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चौमूं हाउस सर्किल सड़क धंसने के बाद जागा प्रशासन, अब शहर भर में होगा Sewer Line का सर्वे - Sewer Line

चौमूं सर्किल पर क्षतिग्रस्त सिविल लाइन बदलने का काम शुरू हो गया है. निगम के अधिकारियों का दावा है कि एक सप्ताह में यहां सीवर का काम पूरा कर लिया जाएगा. उसके बाद जेडीए यहां रोड निर्माण करेगा. साथ ही अब शहर भर में पहले 6,000 किलोमीटर लंबी सीवर लाइन के सर्वे का काम शुरू किया जाएगा.

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शहर भर में होगा सीवर लाइन का सर्वे
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Published : Jan 26, 2021, 7:09 AM IST

जयपुर. चौमूं हाउस सर्किल ही नहीं राजधानी के शहरी क्षेत्र में अधिकतर सीवर लाइन की उम्र पूरी हो चुकी है. सीवर लाइन की लाइफ 30 साल मानी जाती है. लेकिन नई सीवर लाइन डालने के लिए निगम प्रशासन के पास बजट नहीं है.

शहर भर में होगा सीवर लाइन का सर्वे

कई साल से विभिन्न क्षेत्रों में मरम्मत का काम जरूर चल रहा है, जिस पर करीब 12 करोड़ हर साल खर्च भी हो रहा है. लेकिन अब शहर की स्थिति को देखते हुए पूरे शहर की लगभग 6,000 किलोमीटर लंबी सीवर लाइन का सर्वे किया जाएगा. इसके लिए बोर्ड से अतिरिक्त बजट भी पास कराया जाएगा. चौमूं हाउस सर्किल पर रोड धंसने के हादसे के बाद हेरिटेज नगर निगम कमिश्नर ने पक्ष रखते हुए कहा कि हर फाइल को नहीं देख पाते कि वर्क आर्डर कब जारी हुआ. हालांकि चौमूं हाउस सर्किल मामले में लाइन करीब 35 से 40 साल पुरानी थी, जो पीएचइडी के जरिए डाली गई थी. यहां पहले भी हादसा हो चुका है, बावजूद इसके मेंटेनेंस नहीं किया गया.

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हालांकि, उनकी जानकारी में आने के बाद दिसंबर में इसका टेंडर कर दिया गया था, और 21 जनवरी को कार्यादेश जारी करने के लिए फाइल निगम मुख्यालय से बढ़ा दी गई थी. इसे एक इत्तेफाक ही कहेंगे कि कार्यादेश जारी होता उससे ठीक पहले हादसा हो गया. उन्होंने बताया कि अब शहर भर में ऐसी सीवर लाइन जो पुरानी हो चुकी हैं, उनका बोर्ड से अप्रूवल के बाद सर्वे कराया जाएगा, जिससे क्षतिग्रस्त सीवर लाइनों को समय रहते बदलने या मेंटेनेंस करने का काम शुरू किया जाएगा.

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हालांकि, जिम्मेदारों पर कार्रवाई के सवाल पर आयुक्त ने कहा कि सीवर लाइन की लाइफ 30 साल मानी जाती है. इसकी लाइफ खत्म हो चुकी थी. पिछले हादसे के दौरान मेंटेनेंस का काम किन्हीं कारणों से शुरू नहीं किया गया. लेकिन उनके संज्ञान में आने के साथ ही टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी. बहरहाल, बजट के अभाव में शहर में सीवर लाइनों की सिर्फ मरम्मत हो पा रही है. हालांकि चौमूं हाउस सर्किल पर एक करोड़ 5 लाख खर्च कर 800 मीटर लंबी नई सीवर लाइन जरूर डाली जा रही है. यहां पानी की लाइन टूटने की स्थिति भी बनी हुई है. लेकिन पुरानी हो चुकी सीवर लाइन एक बड़ी चुनौती के रूप में निगम के सामने है.

जयपुर. चौमूं हाउस सर्किल ही नहीं राजधानी के शहरी क्षेत्र में अधिकतर सीवर लाइन की उम्र पूरी हो चुकी है. सीवर लाइन की लाइफ 30 साल मानी जाती है. लेकिन नई सीवर लाइन डालने के लिए निगम प्रशासन के पास बजट नहीं है.

शहर भर में होगा सीवर लाइन का सर्वे

कई साल से विभिन्न क्षेत्रों में मरम्मत का काम जरूर चल रहा है, जिस पर करीब 12 करोड़ हर साल खर्च भी हो रहा है. लेकिन अब शहर की स्थिति को देखते हुए पूरे शहर की लगभग 6,000 किलोमीटर लंबी सीवर लाइन का सर्वे किया जाएगा. इसके लिए बोर्ड से अतिरिक्त बजट भी पास कराया जाएगा. चौमूं हाउस सर्किल पर रोड धंसने के हादसे के बाद हेरिटेज नगर निगम कमिश्नर ने पक्ष रखते हुए कहा कि हर फाइल को नहीं देख पाते कि वर्क आर्डर कब जारी हुआ. हालांकि चौमूं हाउस सर्किल मामले में लाइन करीब 35 से 40 साल पुरानी थी, जो पीएचइडी के जरिए डाली गई थी. यहां पहले भी हादसा हो चुका है, बावजूद इसके मेंटेनेंस नहीं किया गया.

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हालांकि, उनकी जानकारी में आने के बाद दिसंबर में इसका टेंडर कर दिया गया था, और 21 जनवरी को कार्यादेश जारी करने के लिए फाइल निगम मुख्यालय से बढ़ा दी गई थी. इसे एक इत्तेफाक ही कहेंगे कि कार्यादेश जारी होता उससे ठीक पहले हादसा हो गया. उन्होंने बताया कि अब शहर भर में ऐसी सीवर लाइन जो पुरानी हो चुकी हैं, उनका बोर्ड से अप्रूवल के बाद सर्वे कराया जाएगा, जिससे क्षतिग्रस्त सीवर लाइनों को समय रहते बदलने या मेंटेनेंस करने का काम शुरू किया जाएगा.

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हालांकि, जिम्मेदारों पर कार्रवाई के सवाल पर आयुक्त ने कहा कि सीवर लाइन की लाइफ 30 साल मानी जाती है. इसकी लाइफ खत्म हो चुकी थी. पिछले हादसे के दौरान मेंटेनेंस का काम किन्हीं कारणों से शुरू नहीं किया गया. लेकिन उनके संज्ञान में आने के साथ ही टेंडर प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी. बहरहाल, बजट के अभाव में शहर में सीवर लाइनों की सिर्फ मरम्मत हो पा रही है. हालांकि चौमूं हाउस सर्किल पर एक करोड़ 5 लाख खर्च कर 800 मीटर लंबी नई सीवर लाइन जरूर डाली जा रही है. यहां पानी की लाइन टूटने की स्थिति भी बनी हुई है. लेकिन पुरानी हो चुकी सीवर लाइन एक बड़ी चुनौती के रूप में निगम के सामने है.

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