasthan) ने फिलहाल तो बाजी मार ली और विपक्षी भाजपा को पटखनी देते हुए कमिश्नर से मारपीट मामले में जयपुर ग्रेटर नगर निगम (Jaipur Greater Municipal Corporation) की महापौर सौम्या गुर्जर (Mayor Soumya Gurjar) और तीन पार्षदों को निलंबित कर दिया.
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महापौर का निलंबन कई मायने में खास है, क्योंकि ये कार्रवाई प्रदेश के इतिहास की पहली घटना है. जाहिर है इतनी बड़ी घटना का अंत ऐसे तो होगा नहीं और सियासत भी खूब होगी, जो हो भी रही है. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया (Rajasthan BJP State President Satish Poonia) ने इसे कांग्रेस के पतन का कारण बता दिया तो कुछ घंटे पहले केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत (Union Minister Gajendra Singh Shekhawat) ने तो राजस्थान सरकार को देश की सबसे भ्रष्ट सरकार बता दिया.
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दरअसल, साल 1994 में अस्तित्व में आने के बाद से ही राजधानी जयपुर के इस नगर निगम के महापौर की कुर्सी पर भाजपा ही काबिज रही. सिर्फ दो बार कांग्रेस को महापौर की कुर्सी मिली. एक बार साल 2010 में और दूसरी बार 2019 सिर्फ एक साल के लिए कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी को मौका मिला. ऐसे में सियासी उठा-पटक का खेल चलता रहा है और कांग्रेस की हर बार कोशिश रही है कि ग्रेटर नगर निगम की सत्ता पर काबिज हो सके. ऐसे में इतिहास रचने वाली महापौर के निलंबन की इतनी बड़ी कार्रवाई के सियासी मायने भी निकाले जा रहे हैं.
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जन प्रतिनिधियों और अफसरों के बीच विवाद की घटना तो कई बार सामने आई है, लेकिन प्रदेश सरकार की ओर से इतनी कठोर कार्रवाई सूबे के इतिहास में पहली बार की गई है. आमतौर पर अफसरों से खराब व्यवहार के लिए पार्षदों को ही निलंबित किया जाता रहा है. जयपुर ग्रेटर नगर निगम में बीजेपी बहुमत में है और निलंबित महापौर सौम्या गुर्जर (Mayor Soumya Gurjar) भाजपा से ही हैं. ऐसे में भाजपा की मेयर और तीन पार्षदों के निलंबन पर सियासत गर्मानी भी शुरू भी हो गई है. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया और खुद महापौर के बयान के बाद जानकार बता रहे हैं कि प्रदेश सरकार के इस फैसले के खिलाफ भाजपा कानूनी विकल्प जरूर तलाश करेगी और न्यायालय में चुनौती देगी.
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महापौर और सचिन पायलट का ट्वीट एक जैसा
निलंबन की कार्रवाई के बाद सौम्या गुर्जर की जो पहली प्रतिक्रिया सामने आई है, वो आर-पार की सियासत के संकेत दे रही है. महापौर ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से ट्वीट किया-सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं. महापौर (Mayor Soumya Gurjar) ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा है कि कांग्रेस सरकार उन्हें काम नहीं करने देना चाहती थी. इसी वजह से ऐसा किया जा रहा है और बिना सबूत मुझे निलंबित किया गया है. मैं चुप नहीं बैठूंगी और मामले को लेकर मैं कोर्ट भी जाऊंगी.
दिलचस्प बात यह भी है कि निलंबित महापौर सौम्या गुर्जर का ट्वीट और कांग्रेस नेता सचिन पायलट (Sachin Pilot) का बीते साल राजस्थान के सियासी संकट के दौरान किया गया ट्वीट एक जैसा है. दअरसल, बीते साल जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Rajasthan Chief Minister Ashok Gehlot) और तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट (Sachin Pilot) के बीच सियासी संग्राम छिड़ा था, तो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पायलट ने भी ट्वीट किया था-सत्य को परेशान किया जा सकता है, पराजित नहीं. इन्ही शब्दों के साथ सौम्या गुर्जर ने भी ट्वीट कर संकेत देने की कोशिश की है.
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विनाश काले विपरीत बुद्धि: सतीश पूनिया
मेयर और तीन पार्षदों के निलंबन पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने देर रात ट्ववीट करके कड़ी प्रतिक्रिया दी. सतीश पूनिया ने लिखा-“विनाश काले विपरीत बुद्धि”, इतिहास गवाह है देश में जून के महीने में ही आपातकाल लगा था और कांग्रेस के पतन की शुरुआत हुई थी. जयपुर ग्रेटर की मेयर और पार्षदों का निलंबन दुर्भाग्यपूर्ण तो है, लेकिन यही राजस्थान में कांग्रेस के पतन का कारण बनेगा. पार्टी हर तरीके से न्याय की लड़ाई लड़ेगी.
गहलोत सरकार सर्वाधिक भ्रष्ट: गजेंद्र सिंह शेखावत
राजस्थान सरकार पर करारा हमला करते हुए केंद्रीय जल शक्ति मंत्री और जोधपुर से सांसद गजेंद्र सिंह शेखावत ने कुछ घंटे पहले भ्रष्टाचार के मुद्दे पर प्रदेश सरकार पर तीखा हमला किया. उन्होंने ट्वीट किया-आज आप अगर देश में भ्रष्ट और लापरवाह राज्य सरकार का आदर्श ढूंढने निकलेंगे तो आपकी यात्रा राजस्थान आकर समाप्त हो जाएगी!
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ये है पूरा मामला
दरअसल, बीते शुक्रवार को महापौर सौम्या गुर्जर और आयुक्त यज्ञमित्र देव सिंह के बीच एक बैठक के दौरान तीखी बहस हुई थी. बताया जा रहा है कि कि डोर-टू-डोर कचरा उठाने वाली कंपनियों के भुगतान के मुद्दे पर हुई बैठक के दौरान जब मेयर से उनकी और आयुक्त के बीच तकरार हुई, तो वो बाहर जाने लगे. आयुक्त सिंह का आरोप है, इस दौरान भाजपा के तीन पार्षदों ने उनसे अभद्र व्यवहार और मारपीट भी की, घटना के बाद आयुक्त ने तीन पार्षदों के खिलाफ थाने में शिकायत दी और जिसके आधार पर एफआईआर दर्ज हुई.