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मरीज को ICU नहीं देने पर फोर्टिस हॉस्पिटल पर 5.75 लाख का हर्जाना

राज्य उपभोक्ता आयोग ने मरीज की हालत नाजुक होने के बाद भी उसे तत्काल आईसीयू मुहैया नहीं कराने पर फोर्टिस हॉस्पिटल एंड हैल्थ मैनेजमेंट और फोर्टिस एस्कॉर्ट हॉस्पिटल पर 5.75 लाख रुपये का हर्जाना लगाया है. इसके साथ ही हर्जाना राशि पर परिवाद दायर करने की तारीख 26 जुलाई 2013 से 9 प्रतिशत ब्याज देने के लिए कहा है.

jaipur news, जयपुर में अस्पताल पर लाखों का हर्जाना
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Published : Aug 21, 2019, 11:42 PM IST

जयपुर. मामले में राज्य उपभोक्ता आयोग ने कहा कि आईसीयू खाली था या नहीं, यह देखना मरीज का ना होकर अस्पताल का है. यदि आईसीयू समय पर उपलब्ध नहीं था तो मरीज को भर्ती नहीं करना चाहिए. अस्पताल में दो गेस्ट्रो फिजिशियन थे और वे भी गैर मौजूद थे.

आयोग ने कहा कि गेस्ट्रोलॉजी के बीमार मरीज को भर्ती किया जाए तो गेस्ट्रो फिजिशियन का होना जरूरी है. ऐसा नहीं होना हॉस्पिटल प्रशासन की लापरवाही है. परिवाद में कहा था कि 16 सितम्बर 2011 को उसकी 78 साल की मां के पेट में दर्द था. जिसके बाद उसने उन्हें रात 2 बजे फोर्टिस हॉस्पिटल में भर्ती करवाया.

पढ़ें: राजस्थान : मतदाता सूचियों में सुधार के लिए 1 सितंबर से शुरू होगा सत्यापन का काम

मरीज के पेट में पथरी थी, लेकिन मरीज के इलाज व टेस्ट में देरी हुई और 5 घंटे बाद आईसीयू में भर्ती किया गया. इस दौरान गेस्ट्रो डॉक्टर ने मरीज को नहीं देखा. वहीं, बाद में मरीज की हालत खराब बताते हुए अस्पताल प्रशासन ने उसे वेदांता हॉस्पिटल ले जाने को कहा. ऐसे में अस्पताल का कृत्य गंभीर लापरवाही की श्रेणी में आता है. आयोग ने यह आदेश रोहित भटनागर के परिवाद पर सुनवाई करते हुए दिए.

जयपुर. मामले में राज्य उपभोक्ता आयोग ने कहा कि आईसीयू खाली था या नहीं, यह देखना मरीज का ना होकर अस्पताल का है. यदि आईसीयू समय पर उपलब्ध नहीं था तो मरीज को भर्ती नहीं करना चाहिए. अस्पताल में दो गेस्ट्रो फिजिशियन थे और वे भी गैर मौजूद थे.

आयोग ने कहा कि गेस्ट्रोलॉजी के बीमार मरीज को भर्ती किया जाए तो गेस्ट्रो फिजिशियन का होना जरूरी है. ऐसा नहीं होना हॉस्पिटल प्रशासन की लापरवाही है. परिवाद में कहा था कि 16 सितम्बर 2011 को उसकी 78 साल की मां के पेट में दर्द था. जिसके बाद उसने उन्हें रात 2 बजे फोर्टिस हॉस्पिटल में भर्ती करवाया.

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मरीज के पेट में पथरी थी, लेकिन मरीज के इलाज व टेस्ट में देरी हुई और 5 घंटे बाद आईसीयू में भर्ती किया गया. इस दौरान गेस्ट्रो डॉक्टर ने मरीज को नहीं देखा. वहीं, बाद में मरीज की हालत खराब बताते हुए अस्पताल प्रशासन ने उसे वेदांता हॉस्पिटल ले जाने को कहा. ऐसे में अस्पताल का कृत्य गंभीर लापरवाही की श्रेणी में आता है. आयोग ने यह आदेश रोहित भटनागर के परिवाद पर सुनवाई करते हुए दिए.

Intro:जयपुर। राज्य उपभोक्ता आयोग ने मरीज की हालत नाजुक होने के बाद भी उसे तत्काल आईसीयू मुहैया नहीं कराने पर फोर्टिस हॉस्पिटल एंड हैल्थ मैनेजमेंट और फोर्टिस एस्कॉर्ट हॉस्पिटल पर 5.75 लाख रुपए का हर्जाना लगाया है। इसके साथ ही हर्जाना राशि पर परिवाद दायर करने की तारीख 26 जुलाई 2013 से 9 प्रतिशत ब्याज देने के लिए कहा है। आयोग ने यह आदेश रोहित भटनागर के परिवाद पर सुनवाई करते हुए दिए।Body:आयोग ने कहा की आईसीयू खाली था या नहीं, यह देखना मरीज का ना होकर अस्पताल का है। यदि आईसीयू समय पर उपलब्ध नही था तो मरीज को भर्ती नही करना चाहिए। अस्पताल में दो गेस्ट्रो फिजिशियन थे, वे भी गैर मौजूद थे। जबकि गेस्ट्रोलॉजी के बीमार मरीज को भर्ती किया जाये तो गेस्ट्रो फिजिशियन का होना जरूरी है। ऐसा नहीं होना हॉस्पिटल प्रशासन की लापरवाही है।
परिवाद मेें कहा था कि 16 सितम्बर 2011 को उसकी 78 साल की मां के पेट मे दर्द था। उसने उन्हें रात 2 बजे फोर्टिस हॉस्पिटल मे भर्ती करवाया। मरीज के पेट में पथरी थी, लेकिन मरीज के इलाज व टेस्ट में देरी हुई और 5 घंटे बाद आईसीयू में भर्ती किया गया और गेस्ट्रो डॉक्टर ने मरीज को नहीं देखा। वहीं बाद में मरीज की हालत खराब बताते हुए अस्पताल प्रशासन ने उसे वेदान्ता हॉस्पिटल ले जाने को कहा। ऐसे में अस्पताल का कृत्य गंभीर लापरवाही की श्रेणी में आता है। Conclusion:null
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