जयपुर. मामले में राज्य उपभोक्ता आयोग ने कहा कि आईसीयू खाली था या नहीं, यह देखना मरीज का ना होकर अस्पताल का है. यदि आईसीयू समय पर उपलब्ध नहीं था तो मरीज को भर्ती नहीं करना चाहिए. अस्पताल में दो गेस्ट्रो फिजिशियन थे और वे भी गैर मौजूद थे.
आयोग ने कहा कि गेस्ट्रोलॉजी के बीमार मरीज को भर्ती किया जाए तो गेस्ट्रो फिजिशियन का होना जरूरी है. ऐसा नहीं होना हॉस्पिटल प्रशासन की लापरवाही है. परिवाद में कहा था कि 16 सितम्बर 2011 को उसकी 78 साल की मां के पेट में दर्द था. जिसके बाद उसने उन्हें रात 2 बजे फोर्टिस हॉस्पिटल में भर्ती करवाया.
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मरीज के पेट में पथरी थी, लेकिन मरीज के इलाज व टेस्ट में देरी हुई और 5 घंटे बाद आईसीयू में भर्ती किया गया. इस दौरान गेस्ट्रो डॉक्टर ने मरीज को नहीं देखा. वहीं, बाद में मरीज की हालत खराब बताते हुए अस्पताल प्रशासन ने उसे वेदांता हॉस्पिटल ले जाने को कहा. ऐसे में अस्पताल का कृत्य गंभीर लापरवाही की श्रेणी में आता है. आयोग ने यह आदेश रोहित भटनागर के परिवाद पर सुनवाई करते हुए दिए.