जयपुर. कोरोना संक्रमण के बीच योग गुरु बाबा रामदेव की ओर से एलोपैथी चिकित्सकों पर दिए बयान के बाद नया विवाद छिड़ गया है. इस बयान के बाद चिकित्सक और बाबा रामदेव आमने-सामने हैं. बयान पर जारी आरोप-प्रत्यारोप के बीच राजनीतिक बयानबाजी भी शुरू हो गई है.
हालांकि, चिकित्सा पद्धिति को लेकर जारी इस बयानबाजी से जयपुर वासी खुश नहीं है. लोगों का मानना है कि कोरोना काल में इलाज की प्रथम है, इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. इस मुद्दे पर ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए लोगों ने कहा कि योग और आयुर्वेद अपना काम कर रहा है. जबकि एलोपैथी अपना काम कर रही है. दोनों ही चिकित्सा पद्धितियां अपनी-अपनी जगह महत्व रखती हैं और आवश्यक भी हैं. इस पर किसी भी तरह की राजनीति नहीं होनी चाहिए.
स्थानीय लोगों ने कहा कि कोरोना काल में स्थिति काफी विकट है. संकट के इस दौर में जहां हर कोई दवाइयों से लेकर ऑक्सीजन तक हर स्तर पर परेशानी का सामना कर रहा है. ऐसे में चिकित्सा पद्धिति को लेकर बयानबाजी सही नहीं है. दोनों ही चिकित्सा पद्धिति का इलाज के दौरान बेहतर परिणाम देखने को मिल रहा है. इसके अलावा राजस्थान के आयुर्वेद संगठनों ने भी रामदेव का नैतिक समर्थ किया है. साथ ही कोविट प्रोटोकॉल में आयुर्वेद औषधियों को शामिल करने के लिए अभियान भी चलाया जाएगा.
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भारतीय संस्कृति में आयुर्वेद का अपना स्थान है तो एलोपैथी अपने तरीके से काम करती है. इस बीच कुछ लोगों ने आयुर्वेद तो कुछ ने एलोपैथी को लेकर खुलकर समर्थन भी किया. लोगों ने कहा कि योग गुरु बाबा रामदेव के बयान को लेकर राजनीति की जा रही है. आयुर्वेद का काफी पुराना इतिहास रहा है. उन्होंने कहा कि संकट के इस दौर में केवल इलाज पर ध्यान देना चाहिए ना कि चिकित्सा पद्धिति की राजनीति पर.
लोगों ने कहा कि 100 फीसदी किसी भी पद्धिति को सही या गलत बताना उचित नहीं है. आपको बता दें कि हाल में बाबा रामदेव ने एलोपैथी चिकित्सा पद्धिति को लेकर विवादित बयान दिया था. उन्होंने कहा था कि एलोपैथी की दवाइयां लेने के बाद भी काफी मरीजों की मौत हो गई. उनके इस बयान के बाद आईएमए समते सभी डॉक्टर विरोध जता रहे हैं. इस बीच दोनों तरफ से बयानबाजी का दौर भी जारी है.