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Suspended Mayor Soumya Gurjar Case: सुप्रीम कोर्ट में 7 दिसंबर को सुनवाई, पक्ष और बचाव पक्ष के बयान पूरे

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Published : Dec 3, 2021, 6:43 PM IST

ग्रेटर निगम की निलंबित महापौर सौम्या गुर्जर (Suspended Mayor Soumya Gurjar Case) के मामले में सुप्रीम कोर्ट (SC) में 7 दिसंबर को सुनवाई होनी है. ऐसे में सभी की निगाहें 7 दिसंबर की तारीख पर टिक गई है.

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ग्रेटर निगम की निलंबित महापौर सौम्या गुर्जर मामला.

जयपुर. ग्रेटर नगर निगम को 7 दिसंबर का इंतज़ार है. कार्यवाहक महापौर शील धाबाई (Acting Mayor Sheel Dhabai news) का कार्यकाल तीसरी बार बढ़ाए जाने के बाद से निगम के गलियारों में 7 दिसंबर को निलंबित महापौर सौम्या गुर्जर के केस में सुप्रीम कोर्ट (SC) में होने वाली सुनवाई की चर्चा तेज हो गई है. न्यायिक जांच में दर्ज हुए बयानों के बाद चर्चा है कि सौम्या गुर्जर को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल सकती है.

ग्रेटर निगम आयुक्त यज्ञमित्र सिंह देव के साथ अभद्रता और मारपीट के मामले में 6 जून को महापौर सौम्या गुर्जर और तीन पार्षदों को निलंबित किया था. सरकार के निलंबन के फैसले को सामने गुर्जर और उनकी पार्टी भाजपा ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रखी है.

पढ़ें- ग्रेटर नगर निगम आयुक्त के साथ मारपीट और अभद्रता का मामला, पूर्व मेयर सौम्या गुर्जर को मिली जमानत

इस केस में कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख 7 दिसंबर दी है. सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में तीन बार सुनवाई हो चुकी है. लेकिन अब तक कोई फैसला नहीं हुआ है. तीसरी बार जब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी, तब सौम्या गुर्जर की तरफ से केस की पैरवी कर रहे सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ( Advocate Mukul Rohatgi on Soumya Gurjar news) सुनवाई में नहीं पहुंच सके. जिसके बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 7 दिसंबर डेट की थी.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार

राज्य सरकार की ओर से न्यायिक जांच में सरकारी पक्ष और बचाव पक्ष के बयान पूरे हो चुके हैं. जिसमें अधिकारी या कर्मचारी के लिखित कथन या बयान में स्पष्ट है कि सौम्या गुर्जर ने ऐसे किसी शब्द का उपयोग नहीं किया जो अपशब्द की श्रेणी में आता हों. बहरहाल, अब इंतजार न्यायिक जांच पूरी होने और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का है. जिससे सौम्या गुर्जर का राजनीतिक भविष्य भी तय होगा. आपको बता दें कि सौम्या गुर्जर को महापौर पद से निलंबित करने के बाद अन्य पिछड़ा वर्ग से आने वाली वार्ड 60 की बीजेपी पार्षद शील धाभाई को कार्यवाहक महापौर बनाया गया था.

राजस्थान नगरपालिका अधिनियम 2009 की धारा 50(1) के प्रावधानों के दृष्टिगत अन्य पिछड़ा वर्ग की महिला को ही महापौर कार्यभार सौंपा जाना विधि सम्मत था. ग्रेटर निगम में राजनीतिक दल के बहुमत को मद्देनजर रखते हुए शील धाभाई को कार्यवाहक महापौर का पद सौंपा गया था. जिसकी अवधि को तीसरी बार 60 दिन के लिए बढ़ाया गया है.

जयपुर. ग्रेटर नगर निगम को 7 दिसंबर का इंतज़ार है. कार्यवाहक महापौर शील धाबाई (Acting Mayor Sheel Dhabai news) का कार्यकाल तीसरी बार बढ़ाए जाने के बाद से निगम के गलियारों में 7 दिसंबर को निलंबित महापौर सौम्या गुर्जर के केस में सुप्रीम कोर्ट (SC) में होने वाली सुनवाई की चर्चा तेज हो गई है. न्यायिक जांच में दर्ज हुए बयानों के बाद चर्चा है कि सौम्या गुर्जर को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल सकती है.

ग्रेटर निगम आयुक्त यज्ञमित्र सिंह देव के साथ अभद्रता और मारपीट के मामले में 6 जून को महापौर सौम्या गुर्जर और तीन पार्षदों को निलंबित किया था. सरकार के निलंबन के फैसले को सामने गुर्जर और उनकी पार्टी भाजपा ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रखी है.

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इस केस में कोर्ट ने सुनवाई की अगली तारीख 7 दिसंबर दी है. सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में तीन बार सुनवाई हो चुकी है. लेकिन अब तक कोई फैसला नहीं हुआ है. तीसरी बार जब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी, तब सौम्या गुर्जर की तरफ से केस की पैरवी कर रहे सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ( Advocate Mukul Rohatgi on Soumya Gurjar news) सुनवाई में नहीं पहुंच सके. जिसके बाद कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 7 दिसंबर डेट की थी.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार

राज्य सरकार की ओर से न्यायिक जांच में सरकारी पक्ष और बचाव पक्ष के बयान पूरे हो चुके हैं. जिसमें अधिकारी या कर्मचारी के लिखित कथन या बयान में स्पष्ट है कि सौम्या गुर्जर ने ऐसे किसी शब्द का उपयोग नहीं किया जो अपशब्द की श्रेणी में आता हों. बहरहाल, अब इंतजार न्यायिक जांच पूरी होने और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का है. जिससे सौम्या गुर्जर का राजनीतिक भविष्य भी तय होगा. आपको बता दें कि सौम्या गुर्जर को महापौर पद से निलंबित करने के बाद अन्य पिछड़ा वर्ग से आने वाली वार्ड 60 की बीजेपी पार्षद शील धाभाई को कार्यवाहक महापौर बनाया गया था.

राजस्थान नगरपालिका अधिनियम 2009 की धारा 50(1) के प्रावधानों के दृष्टिगत अन्य पिछड़ा वर्ग की महिला को ही महापौर कार्यभार सौंपा जाना विधि सम्मत था. ग्रेटर निगम में राजनीतिक दल के बहुमत को मद्देनजर रखते हुए शील धाभाई को कार्यवाहक महापौर का पद सौंपा गया था. जिसकी अवधि को तीसरी बार 60 दिन के लिए बढ़ाया गया है.

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